ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 6 मई
सरकारी अस्तपालों में लचर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और निजी अस्पतालों में महंगे इलाज के बीच गरीबों के लिए सबसे बड़ी समस्या है ‘आयुष्मान’ होने की। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत’ गरीब तबके लिए ‘संजीवनी’ बनकर सामने आई है। कोरोना, कैंसर या फिर किसी अन्य गंभीर बीमारी में लोग योजना का लाभ उठा रहे हैं। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार ने इस योजना को लागू करने में तत्परता दिखाई है और लगभग सभी जिलों में पात्र लोग इसका लाभ उठा रहे हैं। कैथल जिले में 20 हजार से ज्यादा लोगों के लिए यह जीवनदायिनी बनी है। संभवत: यह पहली योजना है, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिट्ठियां लोगों के घर आईं और उन चिट्ठियों का क्रियान्वयन हुआ। हरियाणा में भी इन चट्ठियों के आधार पर गरीबों के आयुष्मान कार्ड बने। कैथल के डीसी प्रदीप दहिया ने योजना के पात्र लोगों की इलाज में मदद की और उनके ‘आयुष्मान’ कार्ड भी बनवाए। कैथल प्रशासन की शाबासी इस बात में है कि यहां जिले के 92 प्रतिशत पात्र लोगों के योजना के तहत कार्ड बन चुके हैं।
प्रशासन ने जगह-जगह शिविर लगाकर कार्ड बनवाए। 326 अटल सेवा केंद्रों पर भी निशुल्क कार्ड बने। जिले में करीब 20104 लोग आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त इलाज करा चुके हैं। इन पर करीब 20.30 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इनमें से कई ऐसे थे, जिनकी जान पर बन आई थी। किसी के दिल का आपरेशन होना था तो कोई कैंसर से जूझ रहा था। किसी के घुटने की समस्या थी तो किसी को आंखों की बीमारी थी। पैसे के अभाव में गरीब लोगों की सेहत पर संकट था, ऐसे में आयुष्मान योजना उनके लिए संजीवनी बनी। दैनिक ट्रिब्यून ने कुछ ऐसे लोगों से बात की, जिनके लिए यह योजना आयुष्मान भव: साबित हुई।
आखिर क्यों पड़ी योजना की जरूरत
नेशनल सैंपल सर्वे आर्गेनाजेशन ने 71वें रॉउड में पाया कि 85 प्रतिशत ग्रामीण व 82 प्रतिशत शहरी लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है। सर्वे में यह भी सामने आया कि ग्रामीण आबादी में 24 प्रतिशत व शहरी आबादी में 18 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें बीमारी के इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता है।
यह है कैथल की स्थिति
कैथल में 3 लाख 24 हजार 166 लोगों के नाम आयुष्मान योजना की सूची में हैं। 92 % पात्र लोग कार्ड बनवा चुके हैं। यह नाम वर्ष 2018 में सामाजिक आर्थिक एवं जातीय सर्वेक्षण वर्ष 2011 के आधार पर आये। इसके बाद यह सूची अपडेट हुई और अब इसमें 64906 परिवार शामिल हैं। इसी आधार पर ये लाभार्थी ढूंढे गए। इनमें से कैथल जिले में 59618 परिवारों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। 5288 लोगों के कार्ड अभी पैंडिंग हैं। योजना का लाभ उन्हीं लोगों को मिल सकता है, जिनके पास आयुष्मान कार्ड है।
