चंडीगढ़, 5 जुलाई (ट्रिन्यू)
परिवार पहचान पत्र को लागू करने में आ रही दिक्कतों के समाधान हेतु सरकार ने परिवार पहचान पत्र प्राधिकरण को सक्रिय करने का फैसला कर लिया है। अभी तक पीपीपी से जुड़े मामलों को सीएमओ के अधिकारी देख रहे थे लेकिन अब सरकार ने पीपीपी प्राधिकरण के माध्यम से आम जन की समस्याओं के समाधान का फैसला किया है।
हरियाणा में परिवार पहचान पत्र लोगों के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है। इसकी खामियों को दूर करने के लिए सरकार ने जिलों में अतिरिक्त उपायुक्तों को विशेष अधिकार भी दिए हैं। इसके बावजूद इसमे कोई सुधार नहीं हो रहा है। विपक्ष इसे परमानेंट परेशानी पत्र बताकर सरकार को घेर रहा है।
प्रदेश भर से आ रही शिकायतों के बाद सरकार ने परिवार पहचान पत्र प्राधिकरण की कार्य प्रणाली को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार ने बुधवार को कार्यकारी अधिकारी के अलावा यहां डॉ. सतीश खोला को हरियाणा परिवार पहचान प्राधिकरण का कोऑर्डिटनेटर नियुक्त किया है। इनके माध्यम से सरकार पीपीपी की कम्युनिटी आउटरीच जानने के साथ ही इसकी मॉनिटरिंग भी करेगी।
हरियाणा में अब तक पीपीपी पर 72 लाख के करीब परिवार रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। इनमें से 68 लाख के करीब परिवारों का डेटा सरकार द्वारा वेरीफाई करवाया जा चुका है। कुल दो करोड़ 83 लाख के करीब लोगों का डेटा अब सरकार के पास उपलब्ध है। इस डेटा के अनुसार, राज्य में अनुसूचित जाति के परिवारों की संख्या 13 लाख 68 हजार 365 है। इसी तरह से पिछड़ा वर्ग-ए के 11 लाख 23 हजार 352 परिवार हैं और इनकी जनसंख्या 47 लाख 93 हजार 312 बनती है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद प्रत्येक एक या दो सप्ताह में पीपीपी की रिव्यू बैठकें कर रहे हैं। इसके बावजूद मामला अभी तक सुलझ नहीं रहा है।