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Haryana News : पाठ्य पुस्तकों के नाम पर लूट, अभिभावक ने उपभोक्ता अदालत की ली शरण तो स्कूल संचालक पर हुआ एक्शन, एक लाख लगा जुर्माना

जुर्माना अदा नहीं करने पर होगी 3 साल कैद की सजा
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तरुण जैन

रेवाड़ी हप्र

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शिक्षा मंदिर चलाने वालों की लूट की जब सभी हदें पार गईं तो परेशान एक अभिभावक ने उपभोक्ता अदालत की शरण ली और जीत दर्ज की। अदालत ने स्कूल संचालक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश पारित करते हुए कहा कि यदि यह जुर्माना राशि समय पर अदा नहीं की गई तो तीन माह कैद की सजा भुगतनी होगी।

बावल के गांव मोहम्मदपुर के शुभराम ने कहा कि उसकी बेटी व बेटा वर्ष 2023 में बावल के निकटवर्ती गांव बालावास जाट स्थित सीआर भारती विद्या मंदिर में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। स्कूल प्रबंधन ने पाठ्य पुस्तकें विशेष स्थान से खरीदने के लिए बाध्य किया। जब वह स्कूल द्वारा निर्देशित संस्थान पर पाठ्य पुस्तकें खरीदने के लिए पहुंचा तो भारी भरकम बिल देखकर उसका माथा घूम गया।

उसे किताबों का एक बंडल देकर 5 हजार रुपये बिल थमा दिया गया। वह रुपये नहीं होने का बहाना बनाकर किसी दूसरे संस्थान के पास पुस्तकें लेने पहुंचा तो वे पुस्तकें कहीं भी नहीं मिली। आखिर में उसे बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए 5 हजार रुपये चुका कर पुस्तकें खरीदनी पड़ी। उन्होंने कहा कि किसी भी पुस्तक पर अधिकतम मूल्य (एमआरपी) अंकित नहीं थी।

तब उसे समझ में आया कि दाल में कुछ काला है। तत्पश्चात उसने अदालत का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया और वकील धीरेन्द्र यादव, चरण सिंह, अंकित सिरोहा व धमेन्द्र के माध्यम से जिला उपभोक्ता अदालत में याचिका दायर कर दी। अदालत के चेयरपर्सन संजय कुमार खंडूजा के समक्ष प्रस्तुत किए गए तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ पुस्तक विके्रता संस्थानों को भी दोषी करार दिया।

आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि जुर्माना राशि 30 दिनों में अदा नहीं की गई तो तीन साल की सजा होगी। कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित शुभराम बेहद खुश दिखाई दिए और कहा कि अदालत का यह फैसला पुस्तकों के नाम पर लूट खसोट करने वाले निजी स्कूलों पर अंकुश लगाएगा।

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