देशपाल सौरोत/हप्र
पलवल, 3 अप्रैल
कोरोना काल में पलवल के 200 गांवों में मनरेगा योजना में 52 करोड़ घोटाला सामने आया है। घोटाला उजागर होने पर डीसी रेट पर लगे 8 कर्मचारी स्वेच्छा से इस्तीफा भी दे चुके हैं। जांच के दौरान सब कुछ फर्जी मिला। मजदूरों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए और उनका भुगतान भी फर्जी पत्तों पर किया गया। फर्जीवाड़े में सरपंच, ग्राम सचिव, एबीपीओ, पीओ, जेई, एसडीओ से लेकर बीडीपीओ तक शामिल पाए गए। इस घोटाले को लेकर प्रदेश के पंचायत एवं विकास मंत्री देवेंद्र बबली द्वारा स्टेट विजिलेंस को पत्र लिखकर जांच सौंपे जाने के बाद इस घोटाले में लिप्त अधिकारियों, ठेकेदारों, सरपंच सहित ग्राम सचिवों की सांसें फूलने लगी हैं। जानकारी के अनुसार स्टेट विजिलेंस ने जांच के लिए स्पेशल टीम भी गठित कर दी है। बता दें कि कोरोना काल के 2 वर्ष में पलवल जिले के अंदर मनरेगा कार्यों में करीब 52 करोड़ रुपए का घोटाला होने की शिकायतें मिली हैं। पलवल जिला के ब्लाक पलवल, हथीन, होडल, हसनपुर, बड़ौली व पृथला के करीब 200 गांवों में मनरेगा के तहत मिट्टी डालने का काम किया गया था। सीईओ जिला परिषद प्रशांत कुमार ने 66 गांवों की जांच में कहीं भी काम नहीं मिला। वहीं, मनरेगा लोकपाल पंकज शर्मा ने जांच शुरू की तो किसी गांव में काम होना नहीं पाया गया। अधिकारियों की जांच के बाद चंडीगढ़ से आई टीम ने भी जांच के दौरान घोटाला होने की पुष्टि की। जिसके बाद अब लोकपाल ने जांच रिपोर्ट चंडीगढ पहुंचते ही पंचायत मंत्री देवेन्द्र बब्ली ने स्टेट विजिलेंस को जांच के आदेश दिए। अगले सप्ताह में विजिलेंस जांच के लिए रिकार्ड को कब्जे में ले सकती है। स्टेट विजिलेंस ने जांच के लिए स्पेशल टीम भी गठित कर दी है।
कहां-कहां हुआ फर्जीवाड़ा
कोरोना काल के दो वर्ष में पलवल में 10 करोड़, हथीन ब्लॉक में करीब 13 करोड़ रुपए का, होडल में 6 करोड़ का, हसनपुर में 10 करोड़ रुपए, बड़ौली में 7 करोड़ रुपए और पृथला में 3 करोड़ रुपए मनरेगा में तहत हुए कार्यों में खर्च किए गए हैं।