सुरेंद्र मेहता/निस
यमुनानगर 14 जुलाई
हथिनी कुंड बैराज के गेट 96 घंटे बाद बंद कर दिए गए। फिलहाल 60 हजार क्यूसेक से अधिक पानी यमुना में चल रहा है। पहाड़ी इलाकों में फिलहाल बारिश नहीं है, जिसके चलते सिंचाई विभाग को कुछ राहत मिली है। यमुना के साथ लगते कई इलाकों में भूमि कटाव शुरू हो चुका है। सबसे ज्यादा टापू कमालपुर में ग्रामीण चिंतित हैं, क्योंकि यमुना का रुख लगातार टापू कमालपुर की तरफ हो रहा है । जैसे-जैसे भूमि कटाव बढ़ रहा है वैसे-वैसे ग्रामीणों की चिंताएं भी बढ़ने लगी हैं। वही सिंचाई विभाग के कर्मचारी रेत व मिट्टी से भरे कटे लेकर यमुना के किनारों में डाल रहे हैं, ताकि भूमि कटाव रुक सके। सैकड़ों की संख्या में पेड़ भी काटकर यमुना में गिराए गए हैं, ताकि कम से कम भूमि कटाव हो। यहां लगभग एक किलोमीटर का इलाका भूमि कटाव में आ चुका है, जिस जगह से यमुना में भूमि का कटाव जारी है उससे कुछ दूरी पर ही गांव की आबादी शुरू हो जाती है। अगर पहाड़ों पर और ज्यादा बारिश हुई, यमुना में फिर से पानी आया तो इस गांव के लिए काफी दिक्कत बड़ा हो सकता है। बसपा के जिला प्रभारी राजेश कटारिया ने बिलासपुर के सरस्वती नदी.व सोम नदी से बाढ़ग्रस्त गांव ककडौनी, ब्राह्मण खेड़ा, टेही जटान,टेहा ब्राह्मण आदि गांवों का दौरा किया।
टापू कमालपुर से पलायन शुरू
यमुनानगर के टापू कमालपुर से लोगों ने पलायन शुरू कर दिया है। कापुी परिवार यहां से अपना सामान, पशुओं के साथ दूसरे स्थानों पा जा चुके हैं। उनको डर है कि कहीं दोबारा से पानी आ गया और भूमि कटाव बढ़ गया तो पूरी आबादी के लिए खतरा पैदा हो जाएगा। गांव निवासियों का कहना है कि वह पिछले लंबे समय से प्रशासनिक अधिकारियों के यहां चक्कर लगा चुके हैं की बाढ़ आने से पहले यमुना के किनारों को पक्का किया जाए। लेकिन 2013 की बाढ़ के बाद से टापू कमालपुर में कोई कार्य नहीं किया, जिसके चलते उन्हें इस तरह की दिक्कत आई।