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कांग्रेसियों को दिख रही विधानसभा, इसलिए दिखा रहे एकजुटता

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 11 मई हरियाणा में कांग्रेस दिग्गजों की गुटबाजी और आपसी खींचतान नई बात नहीं है। लोकसभा टिकटों के वितरण के दौरान भी कांग्रेसियों की अंतकर्लह खुलकर सामने आ चुकी है। टिकट कटने के बाद कम से कम...
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 11 मई

हरियाणा में कांग्रेस दिग्गजों की गुटबाजी और आपसी खींचतान नई बात नहीं है। लोकसभा टिकटों के वितरण के दौरान भी कांग्रेसियों की अंतकर्लह खुलकर सामने आ चुकी है। टिकट कटने के बाद कम से कम पांच सीटों पर भितरघात होने की प्रबल संभावना थी। लेकिन जब कांग्रेस नेता प्रचार में एक्टिव हो रहे हैं, तो कहीं न कहीं वे लोगों को एकजुटता का संदेश देने की कोशिश भी कर रहे हैं।
हालांकि कांग्रेसियों की यह एकजुटता केवल दिखाने के लिए भी हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो भितरघात का भी सामना करना पड़ सकता है। वहीं सत्तारूढ़ भाजपा को कांग्रेसियों की खींचतान और गुटबाजी का फायदा मिलने की उम्मीद है। पांच संसदीय क्षेत्रों – करनाल, भिवानी-महेंद्रगढ़, हिसार, गुरुग्राम व फरीदाबाद में कांग्रेस ने दिग्गज नेताओं के टिकट काटे हैं। इनमें से चार जगहों पर नये चेहरों को मैदान में उतारा है। इन पांचों ही सीटों पर भितरघात होने का डर शुरू से ही रहा है। लेकिन अब जिस तरह से कांग्रेस के अधिकांश नेता गुटबाजी को छोड़कर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए प्रचार करने में जुटे हैं, उससे यही लगता है कि कांग्रेसी केवल दिखाने के लिए नहीं बल्कि असल में एकजुट हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण लगभग तीन महीने बाद हरियाणा में होने वाले विधानसभा के आम चुनाव हैं। यानी कांग्रेसियों को विधानसभा चुनाव नजर आ रहे हैं। वे अच्छे से जानते हैं कि लोकसभा चुनाव के नतीजों का सीधे तौर पर विधानसभा चुनाव पर असर पड़ेगा।
लोकसभा चुनावों को आगामी विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल भी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने सभी दस संसदीय सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद ही भाजपा ने विधानसभा चुनावों में ‘75 पार’ का नारा दिया। लेकिन भाजपा मुश्किल से चालीस ही हलकों में जीत हासिल कर पाई। पुराने नतीजों को देखते हुए कांग्रेस इस बार लोकसभा में पूरा जोर लगा रही है, ताकि इन चुनावों में जीत हासिल करके विधानसभा चुनावों के लिए मजबूत नींव रखी जा सके।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अंबाला और सिरसा संसदीय सीट पर कांग्रेस नेताओं की सबसे अधिक एकजुटता देखने को मिल रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा इस बार सिरसा से चुनाव लड़ रही हैं। वहीं अंबाला से मुलाना के विधायक वरुण चौधरी को टिकट मिला है। वरुण की गिनती पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा कैम्प के नेताओं में होती है, लेकिन उनकी टिकट का सैलजा द्वारा भी समर्थन किए जाने की सूचना है। इतना ही नहीं, अंबाला में सैलजा के अधिकांश समर्थक चुनाव प्रचार करने में जुटे हैं। पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई, कालका विधायक प्रदीप चौधरी, सढ़ौरा विधायक रेणु बाला, नारायणगढ़ विधायक शैली चौधरी, कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व सीपीएस रामकिशन गुर्जर, अंबाला सिटी से वरिष्ठ कांग्रेस नेता रोहित जैन सहित सैलजा कैम्प से जुड़े अधिकांश नेता और कार्यकर्ता वरुण चौधरी के लिए काम कर रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री के समर्थकों के अनुसार, उन्हें स्पष्ट निर्देश हैं कि पार्टी प्रत्याशी की पूरे मन के साथ मदद करनी है। दरअसल, अंबाला को सैलजा के प्रभाव वाला एरिया माना जाता है। शायद, यही कारण है कि उनके समर्थक वरुण के साथ जुटे हैं ताकि वोटरों में किसी भी तरह का गलत संदेश ना जाए। वहीं दूसरी ओर, सैलजा को सिरसा पार्लियामेंट में हुड्डा खेमे के अधिकांश नेताओं का साथ मिल रहा है। करनाल पार्लियामेंट सीट से पार्टी के राष्ट्रीय सचिव वीरेंद्र राठौर टिकट मांग रहे थे। पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा अपने बेटे चाणक्य पंडित के लिए टिकट चाहते थे। चाणक्य को टिकट नहीं मिलने की सूरत में कुलदीप खुद भी चुनाव लड़ने को तैयार थे लेकिन पार्टी ने न तो वीरेंद्र राठौर के क्लेम को सही माना और न ही कुलदीप शर्मा के दावे को। यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा का पूर्व सीएम और करनाल से भाजपा प्रत्याशी मनोहर लाल के मुकाबले मैदान में उतारा। वीरेंद्र राठौर ने शुक्रवार को अपने फार्महाउस में कार्यकर्ताओं का सम्मेलन रखा और दिव्यांशु बुद्धिराजा का समर्थन किया। हालांकि कुलदीप शर्मा अभी तक भी करनाल में एक्टिव नहीं हुए हैं। अलबत्ता वे सोनीपत में सक्रिय हैं और यहां से प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी के लिए काम कर रहे हैं। इसी तरह से पूर्व मंत्री करण दलाल फरीदाबाद से टिकट मांग रहे थे। हाईकमान को भी टिकट बदलने के लिए अल्टीमेटम दिया गया लेकिन बाद में वे भी मान गए।

