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जेल रेडियो कैदियों की जिदंगी में आ रहा सकारात्मक बदलाव

पानीपत जेल में शुरू किये गये जेल रेडियो के 3 वर्ष पूरे, चौथे साल में प्रवेश
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पानीपत जिला जेल में बनाये गये जेल रेडियो स्टेशन के अंदर का फोटो। -निस
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बिजेंद्र सिंह/निस

पानीपत, 15 जनवरी

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पानीपत की जिला जेल में तिनका तिनका फाउंडेशन द्वारा 16 जनवरी, 2021 को जेल रेडियो स्टेशन की शुरूवात की गई थी। जेल में स्थापित किये गये रेडियो स्टेशन को अब तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं और जेल रेडियो अब चौथे वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। जेल रेडियो पानीपत जेल में बंद करीब डेढ हजार कैदियों एवं बंदियों के मनोरंजन को लेकर सहायक साबित हो रहा है। रेडियो स्टेशन के धार्मिक भजन सुनकर अब गुमशुम से रहने वाले बंदी भी मुस्कराने लगे है। इससे बंदियों के व्यवहार में साकारात्मक बदलाव आ रहा है और इसी उद्देश्य को लेकर डॉ. वर्तिका नंदा ने जेल में रेडियो स्टेशन की स्थापना की थी।

जेल में बने रेडियो स्टेशन पर सुबह 9 से लेकर दोपहर 1 बजे तक और फिर दोपहर बाद 3 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक भजन आदि बजते रहते है। वही बंदियों की फरमाइश पर भी जेल रेडियो पर गीत सुनाये जाते है। पानीपत की जिला जेल में रेडियो एवं लाइब्रेरी शुरू करने वाली जेल सुधारक, शिक्षाविद् एवं तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. वर्तिका नंदा का कहना है कि जेल रेडियो यहां के बंदियों के व्यवहार में साकारात्मक बदलाव लाने में काफी सहायक साबित हुआ है। जेल में रेडियो शुरू करने का उद्देश्य है कि बंदियों के व्यवहार में साकारात्मक सुधार आये और वे जेल से बाहर आकर दोबारा से अपराध की दुनिया की तरफ कदम न बढ़ायें। जेल रेडियो के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

रेडियो स्टेशन के बाहर का फोटो। -निस

स्ट्रेस कम करने में मददगार है जेल रेडियो : देवी दयाल

पानीपत जेल के सुपरिटेंडेंट देवी दयाल का कहना है कि जेल में आमतौर पर करीब डेढ हजार कैदी एवं बंदी रहते है। जेल में स्थापित किया गया जेल रेडियो बंदियों के स्ट्रेस को कम करने में बहुत मददगार साबित हो रहा है। रेडियो पर धार्मिक प्रवचन एवं भजन सुनकर बंदियों में धार्मिक भावना उत्पन्न होती है।

अब महिला कैदी भी बनेंगी रेडियाे जॉकी : डॉ. वर्तिका नंदा

जेल में रेडिया की शुरूआत करने वाली डॉ. वर्तिका नंदा ने बताया कि जेल में रेडियो जॉकी के लिये जल्द ही बंदियों में से चयन किया जाएगा और उनको एक सप्ताह की ट्रेनिंग देकर जॉकी बनाया जाएगा। पहले वाले कई जॉकी रिहा होकर जेल से बाहर जा चुके है। ट्रेनिंग के बाद उन जॉकी को सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी तक महिला बंदी रेडियो जॉकी बनने से परहेज करती थी लेकिन अब कुछ महिला बंदियों को भी ट्रेनिंग देकर जॉकी बनाया जाएगा ताकि महिला बंदी भी रेडियो स्टेशन के माध्यम से अपनी कविताएं आदि दूसरे बंदियों विशेषकर महिला बंदियों को सुना सके।

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