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हरियाणा में नेताओं का हित पार्टी से ऊपर रहा : राहुल

विधानसभा चुनाव पराजय पर दिल्ली में मंथन
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 10 अक्तूबर

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजों ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को काफी हताश किया है। चुनाव परिणामों से नाराज राहुल गांधी ने दो टूक-कह दिया है कि हरियाणा में नेताओं का हित पार्टी से ऊपर रहा। कांग्रेस नेतृत्व हार के कारण जानने के लिए तीन वरिष्ठ नेताओं की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करेगा। कमेटी चुनाव परिणामों और हार के कारणों की तह तक जांच करेगी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को रिपोर्ट देगी।

नयी दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व ने बृहस्पतिवार को मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर नतीजों की समीक्षा के लिए पहली बैठक की। इसमें राहुल गांधी, राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत व अजय माकन के अलावा कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया बैठक में नहीं पहुंचे। उन्होंने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक में भाग लिया। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान, सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा व राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला भी बैठक में नहीं थे।

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के बीच की गुटबाजी, टिकट आवंटन में एकतरफा चलने, प्रदेश प्रभारी की भूमिका सहित कई मुद्दों को लेकर राहुल गांधी काफी नाराज हैं। उन्होंने बैठक में यह भी कहा कि प्रदेश के कुछ नेताओं ने पार्टी से ऊपर अपने हित रखे। इससे पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। बैठक में हार के कारण जानने के लिए तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का निर्णय हुआ है। यह कमेटी हरियाणा आएगी और स्थानीय नेताओं से चर्चा करगी।

कमेटी में कौन-कौन होंगे, इस पर चर्चा नहीं हो पाई है। करीब आधे घंटे चली बैठक के बाद अजय माकन ने हुड्डा व सैलजा के मतभेदों पर कहा कि हार के बहुत सारे कारण हैं, जो चुनाव आयोग से लेकर नेताओं के मतभेद तक हैं। इन्हीं सब कारणों पर बैठक में चर्चा हुई और आगे भी चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल जो कह रहे थे, बड़े से बड़े सर्वे जो कह रहे थे, सभी एक साथ गलत साबित कैसे हो सकते हैं? उन्होंने कहा कि आज की बैठक में किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा जा सका है। बैठक में हमने आगे की रणनीति पर चर्चा की है। आगे जो भी होगा, उसकी जानकारी केसी वेणुगोपाल देंगे।

सीएलपी पर भी खींचतान शुरू

2019 में कांग्रेस 31 विधायकों के साथ प्रमुख विपक्षी पार्टी थी। भूपेंद्र हुड्डा विधायक दल का नेता (सीएलपी) और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने। अब कांग्रेस के 37 विधायक जीते हैं। ऐसे में विधायक दल के पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। हुड्डा खेमे को निशाने पर लिया जा रहा है। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठ रही है। सूत्रों का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम में हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया पर भी गाज गिरनी तय है।

बाबरिया नहीं बना पाए संतुलन

टिकट आवंटन के दौरान दीपक बाबरिया कहते रहे कि मैरिट पर टिकट दी जाएंगी और जिताऊ चेहरों को उतारा जाएगा। कई मौजूदा विधायकों के खिलाफ एंटी-इन्कमबेंसी की बात कही जा रही थी। लेकिन फिर भी सिटिंग-गैटिंग का फार्मूला लागू किया गया। रादौर से बिशनलाल सैनी, गोहाना से जगबीर सिंह मलिक, सफीदों से सुभाष गांगोली, खरखौदा में जयवीर सिंह वाल्मीकि, इसराना में बलबीर सिंह मलिक सहित कई ऐसे विधायक थे, जिनकी जीत पर पहले से ही सवाल उठ रहे थे। इतना ही नहीं, कई हलकों में मजबूत उम्मीदवारों की अनदेखी करके ऐसे चेहरों को टिकट दिया गया, जो हार गए। सैलजा व रणदीप सुरजेवाला बाबरिया की कार्यशैली पर काफी पहले से सवाल उठा रहे थे।

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