हिसार, 13 अक्तूबर (हप्र)
बॉलीवुड अभिनेत्री युविका चौधरी द्वारा सोशल मीडिया साइड ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अपलोड किए गए वीडियो में अनुसूचित जाति के खिलाफ प्रयोग किए गए एक शब्द के कारण हिसार में दर्ज मामले में अदालत ने उनके न सिर्फ सभी तर्कों को खारिज कर दिया बल्कि अग्रिम जमानत के लिए बनाए गए उनके आधार को ही याचिका खारिज करने का आधार बना दिया।
युविका चौधरी ने मामले में अपनी दोषपूर्ण भावना को खारिज करने के लिए अग्रिम जमानत याचिका में ही अपने अपराध को स्वीकार कर लिया और अदालत ने इसी आधार पर उनकी याचिका खारिज कर दी। अग्रिम जमानत याचिका के लिए युविका चौधरी ने तर्क दिया कि जिस अपराध में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उसके लिए उसका कोई दोषपूर्ण आशय नहीं है और जब अपराध का अहसास हुआ तो उन्होंने खेद प्रकट करते हुए वीडियो अपने अकाउंट से हटा दिया।
एफआईआर रद्द करने की याचिका भी रहा कारण
सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि याचिकाकर्ता पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष प्राथमिकी रद्द करने की याचिका भी दायर कर चुकी है जिसको न्यायालय ने कई टिप्पणी करते हुए खारिज कर दिया था। इस टिप्पणी में अदालत ने कहा था कि यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। इस आधार पर हिसार की अदालत ने कहा कि वह अग्रिम जमानत पाने की हकदार नहीं है।