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बाढ़ में बहे पत्थर, हथिनी कुंड बैराज को खतरा !

सुरेंद्र मेहता/हप्र यमुनानगर, 20 जुलाई उत्तराखंड, हिमाचल में हुई भारी बारिश के बाद लगातार 97 घंटे तक चले बाढ़ के पानी ने देश के 5 राज्यों को पानी सप्लाई करने वाले हथिनी कुंड बैराज को काफी क्षतिग्रस्त कर दिया है।...
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हथिनी कुंड बैराज के पास स्ापोर्टिंग वाल के पास काम करते लोग। - हप्र
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सुरेंद्र मेहता/हप्र

यमुनानगर, 20 जुलाई

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उत्तराखंड, हिमाचल में हुई भारी बारिश के बाद लगातार 97 घंटे तक चले बाढ़ के पानी ने देश के 5 राज्यों को पानी सप्लाई करने वाले हथिनी कुंड बैराज को काफी क्षतिग्रस्त कर दिया है। बैराज की स्ापोर्टिंग वाल एवं ब्लॉक व पत्थर बह गए हैं। अगर अब मानसून के दौरान इससे अधिक बारिश होती है तो यह बैराज के स्ट्रक्चर के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। इससे न केवल हरियाणा, उत्तर प्रदेश बल्कि दिल्ली में भारी तबाही हो सकती है। इसे लेकर सिंचाई विभाग के अधिकारी चिंतित हैं।

9 जुलाई को भारी बाढ़ के कारण यमुनानगर स्थित हथिनी कुंड बैराज के सभी 18 गेट खोल दिए गए थे। ये लगातार 97 घंटे तक खुले रहे। इस दौरान पहाड़ी इलाकों से आया पानी बैराज से गुजरा। इसके चलते बैराज की स्ापोर्टिंग वाल, काफी संख्या में ब्लॉक व पत्थर बह गए। बैराज का बेड, जो के निर्माण के समय 325 मीटर पर था अब 315 मीटर का रह गया है। बैराज 995000 क्यूूसेक पानी की क्षमता के लिए बनाया गया है। लेकिन 2010 को ताजे वाला हेडवर्क्स के बहने के बाद बैराज के बेड को काफी नुकसान हुआ है। उसी का स्थाई समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी के पास सिंचाई विभाग ने अपनी रिपोर्ट सबमिट की थी, जिसके बाद सीडब्ल्यूसी के अधिकारियों ने इस बैराज को बचाने के लिए ड्राइंग बनाई है। इस पर अगले 2 महीनों में टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह काम अगले मानसून सीजन से पहले ही पूरा हो पाएगा। उन्होंने कहा कि यह 40 से 50 वर्षों तक का हल होगा।

सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर आरएस मित्तल ने कहा कि स्ापोर्टिंग वाल व पत्थर बहने के बाद अभी अस्थाई तौर पर बैराज के डैमेज को कंट्रोल करने के लिए कार्य शुरू किया गया है, क्योंकि अभी मानसून सीजन चल रहा है। ऐसे में बैराज को कितना नुकसान हुआ है यह ठीक से पता नहीं चल पाएगा। पानी उतरने के बाद सही स्थिति का आकलन होगा। उन्होंने कहा कि पिछले साल बैराज पर इसलिए काम नहीं किया गया, क्योंकि हम इसका स्थाई समाधान निकालना चाहते हैं। जिससे बैराज को लंबे समय तक खतरा न हो। इस बार जो नुकसान हुआ है, उसकी मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है।

...तो होता ज्यादा खतरा

सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर आरएस मित्तल ने कहा कि इस बार सीडब्ल्यूसी की अनुमति से एक लाख क्यूसेक पानी होने के बाद नहरें बंद की गई, जबकि पहले 70 हजार क्यूसेक पानी के बाद नहरें बंद कर दी जाती थीं। अगर नहरें 70 हजार क्युसेक के बाद बंद की जाती तो 97 घंटे की बजाय 128 घंटे पानी यमुना से क्रॉस होता, जिससे बैराज को ज्यादा नुकसान होता और ज्यादा खतरा पैदा हो सकता था।

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