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दिल्ली की जीत के बाद हरियाणा में भाजपाइयों के चेहरे खिले, AAP पर भारी पड़ा ‘नायब-मनोहर’ चुनावी मॉडल

दिनेश भारद्वाज/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 8 फरवरी राष्ट्रीय राजधानी – नई दिल्ली में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा के भाजपाइयों के चेहरे खिले हुए हैं। हरियाणा में इस जीत का जश्न इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह पहला...
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 8 फरवरी

राष्ट्रीय राजधानी – नई दिल्ली में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा के भाजपाइयों के चेहरे खिले हुए हैं। हरियाणा में इस जीत का जश्न इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह पहला मौका था जब यहां के नेताओं ने दिल्ली के चुनाव में इतने दिनों तक मोर्चाबंदी की। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तथा पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय बिजली व शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर की ‘जुगलबंदी’ दिल्ली में बड़ा असर कर गई।

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दिल्ली के लोगों के सामने हरियाणा में पिछले दस वर्षों की मनोहर और मौजूदा नायब सरकार के फैसलों के साथ-साथ उपलब्धियों का भी जमकर बखान हुआ। दिल्ली के मतदाताओं ने ‘नायब-मनोहर’ मॉडल को पसंद किया। पूर्व में भी दिल्ली के चुनावों में हरियाणा के नेताओं की ड्यूटी लगती रही है। लेकिन यह पहला मौका था जब केंद्रीय नेतृत्व ने दूसरे राज्यों की बजाय हरियाणा के नेताओं पर सबसे अधिक भरोसा जताया।

इसका सबसे बड़ा कारण पिछले साल अक्तूबर में हुए हरियाणा विधानसभा के चुनावी नतीजे रहे। हरियाणा में दस वर्षों की सरकार की एंटी-इन्कमबेंसी और कांग्रेस के प्रति पॉजिटिव माहौल के बाद भी भाजपा ने नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में जीत की हैट्रिक लगाई। बेशक, हरियाणा की जीत के पीछे नायब सिंह सैनी का मिलनसर और हंसमुख होना एक बड़ा कारण रहा। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीब साढ़े नौ वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन को लेकर किए गए कार्यों को भी लोगों ने पसंद किया।

बिना पर्ची-बिना खर्ची के नौकरी, ऑनलाइन सिस्टम से घर बैठे ही लोगों के कार्य होना तथा परिवार पहचान-पत्र के जरिये लोगों को घर बैठे केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ मिलने सहित मनोहर सरकार के कई ऐसे फैसले थे, जिनके इस बार के चुनावों में स्पष्ट तौर पर नतीजे देखने को मिले। मनोहर की नीतियों का असर देखकर ही नायब सरकार ने उनके कार्यकाल की अधिकांश योजनाओं को ना केवल जारी रखा है बल्कि उनका और भी विस्तार किया है।

रोजाना लिया गया फीडबैक

दिल्ली के चुनावों में क्योंकि इस बार हरियाणा की अहम भूमिका थी। इसीलिए दिल्ली में प्रचार के बाद रोजाना दिनभर का फीडबैक लिया जाता था। मनोहर लाल खट्टर रोजाना चुनावी रणनीति को लेकर बैठक किया करते थे। इतना ही नहीं, दिल्ली प्रवास के दौरान सीएम नायब सिंह सैनी ने भी हर दिन नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में बैठकें करके रिपोर्ट ली। दिल्ली नहीं होने पर भी नायब सिंह सैनी ने रोजाना फीडबैक लिया ताकि ग्राउंड पर आने वाली परेशानियों को हाथों-हाथ दूर किया जा सके।

हरियाणा पैटर्न पर लड़ा चुनाव

अक्तूबर में हरियाणा का विधानसभा चुनाव भाजपा ने सत्ता में रहते हुए भी आक्रामक ढंग से लड़ा था। कांग्रेस को उसके दस वर्षों के कार्यकाल पर घेरा गया। खुद की सरकार की उपलब्धियों को लोगों के बीच रखा। अब इसी पैटर्न पर माइक्रो मैनेजमेंट के तहत दिल्ली का चुनाव लड़ा गया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के 11 वर्षों के कार्यकाल की तुलना मोदी सरकार के कार्यकाल से की। डबल इंजन की सरकार का भी नारा दिया गया। साथ ही, हरियाणा में हुए कार्यों को भी भाजपाइयों ने भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

‘जहरीला पानी’ पड़ गया भारी

दिल्ली के पूर्व सीएम व आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा पर यमुना नदी के पानी में जहर मिलाने के आरोप लगाए। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस मुद्दे को चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तक नहीं छोड़ा। वह दिल्ली के लोगों को यह बताने और जताने में कामयाब रहे कि दिल्ली साफ पानी भेज रहा है। लेकिन दिल्ली सरकार के कुप्रबंधन की वजह से दिल्ली के हिस्से वाली यमुना नदी का पानी जहरीला है। वे केजरीवाल को इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराने में कामयाब रहे। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी नायब सिंह सैनी की दलील और तथ्यों की सराहना की थी।

दोनों नेताओं का बढ़ा कद

दिल्ली चुनाव के नतीजों ने नायब सिंह सैनी और मनोहर लाल खट्टर का केंद्रीय नेतृत्व के सामने राजनीतिक कद बढ़ा दिया है। हरियाणा में ‘गुरु-शिष्य’ कहे जाने वाले मनोहर लाल व नायब सिंह सैनी ने संगठन में भी लम्बे समय तक एकसाथ काम किया है। मनोहर लाल खट्टर ने जब केंद्र की राजनीति के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो उनकी सिफारिश पर ही नेतृत्व ने नायब सिंह सैनी को हरियाणा की बागड़ोर सौंपी। प्रदेश में जब तीसरी बार पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार बनी तो मनोहर लाल का यह फैसला भी पार्टी नेतृत्व को पसंद आया।

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