11 निजी अस्पताल पैनल पर
योजना की शुरुआत में सिविल अस्पताल सहित 2 निजी अस्पताल शाह और सिग्नस ही पैनल पर थे। अब 11 निजी और 7 सरकारी अस्पताल योजना के तहत पैनल पर हैं। इनमें जयपुर मल्टी स्पेशलिटी, हड्डी रोग विशेषज्ञ जैन अस्पताल, गणपति अस्पताल, मित्तल अस्पताल, कंसल अस्पताल, जयप्रकाश अस्पताल, जनता अस्पताल, कीर्ति अस्पताल, सूद अस्पताल भी योजना से जुड़ चुके हैं। अब इन अस्पतालों में भी जरूरतमंद परिवारों के लोग योजना के तहत निशुल्क इलाज ले रहे हैं।
कार्ड बनवाकर लाभ उठाएं लोग
डिप्टी सिविल सर्जन एवं आयुष्मान भारत योजना के जिला नोडल अधिकारी डा. नीरज मंगला ने कहा कि सीएचसी सीवन, राजौंद, कलायत, गुहला, पूंडरी, कौल व जिला नागरिक अस्पताल में आयुष्मान योजना के कार्ड बनवाए जा सकते हैं। 326 अटल सेवा केंद्रों पर भी यह सुविधा है। लोग ज्यादा से ज्यादा कार्ड बनवाकर सुविधा का लाभ उठाएं।
-डा. नीरज मंगला, जिला नोडल अधिकारी
कई परिवारों को मिला लाभ
मिला नया जीवनदान : जसवंती बताती है कि उनके पति प्रीतम का डाक्टरों ने हार्ट का ऑपरेशन बोल दिया। उनके पास आयुष्मान कार्ड नहीं थी। सिर्फ प्रधानमंत्री की चिट्ठी थी, जिसमें कहा गया था कि आपका नाम आयुष्मान योजना में है और योजना का लाभ उठाएं। वह परेशानी में थीं। उन्होंने प्रशासन का दरवाजा खटखटाया। डीसी ने उनका न केवल कार्ड बनवाया, बल्कि पति का इलाज भी करवाया। उनके पति का ऑपरेशन हुआ, लेकिन कोई पैसा नहीं लगा। जसवंती कहती हैं कि आयुष्मान योजना ने हमारे परिवार को नया जीवनदान दिया है। उसके पास खर्चने के लिए 1.50 लाख रुपये नहीं थे। प्रीतम कहते हैं कि अब वह अपनी चाय की दुकान चलाते हैं और परिवार का गुजारा कर रहे हैं। जसवंती कहती है कि अगर नीयत साफ हो और किसी की मदद करने का जज्बा हो तो कुछ भी असंभव नहीं है।
92 % पात्र लोगों ने उठाया योजना का लाभ : डीसी
डीसी प्रदीप दहिया ने कहा कि प्रशासन का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को योजनाओं का लाभ पहुंचाना है। एक जिला स्तरीय शिकायत कमेटी में ऐसे लोगों की शिकायतें भी सुनी जाती हैं। लोग अपने कार्ड बनवा लें। 92 प्रतिशत पात्र लोगों के कार्ड जिला प्रशासन द्वारा बना दिए गए हैं। कुछ ने कार्ड बनवाने के लिए प्रशासन को ठीक जानकारी नहीं दी थी। प्रशासन ने ऐसे लोगों के नाम योजना से हटाए हैं। प्रशासन हर ब्लाक में स्वास्थ्य जांच शिविरों में इस योजना के बारे में जानकारी देगा।
ताई चलने लगी : बुजुर्ग ताई महेन्द्र कौर का कहना था कि वह चलने में असमर्थ थीं। इतने पैसे नहीं थे कि इलाज करवा सकें। लेकिन आयुष्मान योजना का ऐसा फायदा हुआ कि उनके घुटनों का ऑपरेशन हो गया। अब वह अच्छे से चल सकती हैं।
फ्री में पड़े स्टंट : पूंडरी निवासी बलकार का कहना है कि डॉक्टरों ने उनके हार्ट का ऑपरेशन बोल दिया था। पैसे थे नहीं। परिजनों की परेशानी बढ़ गई। लेकिन आयुष्मान के तहत उनके 4 स्टंट फ्री में पड़ गए। आयुष्मान योजना ने न केवल उनकी जान बचाई, बल्कि कर्ज के बोझ तले दबने से भी बचाया।