कैप्टन व किरण भी आए मैदान में

कांग्रेस विधायक दल की पूर्व नेता व तोशाम विधायक किरण चौधरी तथा पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव भी मैदान में आ चुके हैं। किरण चौधरी अपनी बेटी और पूर्व सांसद श्रुति चौधरी के लिए भिवानी-महेंद्रगढ़ से टिकट मांग रही थीं। श्रुति की टिकट काटकर पार्टी ने हुड्डा के नजदीकी और महेंद्रगढ़ विधायक राव दान सिंह को टिकट दिया है। शुरुआत में किरण ने इसका विरोध भी किया लेकिन पिछले दिनों वे दान सिंह के साथ प्रचार में आ चुकी हैं। वहीं गुरुग्राम से लोकसभा चुनाव लड़ चुके और इस बार भी टिकट मांग रहे कैप्टन अजय सिंह यादव की बजाय पार्टी ने फिल्म अभिनेता राज बब्बर को टिकट दिया है। कैप्टन यादव के बेटे चिरंजीव राव रेवाड़ी से विधायक हैं। पिता-पुत्र की शुरू में नाराजगी झलकी लेकिन बाद में दोनों ही राज बब्बर के साथ काम करते नजर आए।

बीरेंद्र सिंह ने कायम किया सस्पेंस

पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह ने अभी तक सस्पेंस बनाया हुआ है। बीरेंद्र सिंह अपने बेटे व निवर्तमान सांसद बृजेंद्र सिंह को हिसार से टिकट दिलवाना चाहते थे। यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश ‘जेपी’ को टिकट मिला है। बीरेंद्र सिंह व बृजेंद्र सिंह अभी तक प्रचार में नहीं आए हैं। बीरेंद्र सिंह तो जेपी के पाले में पहले ही गेंद डाल चुके हैं। वे कह चुके हैं, अगर जयप्रकाश ‘जेपी’ मदद मांगने आएंगे तो वे जरूर करेंगे। बीरेंद्र सिंह का जींद बेल्ट में अच्छा प्रभाव माना जाता है। वे खुद भी हिसार से सांसद रह चुके हैं। दरअसल, 21 वर्षों तक आईएएस सेवाओं में रहे बृजेंद्र सिंह ने 2019 में वीआरएस लेकर भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ा था और हिसार से सांसद बने थे। भाजपा के सिटिंग सांसद होते हुए वे इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए थे लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया।
कांग्रेस में किसी तरह की गुटबाजी नहीं है। गुटबाजी पहले भी नहीं थी। खींचतान और अंतर्कलह तो मीडिया की देन है। वैचारिक मतभेद किसी भी पार्टी में हो सकते हैं पर कांग्रेस नेताओं में मनभेद कभी नहीं रहे। कांग्रेस सभी दस सीटों पर जीत हासिल करेगी।
-उदयभान, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष
कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी लोगों ने सड़कों पर देखी है, टिकट आवंटन में ही जूतम-पैजार हुई। जबकि भाजपा ने टिकटों का फैसला करने में जरा भी देरी नहीं की। पार्टी जन पूरे मनोबल के साथ चुनावी रण में डटे हैं। 2019 वाला इतिहास दोहराएंगे
-प्रदीप अहलावत, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता
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