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देवीलाल ने नाकाम की थी अपनों की बगावत, चौटाला और भजनलाल खा गए थे झटके

हरियाणा लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक उलटफेरों का है लंबा इतिहास
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देवीलाल
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जसमेर मलिक/ हप्र

जींद, 13 मई

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लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा की भाजपा सरकार को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों के सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस के साथ आने जैसा बड़ा राजनीतिक उलटफेर प्रदेश में पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी 1989 और 1996 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में इस तरह के बड़े राजनीतिक उलटफेर हुए थे।

ओमप्रकाश चौटाला

इनमें कभी उस दल को चुनाव में बड़ा राजनीतिक झटका लगा, जिनके अपने बागी होकर दूसरों के खेमे में चले गए थे, तो कई बार इस तरह का उलटफेर करने वाले विरोधियों के तीरों को वापस उन्हीं पर चलाकर उन्हें चारों खाने चित करने का कारनामा भी हुआ है।

4 दिन पहले हरियाणा के तीन निर्दलीय विधायकों-सोमवीर सांगवान, रणधीर सिंह गोलन और धर्मपाल गोंदर ने प्रदेश की भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की थी। निर्दलीय विधायकों के भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने को प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले बहुत बड़ा राजनीतिक उलटफेर माना जा रहा है।

इस राजनीतिक उलटफेर का हरियाणा में लोकसभा चुनावों के नतीजे पर कितना और किस तरह का असर पड़ता है, इसका पता 4 जून को ही चलेगा।

लोकदल और देवीलाल से बागी हुए थे मंत्री और विधायक

भजनलाल

1989 के लोकसभा चुनाव में चौधरी देवीलाल प्रदेश के सीएम थे। उनकी अपनी ही सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ़ कृपाराम पूनिया, जींद के राजौंद विधानसभा क्षेत्र के लोकदल विधायक दुर्गादत्त अत्री समेत कई विधायकों ने लोकदल और देवीलाल से बगावत लोकसभा चुनाव के दौरान कर दी थी। तब एक बार यह लगा था कि देवीलाल के खिलाफ उनके अपनों की इस बगावत का लोकसभा चुनाव में विपरीत असर चौधरी देवीलाल के जनता दल पर पड़ेगा, लेकिन चौधरी देवीलाल ने डॉ़ कृपाराम पूनिया और अपनी ही पार्टी के दूसरे बागी नेताओं द्वारा उन पर चलाए गए तीरों का रुख वापस विरोधियों की तरफ ऐसा मोड़ा था कि उनके विरोधी अपने ही तीरों से चारों खाने चित हो गए थे।

देवीलाल अपनों की बगावत को अपने पक्ष में राजनीतिक रूप से भुनाने में कामयाब रहे थे। डॉ़ कृपाराम पूनिया और उनके साथियों की चौधरी देवीलाल के खिलाफ बगावत से पहले हरियाणा में चौधरी देवीलाल का जादू कुछ कम हो चला था, लेकिन जैसे ही डॉ़ कृपाराम पूनिया के साथियों ने देवीलाल के खिलाफ बगावत की, तो देवीलाल ने इसे राजनीतिक रूप से अपने पक्ष में भुनाने के लिए ऐसा धोबी पछाड़ मारा कि डॉ़ पूनिया और कांग्रेस चारों खाने चित पड़े थे।

चौधरी देवीलाल ने तब कहा था कि डॉ कृपाराम पूनिया और उनके साथियों ने उनकी पीठ में छुर्रा घोंपा है और इसके पीछे कांग्रेस की साजिश है। चौधरी देवीलाल की यह बात हरियाणा के लोगों को जंच गई थी और उन्होंने चौधरी देवीलाल के जनता दल को हिसार और सोनीपत की हारी हुई लोकसभा सीट जितवा दी थी।

1996 में चौटाला, कांग्रेस को लगे थे झटके

नायब सैनी

1996 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव प्रदेश में एक साथ हुए थे। इन चुनावों से ठीक पहले पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी लोकदल से पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश तथा उनके साथियों ने बगावत कर चौधरी बंसीलाल के नेतृत्व वाली हरियाणा विकास पार्टी का दामन थाम लिया था। इसी तरह कांग्रेस से नाराज होकर पूर्व मंत्री चौधरी जगन्नाथ तथा उनके साथियों ने भी चौधरी बंसीलाल के साथ जाने का फैसला लिया था। इससे ओमप्रकाश चौटाला की लोकदल और तब भजनलाल की कांग्रेस को ऐसा करारा झटका लगा था कि कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में न केवल सत्ता से बाहर हुई थी, बल्कि केवल 9 सीटों पर सिमट गई थी, जबकि सत्ता में आने की उम्मीद लगाए बैठी ओमप्रकाश चौटाला की लोकदल को मुख्य विपक्षी दल की भूमिका से ही संतोष करना पड़ा था। भाजपा सरकार से लोकसभा चुनाव के दौरान समर्थन वापस लेने के तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा किए गए बड़े राजनीतिक उलटफेर का हश्र 1989 में चौधरी देवीलाल के सहयोगियों द्वारा की गई बगावत जैसा होता है, या फिर 1996 में कांग्रेस और लोकदल की तरह अब भाजपा को झटका लगता है, इसका पता 4 जून को लोकसभा चुनावों के नतीजों से चलेगा। बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा और हरियाणा के सीएम नायब सैनी तीन निर्दलीय विधायकों की इस बगावत से ठीक उसी तरह निपट पाएंगे, जिस तरह चौधरी देवीलाल 1989 में निपटे थे या फिर वह भजनलाल और ओमप्रकाश चौटाला साबित होते हैं, जो अपनों की बगावत से हार गए थे।

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