ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 12 जून
लगातार बढ़ रही गर्मी के बीच हरियाणा और नई दिल्ली के बीच पानी को लेकर फिर से विवाद शुरू हो गया है। इस मामले पर दोनों राज्य आमने-सामने हैं। डिमांड बढ़ने की वजह से दिल्ली में पेयजल संकट गहरा गया है। इसी के चलते दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार हरियाणा पर पूरा पानी नहीं देने का आरोप लगा रही है। पिछले साल भी दिल्ली सरकार ने इसी तरह के आरोप हरियाणा पर लगाए थे।
अहम बात यह है कि इस मसले को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बैठक भी हो चुकी है, लेकिन फिर भी दिल्ली आरोप लगाने से पीछे नहीं हट रही। आरोपों के बीच हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली को न केवल उसके हिस्से का बल्कि उससे अधिक पानी दिया जा रहा है। हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बीच यमुना के पानी का अंतर-राज्यीय आवंटन वैधानिक निकाय, अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूवाईआरबी) द्वारा निर्धारित और तय किया जाता है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है।
सरकार का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए हरियाणा न केवल यूवाईआरबी द्वारा निर्धारित दिल्ली के अधिकृत हिस्से की आपूर्ति कर रहा है, बल्कि उससे भी अधिक पानी की आपूर्ति दिल्ली को कर रहा है। हरियाणा की ओर से वजीराबाद, चंद्रावाल और हैदरपुर जल संयंत्र को पूरा भरा जा रहा है। दिल्ली ने इनसे अलग और भी जगह पानी स्टोरेज का प्रबंध किया है। ऐसे में हरियाणा पर आरोप लगाए जा रहे हैं।
हरियाणा सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि हरियाणा, दिल्ली के पूर्ण अधिकृत हिस्से की आपूर्ति करने के अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत अधिकृत हिस्से से अधिक पानी की आपूर्ति कर रहा है। दिल्ली सरकार का जल प्रबंधन सही नहीं होने की वजह से उन्हें दिक्कत आ रही है। हरियाणा में शहरी क्षेत्रों के लिए जल भत्ता केवल 135 एलपीसीडी (प्रति व्यक्ति प्रतिदिन) है, जबकि दिल्ली में 200 एलपीसीडी है। हरियाणा को सिंचाई के लिए भी पानी की बड़ी आवश्यकता है। इसकी दिल्ली में व्यावहारिक रूप से आवश्यकता नहीं है।
हरियाणा सरकार की अोर से दिल्ली सरकार के आरोपों पर कहा गया है कि हरियाणा के लोगों, विशेषकर किसानों के महान बलिदान के बाद भी, दिल्ली सरकार अपनी अक्षमताओं को छिपाने के लिए इस तरह के घिनौने आरोप-प्रत्यारोप का सहारा लेती है। दिल्ली में पानी की कमी खराब योजना, असामान्य रूप से उच्च उत्पादन और वितरण घाटे के कारण है और दिल्ली इसे नियंत्रित करने में विफल रही है। यमुना के पानी की कमी का सामना करने के बावजूद, हरियाणा दिल्ली को पानी की आपूर्ति में कमी नहीं करता है। सीएलसी और दिल्ली शाखा के माध्यम से प्रवाह की हर दो घंटे में निगरानी की जा रही है और हरियाणा वर्तमान में सीएलसी और दिल्ली शाखा के माध्यम से बवाना संपर्क बिंदु पर 939 क्यूसिक के अनिवार्य आंकड़े से अधिक पानी की आपूर्ति कर रहा है।
इस बीच दिल्ली भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम मनोहर लाल से मुलाकात कर पानी की आपूर्ति के संबंध में बातचीत की।
सीएम खट्टर रख चुके पक्ष
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट कर चुके हैं कि हरियाणा सरकार निर्धारित कोटे के अनुसार दिल्ली को पानी उपलब्ध करवा रही है। उनका कहना है कि कोटे के अनुसार दिल्ली प्रदेश को पानी दिया जा रहा है। अगर दिल्ली सरकार पानी का इधर-उधर उपयोग कर ले तो इसका कोई इलाज नहीं है। उन्होंने कहा कि हरियाणा द्वारा हैदरपुर और एक अन्य बैराज सहित दोनों बैराजों को समय पर भर दिया जाता है। हरियाणा के पास ज्यादा सरप्लस पानी नहीं है, अभी गर्मियों के सीजन में हरियाणा प्रदेश सरकार स्थानीय लोगों को घर-घर पानी उपलब्ध करवा रही है।