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Haryana News : सरकारी स्कूलों में ‘प्रवेश उत्सव’ शुरू, घर-घर पहुंचेंगे मास्टरजी; सामने होगी ये चुनौती

जनवरी में हुआ था ड्रॉपआउट बच्चों का सर्वे, सभी जिलों में भेजी रिपोर्ट
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

दिनेश भारद्वाज

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चंडीगढ़, 4 अप्रैल।

हरियाणा के सरकारी स्कूलों में ड्रॉपआउट रोकना ही नहीं बल्कि स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस लाने का जिम्मा भी ‘गुरुजी’ के कंधों पर रहेगा। जनवरी में करवाए गए सर्वे में यह बात सामने आई कि 33 हजार 938 ऐसे बच्चे हैं, जिन्होंने बीच में पढ़ाई छोड़ी है। सरकार ने इन बच्चों को फिर से स्कूल में लाने और उनके हाथों में ‘कलम’ थमाने का जिम्मा मास्टरजी को सौंपा है।

राज्य के सरकारी स्कूलों में ‘प्रवेश उत्सव’ शुरू हो चुका है। इसके तहत सरकारी स्कूलों के शिक्षक शहरों व गांवों में गली-गली और मोहल्ले-मोहल्ले पहुंच कर अभिभावकों से संपर्क करेंगे ताकि उनके बच्चों का स्कूलों में एडमिशन करवाया जा सके। शिक्षकों का उन छात्रों पर ज्यादा फोकस है, जोकि स्कूल छोड़ चुके हैं। इनमें 6 से 14 आयु वर्ग के 33,938 बच्चे शामिल हैं, जो पढ़ाई अधर में छोड़ चुके हैं। विभाग की ओर से शिक्षकों को उन बच्चों की सूची थमाई गई है, जो स्कूल छोड़ चुके हैं।

प्रवेश उत्सव को सफल बनाने के लिए निदेशालय की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारियों के साथ स्कूल मुखियाओं को स्कूल से बाहर या फिर ड्राप आउट की पहचान करने और उन्हें स्कूलों में नामांकित करने के निर्देश दिए हैं। अधर में पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों की सूची प्राबधान पोर्टल पर जिलावार अपलोड की गई है। निदेशालय की ओर से कड़ी हिदायत दी गई है कि आरटीई अधिनियम 2009 के मानदंडों से दूर रहने वाले प्रत्येक बच्चे को कवर करने के लिए, डीईओएस और डीईईओ के नेतृत्व में डीपीसी के साथ नामांकन किया जाएगा।

इन इलाकों पर रहेगा फोकस

शिक्षा निदेशक की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि शिक्षकों द्वारा स्कूलों से वंचित क्षेत्रों, निर्माण स्थलों, ईंट भट्टों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की अधिक आबादी वाले क्षेत्रों, बेघर बच्चों, भिखारियों, अनाथ/बेघर बच्चों, प्रवासी बच्चों, विमुक्त/आदिम जनजातीय समूहों को 100 प्रतिशत कवरेज किया जाएगा। विभाग ने कड़े निर्देश दिए हैं कि जिन बच्चों की सूची प्राबधान पोर्टल पर अपलोड की गई है उन्हें दोबारा सर्वे में शामिल नहीं किया जाएगा। आगामी 15 अप्रैल तक जिलावार निदेशालय को रिपोर्ट भेजनी होगी।

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