डॉक्टर मरीज देखें, फाइलें नहीं : मानव अधिकार आयोग
चंडीगढ़, 3 जून (ट्रिन्यू)
हरियाणा मानव अधिकार आयोग (HHRC) ने राज्य की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए एक निर्णायक कदम उठाते हुए डॉक्टरों को गैर-चिकित्सकीय कार्यों से मुक्त करने की सिफारिश की है। आयोग का मानना है कि डॉक्टरों का काम केवल मरीजों की देखभाल होना चाहिए, प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ नहीं।
यह आदेश शिकायत संख्या 393/3/2023 के संदर्भ में सुनवाई के दौरान दिया गया। पूर्ण पीठ की अध्यक्षता न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने की, जबकि सदस्य श्री कुलदीप जैन और श्री दीप भाटिया भी शामिल रहे।
प्रशंसा भी, सुझाव भी
आयोग ने स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में बताए गए प्रयासों की सराहना की—जैसे कि:ऑक्सीजन पीएसए प्लांट्स की स्थापना और रखरखाव, सीटी स्कैन, एमआरआई और डायलिसिस सेवाओं का विस्तार, 777 चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति।
लेकिन साथ ही आयोग ने स्पष्ट किया कि विशेषज्ञ डॉक्टरों को प्रशासनिक कार्यों में लगाना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
आयोग की प्रमुख सिफारिशें
- चिकित्सकीय और प्रशासनिक कार्यों का पृथक्करण अनिवार्य किया जाए।
- डॉक्टरों को केवल चिकित्सकीय जिम्मेदारियों तक सीमित रखा जाए।
- सरकार स्पष्ट नीति बनाकर प्रशासनिक कार्य मेडिकल सुपरिटेंडेंट्स या प्रशासनिक अफसरों को सौंपे।
- यह बदलाव NMC (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) और IPHS (भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक) के अनुरूप होगा।
आयोग ने कहा कि डॉक्टरों को संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत सम्मानजनक व दक्षता-सम्पन्न कार्य वातावरण का अधिकार प्राप्त है। अगर उन्हें फाइलों और प्रशासनिक जिम्मेदारियों में उलझाया गया, तो यह उनके अधिकारों का सीधा उल्लंघन होगा।