चंडीगढ़, 20 मई (ट्रिन्यू)
हरियाणा के विधायकों को उनके हलकों के लिए पांच करोड़ रुपये की योजना को लेकर छिड़े विवाद पर सीएम मनोहर लाल खट्टर ने स्पष्टीकरण दिया है। उनका कहना है कि यह योजना सालाना पांच करोड़ रुपये की नहीं बल्कि टर्म में एक बार पांच करोड़ तक के विकास कार्य करवाने के लिए है। बेरी विधायक डॉ़ रघुबीर सिंह कादियान, रेवाड़ी विधायक चिरंजीव राव व चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ऐसे हैं, जो इस योजना का लाभ लेने में बुरी तरह से पिछड़े हैं। इन तीनों ही विधायकों ने अपने हलकों के लिए आज तक एक भी विकास कार्य के लिए सरकार को नहीं लिखा है। विपक्ष के विधायकों द्वारा लगाए जा रहे अनदेखी के आरोपों पर सीएम ने कहा, पहले कार्यकाल के दौरान इस योजना की शुरुआत हुई थी। राज्य में 90 विधायक हैं। इनमें से 22 विधायक ऐसे हैं, जिनके पांच करोड़ रुपये से अधिक धनराशि के विकास कार्य करवाए हैं। इनमें अधिकतम राशि 5 करोड़ 84 लाख रुपये की है। 10 विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने 4.75 करोड़ रुपये से पांच करोड़ रुपये तक के काम कराए हैं। 32 विधायक ऐसे हैं, जो चार से पौने पांच करोड़ रुपये तक के काम करा सके हैं। 26 विधायकों ने इससे भी कम काम कराए हैं। सीएम ने कहा कि हमने किसी विधायकों को सीधे धनराशि देने की कोई व्यवस्था नहीं की है। यदि वह अपने काम लेकर सरकार के पास आते हैं तो उन्हें तुरंत मंजूर किया जाएगा। ऐसे में जो विधायक यह आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें सरकार से घोषित अनुदान नहीं मिल रहा है, वह गलत आरोप है।
घट गया वन क्षेत्र
चंडीगढ़ (ट्रिन्यू) : हरियाणा में हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी वन क्षेत्र नहीं बढ़ा है। उलटा पिछले वर्षों के मुकाबले कुछ कम हो गया है। पौधरोपण पर हर साल 400 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होते हैं। विधानसभा की लोक लेखा समिति ने प्रदेश में पौधरोपण पर हुए खर्च और उसके क्रियान्वयन पर कड़ा संज्ञान लिया है। समिति को जानकारी मिली है कि हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद हरियाणा का हरित क्षेत्र देश में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। इंडिया स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 और 2021 में यह तथ्य उजागर हुआ है। लोक लेखा समिति ने प्रधान महालेखा परीक्षक से मामले का प्रणालीगत अध्ययन और निष्पादन लेखा परीक्षा करने की सिफारिश की है।