सड़क किनारे मिट्टी भरने से हरियाली और किसानों को खतरा, विभाग खामोश
बराड़ा, 7 जून (निस)
बराड़ा-दोसड़का मार्ग पर होली के समीप सड़क किनारे की भूमि को कई एकड़ तक मिट्टी से भर दिया गया है। यह कार्य कथित रूप से एक प्रस्तावित पेट्रोल पंप के लिए किया गया है, लेकिन इसके सामाजिक, पर्यावरणीय और कृषि संबंधी दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं। बारिश के मौसम की आहट के बीच स्थानीय किसान इस कार्य से चिंतित हैं, वहीं विभागीय स्तर पर चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।
स्थानीय किसानों का कहना है कि जिस तरह बिना उचित जल निकासी की व्यवस्था के सड़क की जमीन पर मिट्टी डाली गई है, उससे बरसात में सड़क किनारे का पानी खेतों में भर सकता है। आमतौर पर ऐसे निर्माणों में पाइप डालकर जल निकासी की व्यवस्था की जाती है, परंतु इस स्थान पर ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया।
बराड़ा निवासी एक किसान जयदीप सिंह, रोहताश, राजबीर ने बताया कि हम वर्षों से खेतों में काम कर रहे हैं, लेकिन कभी भी सड़क की जमीन पर इस प्रकार कब्जा नहीं किया। हम पुराने रास्तों से ही खेतों में जाते रहे हैं। अब यदि हर कोई इसी तरह मिट्टी भरकर जमीन घेरने लगे तो खेती, हरियाली और सार्वजनिक भूमि तीनों पर संकट आ जाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार, बराड़ा-दोसड़का मार्ग पर जहां मिट्टी का भराव किया गया है, वहां अब वृक्षों की संख्या नगण्य हो गई है। यह इलाका पहले सड़क किनारे लगे वृक्षों के लिए जाना जाता था, लेकिन अब केवल गिने-चुने पेड़ ही बचे हैं। ऐसे में वन क्षेत्र और पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को लेकर भी चिंता बढ़ गई है।
इतने बड़े पैमाने पर मिट्टी भराव और पेड़ों की कटाई के बावजूद अभी तक किसी प्रकार की विभागीय कार्रवाई नहीं हुई है।
विभाग का पक्ष
इस मामले में वन विभाग, बराड़ा के अधिकारी सुजैन सिंह डोगरा ने बताया कि यहां पेट्रोल पंप निर्माण प्रस्तावित है और इसके लिए मालिक द्वारा विभाग से आवश्यक अनुमति ली गई है। भूमि की पैमाइश कराकर रिपोर्ट विभाग को भेजी गई थी। वन विभाग को पेड़ों और भूमि का मुआवजा दिया गया है। निर्माण कार्य की अनुमति केवल रास्ते के लिए दी गई है, न कि भवन निर्माण के लिए। इसके अलावा अन्य संबंधित विभागों से भी स्वीकृति लेना अनिवार्य है।