Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

वित्त विभाग में केस भेजने से पहले गंभीरता से करनी होगी पड़ताल

बिना प्रारंभिक जांच के केस भेजने से बढ़ रहा सचिवालय पर बोझ
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की फाइल फोटो।
Advertisement
हरियाणा सरकार ने विभिन्न विभागों में वित्तीय अनुशासन को बढ़ाने और दक्षता में सुधार लाने के उद्देश्य से, प्रशासकीय विभागों में तैनात राज्य लेखा सेवा (एसएएस) संवर्ग के अधिकारियों के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने इस बारे में सभी प्रशासकीय सचिवों को एक पत्र जारी किया है।

पत्र में कहा गया है कि विभिन्न प्रशासनिक विभागों में कार्यरत अनुभाग अधिकारी, लेखा अधिकारी, वरिष्ठ लेखा अधिकारी और मुख्य लेखा अधिकारी जैसे एसएएस कैडर के अधिकारियों द्वारा कई वित्तीय प्रस्ताव बिना समुचित प्रारंभिक जांच के वित्त विभाग की अनुमति के लिए भेजे जा रहे हैं। इससे विभागीय सचिवालय पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है और प्रस्तावों के निपटान में विलंब हो रहा है। इसलिए विभिन्न प्रशासनिक विभागों में कार्यरत एसएएस कैडर के अधिकारियों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे वित्तीय निहितार्थों वाले सभी प्रस्तावों को वित्त विभाग के पास भेजने से पहले प्रारंभिक स्तर पर पूरी गंभीरता और सावधानी के साथ उनकी जांच सुनिश्चित करें। उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे सभी प्रस्ताव वित्त विभाग की नीतियों, परिपत्रों, बजटीय प्रावधानों और वित्तीय शक्तियों के अनुरूप हों।

Advertisement

संबंधित अधिकारी अनुशंसा, आपत्तियों या अवलोकन के साथ अंतिम जांच की स्पष्ट टिप्पणी दर्ज करेंगे और यह भी सुनिश्चित करेंगे कि सभी आवश्यक दस्तावेज, चेकलिस्ट और अनुमोदन प्रस्ताव के साथ संलग्न हों। वे प्रशासनिक विभागों को किसी भी प्रक्रियागत या वित्तीय खामी की पूर्व सूचना देंगे ताकि प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले उसमें आवश्यक सुधार किया जा सके। विभागों में तैनात वित्त विभाग के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्येक प्रस्ताव की वित्तीय जांच निर्धारित प्रमुख मापदंडों के आधार पर की जाए। इसके अंतर्गत संबंधित मद के तहत बजट की उपलब्धता की पुष्टि तथा आवश्यकता होने पर पुनः विनियोजन (री-एप्रोप्रियेशन) का सुझाव शामिल है। प्रस्तावों की जांच इस दृष्टि से भी की जाएगी कि वे वित्त विभाग के सभी निर्देशों, विशेष रूप से मितव्ययिता, व्यय नियंत्रण तथा खरीद संबंधी परिपत्रों के अनुरूप हों।

यदि कोई प्रस्ताव किसी नई योजना से संबंधित हो, तो वित्त विभाग के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि समान उद्देश्य की कोई अन्य योजना पहले से न चल रही हो। ऐसे प्रस्तावों में योजना की संक्षिप्त पृष्ठभूमि विवरण तथा स्कीम का छह-स्तरीय प्रारूप (मेजर हेड, सब-मेजर हेड, माइनर हेड, सब हेड, डिटेल्ड हेड और ऑब्जेक्ट हेड) अनिवार्य रूप से शामिल होना चाहिए। साथ ही, वित्त विभाग की सहमति हेतु भेजे जाने वाले प्रत्येक प्रस्ताव के साथ संबंधित विभाग में तैनात वित्त विभाग के अधिकारी का एक प्रमाण-पत्र संलग्न किया जाना चाहिए। इसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेख हो कि प्रस्ताव को वित्त विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप जांचा गया है, बजटीय प्रावधान उपलब्ध है, सभी मानकों का पालन किया गया है तथा यह प्रस्ताव सहमति हेतु अनुशंसित है या नहीं।

Advertisement
×