कुरुक्षेत्र, 5 जून (हप्र)
थानेसर ब्लाक के धुराला गांव में स्थित प्राथमिक उपचार केन्द्र (पीएचसी) के मुख्य द्वार पर ही गंदगी स्वागत करती है। उपचार केन्द्र में दो डाॅक्टरों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक डाॅक्टर पिछले काफी समय से नहीं आ रहे हैं। इस उपचार केन्द्र के अंतर्गत 6 सब सेंटर भी हैं।
इन सेंटरों को भी डाॅक्टर द्वारा देखना पड़ता है और कई बार अन्य कामों तथा कोर्ट केसों में भी जाना पड़ता है। जबकि इस स्वास्थ्य केन्द्र पर 25 गांवों की 45 हजार की आबादी आश्रित है।
जानकारी के अनुसार लगभग 70 से 100 मरीज हर दिन स्वास्थ्य केन्द्र की ओपीडी में आते हैं। काफी मरीज दंत रोगी भी होते हैं, जबकि यहां कोई डेंटल सर्जन नहीं है। इसके अलावा हर महीने लगभग 25 मामले डिलीवरी के भी आते हैं, जबकि पोस्टनेटल केयर के लिए पिछले एक साल से निर्माणाधीन कमरा अधूरी हालत में है।
कमरे के बाहर निर्माण सामग्री बिखरी हुई है। स्वास्थ्य केन्द्र में जनरेटर भी नहीं है। धुराला के आसपास के क्षेत्र में लगभग 40 आशा वर्कर हैं, जो एक ही कमरे में बैठते हैं।
जानकारी के अनुसार इस पीएचसी में पिछले 10 साल से कोई रेगुलर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं है। चिकित्सा केन्द्र में 5 पद नर्सों के हैं जबकि 4 कार्यरत हैं। इनमें से भी एक नर्स हमेशा डेपुटेशन पर रहती है।
स्वास्थ्य केन्द्र के डाॅक्टर का कहना है
स्वास्थ्य केन्द्र के गेट के साथ ही लोगों द्वारा पशु बांधे जाते हैं, जिससे बदबू और गंदगी का आलम है। स्वास्थ्य केन्द्र की दीवार के साथ कचरे के ढेर पड़े हैं। इस संबंधी जब स्वास्थ्य केन्द्र के डाॅ. बहादुर सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि गेट के बाहर फैली गंदगी के बारे में वे गांव के सरपंच को भी अवगत कराते रहते हैं। निर्माणाधीन पोस्टनाॅटल केयर रूम के बारे में वे उच्च अधिकारियों को पत्र लिख चुके हैं।
पीएचसी की अधिकारी एवं डीडीओ बोलीं
पीएचसी की अधिकारी एवं डीडीओ एसएमओ डा. अंजू ने बताया कि वे बारना की सीएचसी में कार्यरत हैं। धुराला की पीएचसी में भी समय-समय पर जाती-आती रहती हैं। उनकी कोशिश रहती है कि मरीजों को कोई परेशानी न हो।