दिनेश भारद्वाज/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 23 फरवरी
हरियाणा के गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मनोज यादव रास नहीं आए। यादव के साथ उनकी ट्यनिंग पहले ही दिन से नहीं बैठी। डीजीपी का दो साल का कार्यकाल 21 फरवरी को पूरा हो चुका है। हालांकि सरकार ने उन्हें जनवरी में ही आगामी आदेशों तक एक्सटेंशन दे दी थी, लेकिन विज इससे सहमत नहीं हैं। गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा को पत्र लिखकर 2 मार्च से डीजीपी का पद खाली समझने के आदेश दे दिए हैं।
सरकार के एक्सटेंशन आदेशों को धत्ता बताते हुए विज ने गृह सचिव को नये डीजीपी के लिए 7 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम का पैनल केंद्रीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजने के निर्देश दिए हैं। इस काम के लिए गृह सचिव को भी एक सप्ताह की मोहलत दी है। उन्हें दो-टूक कहा है कि अगर इसमें किसी तरह की अड़चन है तो इसे तुरंत दूर किया जाए। इन निर्देशों के बाद अब गृह सचिव प्रपोजल बनाकर भेजेंगे। गृह मंत्री के जरिये यह प्रस्ताव सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) तक जाएगा।
विज ने गृह सचिव को लिखे पत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लेख किया है। दरअसल, सुप्रीमकोर्ट ने डीजीपी की नियुक्ति का अधिकार राज्यों से छीना हुआ है। सुप्रीमकोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि डीजीपी की नियुक्ति दो वर्षों के लिए यूपीएससी के जरिये होगी। राज्य सरकारों को डीजीपी के नये यूपीएससी को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का पैनल बनाकर भेजना होता है।
30 साल की सर्विस वाले आईपीएस अधिकारियों के पैनल में से यूपीएससी 3 अधिकारियों के नाम का चयन करके वापस भेजता है। सरकार के पास यह विकल्प रहता है कि वह यूपीएससी द्वारा भेजे गए तीन अधिकारियों के फाइनल पैनल में से किसी को भी डीजीपी नियुक्त कर सकती है। 2019 में इसी प्रक्रिया के तहत डीजीपी पद पर मनोज यादव की नियुक्ति हुई थी। मनोज यादव के डीजीपी पद के लि 18 फरवरी, 2019 को नियुक्ति आदेश जारी किए गए थे। उनका दो साल का कार्यकाल मंगलवार (23 फरवरी) को पूरा हो गया।
इससे पहले ही सरकार ने जनवरी माह में मनोज यादव को आगामी आदेशों तक के लिए एक्सटेंशन दे दी थी। माना जा रहा है कि यह एक्सटेंशन किसानों के आंदोलन को देखते हुए दी थी। विज ने मंगलवार को ही गृह सचिव को आदेश जारी करके डीजीपी के लिए पैनल बनाने को कहा है ताकि इसे यूपीएससी के पास भेजा जा सके। सूत्रों का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया में मुख्यमंत्री की मंजूरी अनिवार्य है। ऐसे में गृह मंत्रालय से फाइल सीएमओ में जाएगी।
डीजी के लिए हो चुके एम्पेनलमेन्ट
पिछले दिनों मनोज यादव का केंद्र में डीजी (महानिदेशक) पद के लिए एम्पेनलमेंट हो चुका है। उनकी रिटायरमेंट 31 जुलाई, 2025 में होनी है। ऐसे में हरियाणा के डीजीपी पद से हटने के बाद वे केंद्र में किसी भी पैरा-मिल्ट्री फोर्स या एजेंसी के महानिदेशक पद पर नियुक्त हो सकते हैं। हरियाणा आने से पहले भी वे आईबी में रह चुके हैं। उनकी गिनती केंद्र सरकार के करीबियों में होती है।
डीजीपी के लिए तय हैं शर्तें
डीजीपी पद के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद यूपीएससी ने शर्तें तय की हुई हैं। डीजीपी पद पर उसी आईपीएस का चयन हो सकता है, जिसकी सर्विस 30 वर्ष या इससे अधिक हो। डीजीपी के लिए यह शर्त भी है कि नियुक्ति के समय उसकी रिटायरमेंट में 6 माह से कम का समय न हो। अगर कोई 6 महीने पहले रिटायर होने वाला है तो उसे डीजीपी नहीं बनाया जा सकता। चयन के दौरान सर्विस रिकार्ड व एसीआर आदि का भी अध्ययन यूपीएससी करता है।
इन अधिकारियों में रहेगी दौड़
नये डीजीपी के लिए 1988 बैच के आईपीएस पीके अग्रवाल, 1989 बैच के आरसी मिश्रा व मोहम्मद अकील, शुत्रजीत कपूर, देशराज सिंह, संजीव जैन तथा आलोक राय के नाम पैनल में शामिल हो सकते हैं। 1989 बैच के आईपीएस एसएस देशवाल तथा 1986 बैच के केके संधू भी डीजीपी हैं, लेकिन दोनों की रिटायरमेंट इसी साल होने के चलते उनका नंबर पैनल में आने की उम्मीद नहीं है। दोनों आईपीएस अधिकारियों की रिटायरमेंट छह महीने के अंदर ही होने वाली है।
गृह सचिव से भी जवाब तलब
सूत्रों का कहना है कि डीजीपी का पैनल बनाने में हुई देरी के लिए गृह मंत्री ने गृह सचिव राजीव अरोड़ा से भी जवाब तलब किया है। दरअसल, मंगलवार को लिखे गए पत्र से पहले भी विज 31 दिसंबर, 2020 को गृह सचिव को इस बारे में चिट्ठी लिख चुके हैं। बताते हैं कि इस चिट्ठी पर गृह सचिव ने किसी तरह की कार्यवाही नहीं की। इसीलिए अब विज ने गृह सचिव ने पूछा है कि वे बताएं कि पैनल बनाने की प्रक्रिया में देरी क्यों की गई।