दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 14 फरवरी
प्रदेश सरकार इन दिनों प्रदेश का वार्षिक बजट तैयार करने में जुटी है। वित्त विभाग से जुड़े अधिकारी पुरानी योजनाओं व इनके लिए अलॉट किए गए बजट का हिसाब-किताब कर रहे हैं। वित्त मंत्रालय, सीएम मनोहर लाल खट्टर के पास ही है। सीएम बजट की तैयारियां शुरू कर चुके हैं और उनकी टीम बजट का ड्रॉफ्ट बनाने में जुटी है। सीएम खुद इसकी नियमित रूप से मॉनिटरिंग कर रहे हैं। प्राथमिकता वाले सेक्टर पर उनका विशेष जोर रहने वाला है।
वहीं दूसरी ओर, सीएम के आदेशों पर वित्त विभाग ने सभी विभागों से 2021-22 के बजट में अलॉट किए गए रुपयों का ब्योरा तलब कर लिया है। उनसे पूछा गया है कि उन्हें अलॉट किए गए बजट में से कितना पैसा खर्च हुआ और अभी कितना बकाया है। यह भी पूछा गया है कि किस प्रोजेक्ट पर अभी तक पैसा खर्च हो चुका है और उसकी स्टेटस क्या है। बेहतर कार्य करने वाले विभागों के बजट में बढ़ोतरी संभव है। आधा दर्जन से अधिक ऐसे विभाग हैं, जिन्होंने काफी पैसा खर्च नहीं किया है। ऐसे विभागों का बजट 31 मार्च के बाद लेप्स हो जाएगा। वित्तीय वर्ष के आखिर में बजट खर्च करने वाले विभागों पर सरकार की पैनी नजर है। साल के आखिर में पैसा खर्च करने को लेकर सरकार पहले भी कड़ा नोटिस ले चुकी है। बहरहाल, सभी विभागों से जानकारी आने के बाद सीएम वित्त मंत्रालय के अलावा संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे ताकि उनसे विस्तृत रूप से चर्चा हो सके। वहीं बजट को लेकर सीएम सभी मंत्रियों, विधायकों व अधिकारियों के साथ मंथन कर चुके हैं।
समाज के विभिन्न वर्गों के जनप्रतिनिधियों, व्यापारियों, उद्योगपतियों तथा विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रमुद्ध लोगों से भी सीएम बजट को लेकर फीडबैक ले रहे हैं। वे पहले भी कह चुके हैं कि प्रदेशभर से लिखित में आने वाले सुझावों पर भी सरकार मंथन करेगी। अगर अच्छे सुझाव आएंगे तो उन्हें बजट में शामिल किया जाएगा। यहां बता दें कि प्रदेश सरकार ने इस बार बजट पेश करने के बाद सप्ताह से दस दिन का ब्रेक करने का निर्णय लिया है। इस दौरान बजट की स्टडी होगी और इसमें बदलाव भी हो सकेगा।
पुरानी योजनाओं पर होगा फैसला
खट्टर सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के अलावा मौजूदा कार्यकाल में भी कई नई योजनाओं की शुरुआत की थी। अब उन योजनाओं की रिपोर्ट ली जा रही है ताकि उसके हिसाब से बजट को लेकर फैसला हो सके। पूर्व की सरकार के समय की चली आ रही कई योजनाओं को बंद भी किया जा चुका है। ऐसी भी कई योजनाएं हैं, जिन्हें अन्य स्कीम के साथ मर्ज किया जा चुका है।
नई योजनाओं का हो सकता ऐलान
इस बार के बजट में कई नई योजनाओं का ऐलान भी हो सकता है। परिवार पहचान-पत्र मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। सरकार ने केंद्र व राज्य सरकार की अधिकांश योजनाओं को पीपीपी के साथ कनेक्ट किया जा चुका है। पीपीपी के तहत ही अंत्योदय परिवार उत्थान योजना के तहत एक लाख गरीब परिवारों की सालाना आय एक लाख रुपए तक करने की योजना है। अगले साल ऐसे एक लाख और परिवारों पर फोकस रहेगा। सरकार का लक्ष्य हर परिवार की सालाना आय 1 लाख 80 हजार रुपये तक पहुंचाने का है। ऐसे में बजट में इसके लिए कुछ बड़ा ऐलान भी हो सकता है।
चुनावों की भी दिखेगी झलक
बजट सत्र के बाद प्रदेश में 52 शहरी स्थानीय निकायों तथा पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव भी होने हैं। ऐसे में बजट में इन चुनावों की झलक देखने को मिल सकती है। सीएम शहरों एवं गांवों के विकास के लिए अपनी तिजोरी खोल सकते हैं। 52 नगर परिषद एवं नगर पालिकाओं में विकास कार्यों के लिए 385 करोड़ रुपये की विशेष ग्रांट मंजूर भी हो चुकी है। कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी बोझ रहा। बहुत संभव है कि स्वास्थ्य सेक्टर के बजट में इस बार अच्छी-खासी बढ़ोतरी हो।
जल प्रबंधन पर रहेगा जोर
प्रदेश में जल प्रबंधन को लेकर सीएम ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना शुरू कर चुके हैं। प्रदेश में माइक्रो इरिगेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सबसिडी भी मिलेगी। इस बार के बजट में इन योजनाओं को और विस्तृत किया जा सकता है। प्रदेश सरकार हिमाचल व उत्तराखंड सरकार के साथ नये डैम बनाने को लेकर एमओयू भी कर चुकी है। आदिब्रदी पर भी बांध बनेगा। इस डैम के लिए भी बजट में प्रावधान संभव है।
बीमा सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा
प्रदेश सरकार दुर्घटना के अलावा स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के लिए अब खुद की कंपनी बना चुकी है। ‘हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास’ नाम से खुद की बीमा कंपनी बनाई गई है। सभी प्रकार की बीमा योजनाओं को इसी के जरिये चलाने की तैयारी है। ऐसे में बजट में सरकार इस कंपनी के लिए अलग से पैसों का प्रावधान कर सकती है।