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खनन पर प्रतिबंध से बाढ़ बचाव की राह में ‘रोड़े’

पत्थर कम मिलने से बारिश से पहले पूरे नहीं हुये कार्य, एजेंसी ने काम करने से किया इनकार
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यमुनानगर के टापू कमालपुर में बाढ़ की रोकथाम के लिए नदी के किनारे लगाये पत्थर। -हप्र
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सुरेंद्र मेहता/हप्र

यमुनानगर, 29 जून

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मानसून के सीजन में नदियों में बाढ़ के कारण प्रदेश के विभिन्न जिलों में हर साल भारी तबाही होती है। विशेषकर यमुना नदी के साथ लगते जिलों में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इससे बचाव के लिए हर साल करोड़ों रुपए के कार्य करवाए जाते हैं। लेकिन इस साल कई पहाड़ी इलाकों में खनन पर प्रतिबंध के कारण निर्माण कंपनियों और ठेकदारों को समय पर पत्थर नहीं मिले, चुनाव आचार संहिता के कारण बनाए गए प्रोजेक्ट भी पास नहीं हो सके। इसके चलते बाढ़ से बचाव कार्य प्रभावित हुये और ठोकरें बनाने की राह में रोड़े आये। बताया गया है कि पर्याप्त पत्थर न मिलने के कारण एक एजेंसी ने काम करने से मना कर दिया है। जो कार्य बड़े-बड़े पत्थर लगाकर किए जाने थे, वे कार्य अस्थायी तौर पर सिंचाई विभाग एक करोड़ की लागत से करवा रहा है। गौरतलब है कि यमुना नदी में बाढ़ से सबसे पहले यमुनानगर जिला प्रभावित होता है, इसके बाद करनाल, पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद जिले प्रभावित होते हैं। पिछले साल यमुनानगर के बेलगढ़ और टापू कमालपुर में भारी कटाव हुआ था और पानी गांव के नजदीक पहुंच गया था। टापू कमालपुर में नदी का बहाव मात्र 600 फीट दूर रह गया था। अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल 3 लाख 59 हजार क्यूसेक पानी हथिनी कुंड बैराज से निकला, जिसने यमुनानगर के टापू कमालपुर और बेलगढ़ में भारी तबाही मची। टापू कमालपुर गांव पूरा खाली करना पड़ा था। इस बार इस गांव में 7 करोड़ की लागत से 13 स्टड लगाए गए हैं। जिला राजस्व अधिकारी श्यामलाल ने मौके का मुआयना करके बताया कि इस इलाके में बाढ़ रोकथाम के लिए 95 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया है। सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर आरएस मित्तल ने बताया कि पिछले साल बेलगढ़ में काफी नुकसान हुआ था। अब 25 करोड़ रुपए की लागत से यहां बाढ़ रोकथाम कार्य तेजी से किये जा रहे हैं। आचार संहिता की वजह से इन कार्यों की मंजूरी लेट मिली और काम लेट शुरू हुआ और अभी 20 प्रतिशत काम ही हुआ है। पिछले दिनों कृषि मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने भी मौके का मुआयना किया था। अधिकारी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि 6 मीटर तक पानी की रोकथाम की व्यवस्था कर लें ताकि बाढ़ से नुकसान न हो। उन्होंने बताया कि हथिनीकुंड बैराज स्ट्रक्चर का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है। इसके अलावा सिंचाई विभाग के सभी अधिकारी अलर्ट हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल 3 लाख 59 हजार क्यूसेक पानी आया था, जिसके चलते लापड़ा, कैत मंडी सहित कुछ इलाकों में सड़कों पर और गांव में पानी आ गया था। यमुना नदी पर गांव की तरफ बेलगढ़ को छोड़ अन्य कहीं बांध नहीं है, इसलिए पानी बाहर आ जाता है।

टेंपरेरी प्रोटेक्शन वर्क शुरू

सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर आरएस मित्तल ने बताया कि सोम नदी, पथराला नदी एवं यमुना नदी पर 100 करोड़ रुपए की लागत से बाढ़ रोकथाम कार्य किया जा रहे हैं। इस बार खनन पर प्रतिबंध के चलते पत्थर की कमी महसूस हो रही है, एक एजेंसी ने यह लिखकर दिया है कि वह 7 जुलाई तक काम पूरा नहीं कर पाएगी। इसी के चलते 4 करोड़ की बजाए एक करोड़ के टेंपरेरी प्रोटेक्शन वर्क शुरू किए गए हैं ताकि लोगों को कम से कम दिक्कत का सामना करना पड़े। यमुनानगर जिले में बाढ़ रोकथाम कार्य रविवार तक पूरे किए जाने के आदेश हैं। काफी कार्य ऐसे हैं जो 7 जुलाई तक पूरे होने हैं। मानसून सर पर है, अगर वर्षा 7 जुलाई से पहले आ जाती है तो यमुना के साथ-साथ सोम, पथराला नदियां भी यमुनानगर जिले में भारी तबाही मचा सकती हैं।

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