मधुमक्खियां कृषि उत्पादकता व प्राकृतिक जैव विविधता को बनाये रखने में सहायक : प्रो. सुरेश मल्होत्रा
करनाल, 21 मई (हप्र)
महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल में विश्व मधुमक्खी दिवस के उपलक्ष्य पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर एमएचयू के कुलपति प्रो. सुरेश मल्होत्रा ने विशेष तौर पर शिरकत की। यह आयोजन नेशनल बी बोर्ड भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित मिनी हनी टेस्टिंग लैब परियोजना के अंतर्गत किया गया। यह प्रयोगशाला न केवल शहद की गुणवत्ता की जांच करेगी, बल्कि किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता भी प्रदान करेगी। कुलपति ने मधुमक्खियों के पारिस्थितिकीय महत्व और खाद्य सुरक्षा में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि मधुमक्खियां परागण के माध्यम से न केवल कृषि उत्पादकता बढ़ाती हैं, बल्कि प्राकृतिक जैव विविधता को भी बनाए रखने में सहायक हैं। कुलपति ने कहा कि किसान खेती के साथ मधुमक्खी पालन कर ज्यादा मुनाफा कमा सकता है। मधुमक्खी किसान भाइयों को प्रकृति के अनमोल उपहार के समान हैं।
डीएसडब्ल्यू डॉ रंजन गुप्ता, ने अपने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों का अभिनंदन किया और कहा कि यदि हम प्रकृति की इस अमूल्य देन को नहीं समझ पाए, तो आने वाले समय में जैव विविधता एवं खाद्य शृंखला पर गंभीर संकट आ सकता है। वैज्ञानिक डॉ. गौरव सिंह ने मधुमक्खी पालन से जुड़ी सरकारी योजनाओं की जानकारी दी।
वहीं एमएचयू के छात्र हर्ष यादव ने मधुमक्खी पालन की व्यावहारिक विधियां सरल भाषा में प्रस्तुत की। विशेष आकर्षण के रूप में विश्वविद्यालय द्वारा उत्पादित शुद्ध शहद किसानों को वितरित किया गया। कार्यक्रम के समापन पर डायरेक्टर रिसर्च, डॉ. धर्म पाल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन दिया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. धर्मपाल, डीन बागवानी महाविद्यालय डॉ. रमेश कुमार गोयल, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. विजय पाल यादव सहित विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, शिक्षक, छात्र-छात्राएं और किसान उपस्थित रहे।