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हुड्डा के गढ़ को भेदना भाजपा के लिए आसान नहीं

दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू सांघी, 24 सितंबर हरियाणा के पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ को इस बार भी भेदना आसान नहीं होगा। बेशक, सत्तारूढ़ भाजपा ने इस बार हुड्डा के खिलाफ महिला कार्ड खेला है, लेकिन...
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दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू

सांघी, 24 सितंबर

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हरियाणा के पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ को इस बार भी भेदना आसान नहीं होगा। बेशक, सत्तारूढ़ भाजपा ने इस बार हुड्डा के खिलाफ महिला कार्ड खेला है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री की मजबूत पकड़ आज भी बनी हुई है।

हुड्डा परिवार के लिए अब परंपरागत सीट की तरह बन चुके गढ़ी-सांपला-किलोई हलके का प्रतिनिधित्व उनके पिता चौ. रणबीर सिंह हुड्डा भी कर चुके हैं। रणबीर सिंह ऐसे राजनेता थे, जो चार सदनों के सदस्य रहे। वे ज्वाइंट पंजाब में मंत्री थे और हरियाणा विधानसभा के भी सदस्य रहे। उन्होंने रोहतक लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और राज्यसभा में भी रहे। राजनीति में अब हुड्डा परिवार की तीसरी पीढ़ी सक्रिय है। भूपेंद्र हुड्डा के पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा चौथी बार रोहतक से सांसद बने हैं। वे राज्यसभा सांसद भी रहे हैं।

इस बार भी गढ़ी-सांपला-किलोई से चुनाव में ताल ठोक रहे भूपेंद्र हुड्डा के मुकाबले भाजपा ने रोहतक जिला परिषद की चेयरपर्सन मंजू हुड्डा को टिकट दिया है। यह पहला मौका है जब हुड्डा के खिलाफ महिला उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा गया है। वह चुनाव प्रचार के दौरान हुड्डा को पिता तुल्य भी बता रही हैं। हालांकि पूर्व में किलोई हलके से हुड्डा चुनाव हार भी चुके हैं, लेकिन 2000 के बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

रोहतक संसदीय सीट से लगातार तीन बार पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल को शिकस्त देने का रिकाॅर्ड भी हुड्डा के नाम दर्ज है। ओल्ड रोहतक में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। लगातार दस वर्षों तक मुख्यमंत्री के तौर पर राज चलाने के बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में विपरित परिस्थितियों में भी रोहतक, सोनीपत और झज्जर यानी उनके प्रभाव वाले इलाके में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा था। इसके बाद 2019 के चुनाव में रोहतक व झज्जर में हुड्डा का दबदबा फिर से देखने को मिला।

2005 में सांसद रहते हुए बने मुख्यमंत्री : साल 2004 में हुड्डा ने रोहतक से लोकसभा चुनाव जीता था। इसके बाद फरवरी-मार्च 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 67 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत हासिल किया। उस समय चौ. भजनलाल मुख्यमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदार माने जाते थे, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने भूपेंद्र हुड्डा को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। तब किलोई हलके से श्रीकृष्ण हुड्डा विधायक थे। उन्होंने सीट खाली की और उपचुनाव में भूपेंद्र हुड्डा ने जीत हासिल की। वहीं रोहतक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उनके पुत्र दीपेंद्र हुड्डा जीतकर पहली बार संसद पहुंचे। इसके बाद हुड्डा ने 2009, 2014 और 2019 में भी चुनाव जीता। 2009 में उनके नेतृत्व में राज्य में लगातार दूसरी बार कांग्रेस सरकार बनी।

लगातार सीएम रहने का रिकॉर्ड : गढ़ी-सांपला-किलोई में हुड्डा के चुनाव प्रचार की कमान उनके परिवार के सदस्यों व हलके के लोगों ने ही संभाली हुई है। हुड्डा पूरे प्रदेश में प्रचार कर रहे हैं। बेशक, कांग्रेस में उनसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री और भी नेता रहे, लेकिन लगातार साढ़े नौ वर्षों से अधिक समय तक हरियाणा का मुख्यमंत्री रहने का रिकाॅर्ड भी उनके नाम ही है। पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल भी उनके इस रिकाॅर्ड को नहीं तोड़ पाए। वे हुड्डा के मुकाबले कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री पद से हट गए।

आर्यसमाजी इलाका

सांघी गांव में जन्मे हुड्डा ने अपने पिता रणबीर सिंह हुड्डा की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। उनके पिता ही नहीं, बल्कि दादा चौ. मातूराम भी स्वतंत्रता सेनानी रहे। आर्यसमाजी हुड्डा आज के दिन पूरे प्रदेश में प्रभाव रखते हैं। उन्हें कांग्रेस के बड़े किसान चेहरे के रूप में देखा जाता है। उनके सांघी गांव का अपना पौराणिक इतिहास है। इस गांव को महाभारतकाल से भी जोड़कर देखा जाता है। आर्यसमाजी इलाका होने की वजह से सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में भी इस क्षेत्र का योगदान रहा। किसी जमाने में कलानौर की रियासत में महिलाओं के प्रति चल रही कुप्रथा को तोड़ने में सांघी की बड़ी भूमिका रही।

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