कुरुक्षेत्र, 11 नवंबर (हप्र)
स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता महोत्सव से पूर्व आजादी का अमृत महोत्सव के तहत् इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। महाभारत की भूमि में भगवान कृष्ण ने पांच हजार वर्ष पहले जब दुनिया को गीता का संदेश दिया था। श्रीमद्भगवद्गीता उस समय भी प्रासंगिक था और आज उससे भी अधिक प्रासंगिक है। वर्तमान विश्व व समाज की सभी समस्याओं का हल श्रीमद्भगवद्गीता में निहित है। इस ग्रन्थ को जीवन में अपनाकर ही विश्व का कल्याण संभव है। वे गुरूवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में श्रीमद्भगवद्गीता अध्ययन केन्द्र व युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग की ओर से विश्व शांति स्थापना में श्रीमद्भगवद्गीता की प्रासंगिकता विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस मौके पर स्वामी ज्ञानानंद, कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने शिक्षिका सरिता आर्य की पुस्तक का विमोचन भी किया। स्वामी ज्ञानानंद ने कहा गीता समाधान है, संविधान है गीता स्वाभिमान है। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि वेंदों का सार गीता के अंदर है। उपनिषदों का सार भी गीता में है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. सुधीर आर्य ने कहा कि पूरे विश्व पर युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। विश्व शान्ति के लिए व युद्ध से बचने के लिए हमें गीता को जीवन में धारण करना होगा। विशिष्ट अतिथि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि कुरुक्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं है तथा गीता के कारण कुरुक्षेत्र की विश्व पटल पर अमिट पहचान बन चुकी है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, साक्षी महाराज, प्रो. आरके देसवाल, डॉ. भगत सिंह, प्रो. राजपाल, प्रो. विभा अग्रवाल, डॉ. विजय कुमार, डॉ. परमेश कुमार, डॉ. कुसुम, प्राचार्य डॉ. जोशी सहित गीता विद्वतजन, इस्कान के विद्यार्थी व बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।