13 की दुल्हन, 18 का दूल्हा... शादी की दहलीज़ से लौटी बाल विवाह की बारात
- जींद में बाल विवाह रोककर बचाया गया दो मासूमों का बचपन
जसमेर मलिक/हमारे प्रतिनिधि
जींद, 13 मई
घर में शहनाइयों की गूंज थी, मेहमानों की चहल-पहल थी, दरवाज़े पर बारात सजी थी, लेकिन ऐन वक्त पर आ गई बाल विवाह निषेध विभाग की टीम — और रुकी वो शादी, जिसे समाज ‘परंपरा’ कहता है लेकिन क़ानून ‘अपराध’। यह नज़ारा था जींद के खरक गादियां गांव का, जहां 13 साल की नाबालिग बच्ची की शादी 18 साल के युवक से कराई जा रही थी।
बाल विवाह निषेध अधिकारी सुनीता को सूचना मिली कि गांव में नाबालिग लड़की की शादी हो रही है। बारात सोनीपत जिले के न्यात गांव से पहुंच चुकी थी। बिना देरी किए सुनीता ने रवि लोहान, महिला सिपाही सुशीला, दीपक, अनूप और नीलम को साथ लेकर पुलिस बल के साथ मौके पर धावा बोला।
घर में जश्न का माहौल पल में सन्नाटे में बदल गया जब टीम ने लड़के और लड़की के जन्म प्रमाण-पत्र मांगे। पहले परिजन बहाने बनाने लगे, लेकिन जब गांव के बुजुर्गों को बुलाया गया और तीन घंटे की पड़ताल हुई, तो सामने आया – दुल्हन की उम्र सिर्फ 13 साल है और दूल्हा अभी 18 का ही हुआ है।
हमें नहीं थी जानकारी…
लड़की के पिता ने कहा कि मां की मृत्यु के बाद बेटी मुंबई में उसके साथ रहती है और उन्हें कानून की जानकारी नहीं थी। लेकिन टीम ने स्पष्ट किया कि अज्ञानता किसी को कानून तोड़ने का अधिकार नहीं देती।
टीम ने उन्हें बाल विवाह अधिनियम की जानकारी दी और चेताया – अगर दोबारा ऐसा प्रयास किया गया तो कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।
बचपन की जीत, परंपरा की हार
परिजनों ने आखिरकार शादी रोकने का लिखित वचन दिया। कहा कि जब तक दोनों बालिग नहीं होंगे, विवाह नहीं करेंगे।
इस कार्रवाई में MDD ऑफ इंडिया और जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के सदस्य भी मौजूद रहे, जिन्होंने बच्चों के अधिकारों और कानून की जानकारी दी।