वनवासी क्षेत्र के बच्चों को शिक्षित करने में वनवासी कल्याण आश्रम का योगदान महत्वपूर्ण : प्रो दीप्ति धर्माणी
भिवानी, 30 जनवरी (हप्र) : वनवासी क्षेत्र के बच्चों को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने में वनवासी कल्याण आश्रम का महत्वपूर्ण योगदान है। हमारे जीवन में कला की जो विधाएं हैं वो बहुत महत्वपूर्ण हैं। आप जो कविता मनन कर लेते हैं वह आपकी पर्सनेलिटी का हिस्सा बन जाती है। यह बात चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी ने आज प्रो. सोनू मदान के संयोजन व समाज कार्य विभाग एवं राजनीति विज्ञान विभाग एवं वनवासी कल्याण आश्रम के संयुक्त तत्वावधान में आदिवासी गौरव भारत के स्वतंत्रता संग्राम के मूक योद्धा विषय पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए स्कूली शिक्षा के दौरान एक कार्यक्रम में नागा डांस करने और इस संस्कृति को समझने का जिक्र भी किया। वनवासी कल्याण आश्रम के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के संगठन मंत्री डाल चंद ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि देश, धर्म और संस्कृति को बचाने में वनवासी वीर सपूतों ने अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया लेककन देश के इतिहास में उनका जिक्र तक नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि मानगढ़ की पहाड़ियों में अंग्रेजों के खिलाफ गुरु अंगद देव की सभा में 1500 से अधिक लोगों ने अपनी शहादत दी। बिरसा मुंडा ने सशस्त्र संघर्ष के लिए समाज को तैयार किया। वनवासी वीर अपने प्राणों की परवाह किए बिना स्वयं की प्रेरणा से देश, धर्म और संस्कृति को बचाने के लिए लड़े और आध्यात्मिक जागरण किया। वनवासी कल्याण आश्रम आदिवासी क्षेत्रों के जनजातीय बच्चों को संपर्क के आधार पर यहां पढ़ाकर उन्हीं क्षेत्रों में भेजता है ताकि वहां के लोगों को ये भारतीय धर्म, संस्कृति और सभ्यता से आत्मसात करवा सकें। वनवासी कल्याण आश्रम की तरफ से हरियाणा प्रांत में विश्वविद्यालय और छात्र वर्ग प्रमुख कुनाल भारद्वाज, वनवासी कल्याण नगर कार्य मंत्री जयभगवान, पूर्व प्राचार्य जगमोहन ने भी सेमिनार में अपने विचार साझा किए।