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डॉक्टरों के अभाव में बढ़ रहा मर्ज, नहीं मिल रही सेवाएं

भिवानी जिले में 207 स्वीकृत चिकित्सक पदों के मुकाबले केवल 105 दे रहे ड्यूटी
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उद्घाटन के इंतजार में भिवानी के मेडिकल कॉलेज का भवन। -हप्र
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अजय मल्होत्रा/ हप्र

भिवानी, 2 जनवरी

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नए साल में भिवानी के निवासियों को जहां नए मेडिकल कॉलेज के शुरू होने का इंतजार है, वहीं जिले में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं डॉक्टरों के अभाव में दम तोड़ रही हैं। जिले में स्वास्थ्य विभाग मेें नौ डिप्टी, सिविल सर्जन, प्रधान चिकित्सा अधिकारी के अलावा 32 सीनियर मेडिकल अधिकारियों के पद पिछले एक वर्ष से खाली हैं। इनमें से कई पद तो पिछले तीन वर्षों से भी ज्यादा समय से खाली हैं। इसके अलावा जिले में विभिन्न अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों मेें भी चिकित्सा अधिकारियों के 80 पद रिक्त हैं।

कई पीएचसी व सीएचसी में तो चिकित्सा सेवाएं भगवान भरोसे हैं। स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों की नियुक्ति करने की बजाय अन्य ढांचागत सेवाएं स्थापित करने में जरूर लगा है। जिला मुख्यालय पर नागरिक अस्पताल के अलावा एक राजकीय नेत्र अस्पताल, चार उपमंडल स्तर के अस्पतालों के अलावा पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 27 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। जिले में कुल 209 मेडिकल अधिकारियों के स्वीकृत पद हैं, लेकिन सेवाएं केवल 105 ही दे रहे हैं। इनमें से 70 पद तो बहुत ही लंबे समय से खाली हैं।

ज्यादा विकट स्थिति उपमंडल स्तर के अस्पतालों में हैं, जहां डॉक्टर के पद खाली होने के कारण सामान्य रूप से बीमार मरीजों को भी जिला मुख्यालय के अस्पताल में रैफर कर दिया जाता है। अगर कोई मरीज गंभीर रूप से बीमार होने पर जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में आता है तो उसे रोहतक मेडिकल रैफर करने की कोशिश रहती है।

मजेदार बात यह है कि भिवानी मुख्यालय के नागरिक अस्पताल में पिछले लगभग एक वर्ष से पीएमओ का पद भी खाली है। यहां कार्यवाहक पीएमओ के सहारे काम चल रहा है। अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्वास्थ्य सेवाएं ज्यादा गंभीर हालात में हैं। चिकित्सकों के अभाव में यहां कनिष्ठ कर्मचारी ही मरीजों को दवाइयां देते हैं। अधिकांश में एमपीएचडब्ल्यू चिकित्सकों का कार्य चला रहे हैं। यहां तक की घायलों को भी समय पर उपचार नहीं मिल पाता।

पुरानी हुई टेस्टिंग मशीनें

सामान्य अस्पताल में टेस्टिंग मशीनें पुरानी होने के कारण अब दम तोड़ रही हैं। अधिकांश मशीनें 2014 से हैं और इनमें से अब कई खराब हो चुकी हैं। ऐसे में मरीजों को ज्यादा कीमत चुका कर अस्पताल के बाहर निजी लैब में टैस्ट करवाने पड़ते हैं। फिलहाल भिवानी के नागरिक अस्पताल में ओपीडी में ही कई पद खाली हैं, जिनमें ईएनटी, रेडियोथैरिपी, कम्युनिटी मेडिसिन, चर्म रोग आदि प्रमुख हैं। भिवानी में वर्ष 2013 में कांग्रेस शासनकाल में नया मेडिकल कॉलेज स्वीकृत हुआ था, लेकिन 12 वर्ष बीत जाने के बावजूद अभी तक यह मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं हो पाया है। बताया जाता है कि आगामी सत्र में यहां मेडिकल कक्षाएं शुरू होनी हैं। इसको ध्यान में रखते हुए भिवानी मुख्यालय पर 720 बैड का अस्पताल बनाया गया है। मेडिकल कॉलेज में नए विशेषज्ञ नहीं तैनात हो पाए हैं। सूत्रों के अनुसार शुरुआती दौर में यहां केवल आपीडी शुरू होगी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी बोले मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रघुबीर शांडिल्य का कहना है कि चिकित्सकों की कमी के बारे में उच्च अधिकारियों को लगातार अवगत करवाया जा रहा है। नागरिक अस्पताल में नए भवन का प्रस्ताव भी भेजा गया है।

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