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एकॉर्ड अस्पताल में दुर्लभ ट्रांसप्लांट, बिना चीरा लगाए निकाली किडनी

उन्नत लैप्रोस्कोपिक तकनीक से अनुभवी डॉक्टरों की टीम ने की सर्जरी‘
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फरीदाबाद के एकॉर्ड अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट करने वाली डॉक्टरों की टीम। -हप्र
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फरीदाबाद, 3 मार्च (हप्र)

ग्रेटर फरीदाबाद के सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल में प्रदेश के मेडिकल इतिहास में पहली बार एक दुर्लभ किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। प्रक्रिया में महिला डोनर के पेट पर कोई चीरा नहीं लगाया गया, बल्कि उन्नत लैप्रोस्कोपिक तकनीक का उपयोग कर उसके गुप्तांग के माध्यम से किडनी निकाली गई और उसके पति में प्रत्यारोपित की गई। अस्पताल के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ. जितेंद्र कुमार और वरिष्ठ ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सौरभ जोशी के नेतृत्व में डॉक्टरों की अनुभवी टीम ने दुर्लभ सर्जरी को अंजाम दिया। डॉक्टरों के अनुसार ये प्रक्रिया मरीज के लिए ज्यादा सुरक्षित और कम दर्दनाक होती है, क्योंकि इसमें बड़ा चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे रिकवरी भी तेज होती है। ग्रेटर फरीदाबाद निवासी 48 वर्षीय अग्नेश्वर रॉय को कई सालों से किडनी की बीमारी थी। इस कारण वह लंबे समय से डायलिसिस पर थे। परिवार की सहमति पर उनका किडनी ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया गया। उनकी पत्नी अर्पिता किडनी देने के लिए आगे आईं।

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डॉक्टर बोले- चिकित्सा जगत के लिए मील का पत्थर

डॉ. जितेंद्र ने बताया कि ये प्रदेश का पहला ऐसा मामला है, जहां इस उन्नत तकनीक का उपयोग किया गया। डॉ. जितेंद्र ने बताया कि इस तकनीक में महिला डोनर की किडनी को एक विशेष नैचुरल ओरिफिस ट्रांसल्युमिनल एंडोस्कोपिक सर्जरी प्रक्रिया के माध्यम से निकाला गया। ये एक अत्याधुनिक प्रक्रिया है, जिसमें प्राकृतिक छिद्रों के जरिये अंग निकाला जाता है। इस पद्धति से किए ऑपरेशन में डोनर को कम दर्द होता है और उनका अस्पताल में ठहरने का समय भी कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि यह भविष्य में किडनी डोनेशन से जुड़ी झिझक को कम करेगा, खासकर महिलाओं के बीच, क्योंकि इसमें शरीर पर कोई निशान नहीं बनता।

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पति-पत्नी स्वस्थ

डोनर महिला और उनके पति, जिन्हें किडनी ट्रांसप्लांट किया गया, दोनों स्वस्थ हैं और तेजी से रिकवर हो रहे हैं। मरीज के परिवार ने एकॉर्ड अस्पताल और उसकी मेडिकल टीम का आभार व्यक्त किया। उनका कहना है कि ये ट्रांसप्लांट उनके जीवन में एक नया सवेरा लेकर आया है।

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