चरचा हुक्के पै
कब आएगा अच्छा दिन
हरियाणा के भाजपाई विधानसभा चुनाव के आठ माह बाद भी उस अच्छे दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब उनके नाम की चिट्ठी जारी होगी। हर माह चेयरमैनी को लेकर कोई ने कोई चर्चा छिड़ जाती है, लेकिन दो-चार दिन बाद मामला ठंडा पड़ जाता है। इसके चलते दावेदार नेताओं के चेहरों पर मायूसी आ जाती है। एक बार फिर से सरकार के गलियारों में यह बात फैली है कि जुलाई के पहले पखवाड़े में चेयरमैनी दे दी जाएगी। देखना है कि इस बार भी यह चर्चा ही निकलती है या फिर नेताओं का इंतजार और लम्बा होता है।
एचओयू ने दी संजीवनी
भाजपा सरकार को घेरने के लिए किसी बड़े मुद्दे की तलाश कर रहे विपक्षी दलों को हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के छात्र आंदोलन ने संजीवनी का काम किया है। छात्रों पर बरसाई गई कुर्सियों से वीसी की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। वहीं सरकार के लिए भी बड़ी सिरदर्दी खड़ी हो गई है। सरकार जहां वीसी को बचाने के पूरे मूड़ में नजर आती है। वहीं छात्रों के आंदोलन को भी फैलने से रोकना चाहती है। सरकार को इस बात का डर है कि कहीं इस आंदोलन के बहाने विपक्ष जनता को अपने साथ लामबंद ना कर ले।
घर में घेराबंदी
बिश्नोई समाज पर भजनलाल परिवार का 50 वर्षों तक दबदबा रहा है, लेकिन अब ‘गर्दिश’ के दौर ने कुलदीप बिश्नोई से वह रुतबा छीन लिया है। केवल छोटे-मोटे नेता भी कुलदीप की सरपरस्ती को चैलेंज करने का काम कर रहे हैं। बरसों तक बिश्नोई समाज की संस्थाओं में वही होता था जो भजनलाल परिवार चाहता था। लेकिन अब कुलदीप बिश्नोई को ही निकालने के लिए एक लॉबी लगातार वर्किंग कर रही है। संतों के नाम पर एक बार फिर से कुलदीप बिश्नोई को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। अब देखने की बात है कि कुलदीप बिश्नोई इस चुनौती से कैसे पार पाते हैं।
इनेलो पर नजर
लम्बे समय के बाद इनेलो जनता के मुद्दों को लेकर चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन करने जा रही है। बढ़ी हुई बिजली दरों के विरोध में पहली जुलाई को इनेलो पंचकूला में शक्ति भवन का घेराव करेगी। पॉजिटिव माहौल के बाद भी कांग्रेस इस बार सत्ता से दूर रह गई। इनेलो इस मौके को भी भुनाना चाहती है। इनेलो को लगता है कि प्रदेश का एक बड़ा वोट बैंक कांग्रेस से झटक कर उसके साथ जुड़ सकता है। इस पर इनेलो पूरा फोकस भी कर रहा है। अब पहली जुलाई को होने वाले आंदोलन में ‘बिल्लू भाई साहब’ की अगुवाई में कितने लोगों की भीड़ जुटती है, यह देखना रोचक रहेगा। इनेलो के इस प्रदर्शन पर हर किसी की नजर लगी है।
बीसी राग बना सिरदर्दी
राहुल गांधी कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए पिछड़ा वर्ग पर सबसे अधिक फोकस करके चल रहे हैं। उन्होंने पार्टी के संगठन के नये सिस्टम में गुजरात की पहली सूची में लगभग चालीस प्रतिशत जिलाध्यक्ष ओबीसी वर्ग से बनाए हैं। इसी फार्मूले को हरियाणा में भी लागू करने की तैयारी चल रही है। हरियाणा में भाजपा को चुनौती देने के लिए बीसी प्रदेशाध्यक्ष की तलाश भी चल रही है। सूत्रों का कहना है कि हरियाणा में नये प्रधान के लिए किसी बीसी चेहरे को भी तलाशा जा रहा है।
