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मिट्टी से टेराकोटा के खिलौने बनाने वाले शिल्पकार दयाचंद को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

कुरुक्षेत्र, 10 दिसंबर (हप्र) हरियाणा के झज्जर की मिट्टी को टेराकोटा के खिलौनों में तराश कर दिल्ली के शिल्पकार दयाचंद को वर्ष 2004 में राष्ट्रीय पुरस्कार प्रमाण पत्र से नवाजा गया। इस शिल्पकार ने अपने टेराकोटा के छोटे-छोटे खिलौनों को...
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हरियाणा की मिट्टी से टेराकोटा के खिलौने बनाने वाले शिल्पकार दयाचंद। -हप्र
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कुरुक्षेत्र, 10 दिसंबर (हप्र)

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हरियाणा के झज्जर की मिट्टी को टेराकोटा के खिलौनों में तराश कर दिल्ली के शिल्पकार दयाचंद को वर्ष 2004 में राष्ट्रीय पुरस्कार प्रमाण पत्र से नवाजा गया।

इस शिल्पकार ने अपने टेराकोटा के छोटे-छोटे खिलौनों को ऑस्ट्रिया, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और ओमान आदि देशों में लगी प्रदर्शनियों में विदेशी पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने का काम किया। इस महोत्सव में कोरोना काल के बाद पहली बार आए हैं।

हालांकि कोरोना काल से पहले 10 सालों से कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर लगातार आए थे। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2023 में दिल्ली के शिल्पकार दयाचंद ने स्टॉल नंबर 86 पर टेराकोटा के छोटे और बड़े खिलौने पर्यटकों के लिए रखे हैं। इन खिलौनों की कीमत महज 100 रुपये से लेकर 3 हजार रुपये तक तय की गई है। उन्होंने बातचीत करते हुए कहा कि टेराकोटा की शिल्पकारी का काम उनके दादा-परदादा के समय से किया जा रहा है। इस टेराकोटा के खिलौनों को बनाने के लिए हरियाणा के झज्जर जिला से 8 से 10 हजार रुपये की कीमत से मिट्टी की एक ट्राली मंगवाते हैं और फिर इस मिट्टी से टेराकोटा के खिलौने तैयार करते हैं। इन खिलौनों का निर्माण करते-करते वर्ष 2004 में वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से राष्ट्रीय पुरस्कार प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया।

शिल्पकार का कहना है कि भारत सरकार की तरफ से शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक रूप से सहयोग किया जा रहा है। सरकार की तरफ से शिल्पकला सीखने वाले लोगों को 9 हजार रुपये प्रतिमाह और सिखाने वालों को 30 हजार रुपए प्रतिमाह की राशि सीधा दी जाती थी।

इसके बाद यह प्रोत्साहन एक एनजीओ के माध्यम से किया जाने लगा। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लांच की गई श्री विश्वकर्मा योजना के बाद फिर से सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ शिल्पकारों का मिलेगा।

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