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हरियाणा सरकार जल्द लेकर आएगी लिटिगेशन पॉलिसी

हर विभाग में तैनात होंगे नोडल अधिकारी, लीगल मामलों की मॉनिटरिंग भी होगी
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27 मई को बैठक में ड्राफ्ट पेश करेंगे मुख्य सचिव
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राज्य, विभाग तथा जिला स्तर पर बनेंगी समितियां

चंडीगढ़, 24 मई (ट्रिन्यू)हरियाणा की अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार बहुत जल्द लिटिगेशन पॉलिसी लाने जा रही है। विभागीय अधिकारियों ने इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। नई पॉलिसी के जरिए वे सभी विभाग इससे जुड़ेंगे जो सार्वजनिक क्षेत्र में हैं। इस पॉलिसी के तहत इससे जुड़े सभी विभागों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। पॉलिसी के तहत हर विभाग में कानूनी पृष्ठभूमि वाले नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।

यह नियुक्ति राज्य और जिला स्तर पर की जाएगी। लिटिगेशन पॉलिसी को फाइनल बनाने के लिए 27 मई को एक बुलाई गई है। इस मीटिंग में पॉलिसी के ड्रॉफ्ट को फाइनल किया जाएगा। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में लिटिगेशन पॉलिसी के तहत किसी महकमें में समयबद्ध तरीके से केसों को निपटाने का काम किया जाएगा।

पॉलिसी को लागू करने के लिए सरकार में चीफ सेक्रेटरी ऑफिस, एजी ऑफिस, लॉ एंड लेजिस्लेटिव डिपार्टमेंट, होम डिपार्टमेंट, पब्लिक सेक्टर डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष, लॉ अफसर, डिपार्टमेंट आफ प्रॉसीक्यूशन शामिल हैं। इस पॉलिसी को तीन स्तर पर लागू किया जाएगा। स्टेट लेवल एमपावर्ड कमेटी, डिपार्टमेंट लेवल एमपावर्ड कमेटी, डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटी को शामिल किया गया है। ये कमेटियां अपने अधिकार क्षेत्रों में पड़ने वाले लीगल केसों की मॉनिटरिंग करेंगी, जो डिस्ट्रिक्ट लेवल एमपावर्ड कमेटी हर महीने अपनी रिपोर्ट देंगे।

डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटी को डीसी हेड करेगा। डिपार्टमेंट एमपावर्ड कमेटी का गठन प्रशासकीय सचिव की अध्यक्षता में किया जाएगा। स्टेट लेवल एमपावर्ड कमेटी को चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनाई जाएगी। एडवोकेट जनरल ऑफिस का भी इस कमेटी में इन्वॉल्वमेंट रहेगा। पॉलिसी में प्रस्ताव किया गया है कि सभी विभाग शिकायत निवारण कमेटियां गठित करेंगी। ताकि जो अनावश्यक रूप से कानूनी केस हैं उनसे बचा जो सके। कमेटी यह भी तय करेगी कि लोगों की शिकायत को गंभीरता से निपटारा हो। पॉलिसी के नोटिफिकेशन के बाद 14 दिन के भीतर ही इन कमेटियों का गठन किया जाएगा। कमेटी को जो भी शिकायत मिलेगी उस पर सात दिन में कार्रवाई शुरू की जाएगी। इसके साथ ही कमेटी 30 दिन के भीतर जो भी केस से संबंधित सिफारिश है उसे उच्चाधिकारियों को भेजेगी। कमेटियां ये भी सुनिश्चत करेंगी कि विभागों में जो भी पेडिंग केस हैं उनको लोक अदालत में लाया जाए और उनका निस्तारण कराया जाए।

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