तो बनेंगे तीन जिलाध्यक्ष
कांग्रेस संगठन में गुजरात फार्मूला अगर लागू होता है तो हरियाणा में तीन जिलाध्यक्ष बन सकते हैं। वहीं जिन जिलों में ग्रामीण व शहरी सीटें हैं, वहां जिलाध्यक्षों की संख्या छह भी हो सकती है। जिलाध्यक्ष के साथ दो-दो कार्यकारी प्रधान लगाए जाने की प्लानिंग है। केंद्रीय पर्यवेक्षक संगठन सृजन प्रक्रिया के तहत नये चेहरों को लेकर पैनल बनाने की तैयारी में जुटे हैं। कार्यकारी प्रधानों के बहाने पार्टी जहां प्रदेश कांग्रेस के सभी नेताओं में बेहतर कार्डिनेशन बनाने की कोशिश में है वहीं सभी गुटों के समर्थकों को भी इस जरिये एडजस्ट किया जा सकेगा।
फायरब्रांड नेता का मिशन
2018 के माहौल को दोबारा दोहराने के लिए जजपा युवाओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में है। दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम के पद तक पहुंचाने में युवाओं की सबसे बड़ी भूमिका रही थी। साढ़े चार साल की सत्ता में भागीदारी ने युवाओं का दुष्यंत ने मोह भंग कर दिया। अब युवाओं को मनाने की जिम्मेदारी पार्टी के फायरब्रांड नेता ने अपने कंधों पर ले ली है। वे ‘युवा जोड़ो’ अभियान पर निकल चुके हैं। इन फायरब्रांड नेता ने आधा दर्जन जिलों का दौरा करते हुए लगभग दो दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में युवाओं से सीधा संपर्क साधने का काम किया है। अब यह देखना रोचक रहेगा कि ये युवा नेता प्रदेश के युवाओं को फिर से पार्टी के साथ जोड़ने में कामयाब होते हैं या फिर युवाओं की नाराजगी उनके मिशन में रोड़ा बनती है।
बाबा का गुस्सा
अंबाला कैंट वाले दाढ़ी वाले बाबा यानी ‘गब्बर’ का रौद्र रूप पिछले सप्ताह एक बार फिर देखने को मिला। पैर के अंगूठे में फ्रेक्चर के चलते डॉक्टरों ने उन्हें रेस्ट की सलाह दी हुई है। इसी के चलते वे फिर से अपने अंगूठे का एक्सरे करवाने अंबाला कैंट के सिविल अस्पताल जा पहुंचे। वहां जाने के बाद उन्हें पता लगा कि एक्सरे मशीन ही खराब है। अपने ही पुराने विभाग में फैली अव्यवस्थाओं से नाराज बाबा ने मौके पर अधिकारियों को खरी-खरी सुनाई। बाबा के गुस्से का असर यह हुआ कि चंद घंटों में ही एक्सरे मशीन वर्किंग मोड में आ गई। हालांकि बाबा ने यह भी कह ही दिया कि उनके विभाग छोड़ते ही विभाग का बंटाधार हो गया है।
तो छोड़नी होगी कुर्सी
कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनने वाले नेताओं के सामने इस बार बड़ा चैलेंज होगा। भाजपा की तरह कांग्रेस में अनुशासन नहीं है। अंदरखाने भाजपा में भले ही गुटबाजी हो लेकिन इतनी हिम्मत किसी नेता की नहीं होती कि एक-दूसरे के खिलाफ पब्लिक प्लेटफार्म पर कोई बात कह सके। लेकिन कांग्रेस में फ्री-फॉर ऑल वाली स्थिति रहती है। संगठन सृजन की नई प्रक्रिया में यह शर्त जोड़ी गई है कि जिलाध्यक्ष को अगर चुनाव लड़ना है तो डेढ़ साल पहले अपनी कुर्सी छोड़नी होगी। अब यह बात कांग्रेसी ‘भाई लोगों’ को शायद रास नहीं आएगी। चूंकि कांग्रेस में एक नेता एक पद वाला फार्मूला नहीं है। यहां तो सबकुछ अपने ही कंट्रो में रखे रखने की कोशिश रहती है।
-दादाजी।