रामकुमार तुसीर/ निस
सफीदों, 17 अप्रैल
सफीदों नगरपालिका के जून 2022 में हुए चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्ड 14 में निर्वाचित पार्षद रामभरोसे के चुनाव को राज्य निर्वाचन आयुक्त धनपत सिंह ने निरस्त कर दिया है। निर्वाचन आयुक्त ने यह फैसला इसी वार्ड के अजीत की शिकायत पर सुनवाई के बाद बीती 8 अप्रैल को सुनाया।
रामभरोसे ने अपने नामांकन के साथ ‘तांती’ जाति का अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र लगाया था, जो सफीदों के नायब तहसीलदार द्वारा वर्ष 2007 में जारी किया गया था। अजीत ने आरोप लगाया था कि मूल रूप से समस्तीपुर (बिहार) के रामभरोसे अनुसूचित जाति से नहीं हैं। इस पर निर्वाचन आयुक्त के निर्देश पर तत्कालीन एसडीएम ने जांच पाया था कि ‘तांती’ जाति हरियाणा में अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल नहीं है। इस आधार पर नायब तहसीलदार ने रामभरोसे का जाति प्रमाण पत्र 24 नवंबर 2023 को रद्द कर दिया था। रामभरोसे ने इसे सिविल कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन फिर याचिका वापस ले ली।
आयुक्त ने रामभरोसे को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जवाब में रामभरोसे ने कहा था कि बिहार में तांती जाति बुनकर की है और इस जाति के लोग बिहार में वही काम करते हैं जो हरियाणा में अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल धानक समाज के लोग करते रहे हैं। इसलिए यह अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल है। रामभरोसे ने कहा था कि तांती जाति के अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को अनेक लोगों ने अदालत में चुनौती दी है और कई मामले सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं, जिनकी सुनवाई 18 अप्रैल को निर्धारित है। उसने 8 अप्रैल को निर्वाचन आयुक्त के समक्ष पेश होकर एक माह का समय मांगा था। लेकिन उसी दिन निर्वाचन आयुक्त द्वारा आदेश जारी करके उसके चुनाव को निरस्त कर दिया गया।