सोनीपत, 20 मई (हप्र)
ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी करने वाले अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान को मंगलवार को दो दिन का रिमांड पूरा होने पर कोर्ट में पेश किया गया। सरकारी वकील ने कई आधार बनाकर 7 दिन के पुलिस रिमांड की मांग की। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए प्रोफेसर अली को 7 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी।
भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी करने के आरोप में पुलिस ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान को 18 मई को गिरफ्तार कर कोर्ट से दो दिन के पुलिस रिमांड पर लिया था। पुलिस ने दो दिन में आरोपी से उसका मोबाइल और लैपटाप बरामद कर इन्हें पंचकूला में फारेंसिक जांच के लिए भेज दिया।
मंगलवार को दोपहर पौने दो बजे आरोपी को दोबारा ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट आजाद सिंह की कोर्ट में पेश किया। सरकारी अधिवक्ता अनुज मलिक ने 7 दिन के रिमांड की मांग करते हुए कहा कि प्रो. अली से उनका पासपोर्ट बरामद करना है। इस पर बचाव पक्ष के 7-8 अधिवक्ताओं की टीम की अगुवाई कर रहे कपिल देव ने कोर्ट को बताया कि वे पुलिस को प्रोफेसर व उसकी पत्नी के पासपोर्ट की कापी उपलब्ध करवा चुके हैं। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पासपोर्ट नंबर डालते ही सभी विदेश यात्राओं का विवरण सामने आ जाएगा। प्रोफेसर के दो बैंक खातों की डिटेल पुलिस को दे दी है। इस पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
करीब पौने घंटे के बाद दोनों पक्षों के दोबारा तर्क सुने गए। अधिवक्ता कपिल देव ने कहा कि वे बुधवार शाम 5 बजे तक पुलिस में मूल पासपोर्ट जमा करवा देंगे। इस पर कोर्ट ने रिमांड की मांग को खारिज करते हुए प्रो. अली खान को 7 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। पुलिस को 90 दिन में चार्जशीट पेश करने को कहा गया। कोर्ट ने कहा कि अगर जांच के दौरान दोबारा रिमांड की जरूरत महसूस हो तो नयी एप्लीकेशन पर आवेदन कर सकती है।
वहीं प्रोफेसर के अधिवक्ता ने कोर्ट से आग्रह किया कि प्रो. अली खान मधुमेह से पीडि़त हैं। उन्हें दवाओं की जरूरत है। इस पर कोर्ट ने चिकित्सक की सलाह पर परिजनों की ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली मधुमेह की दवाओं को प्रो. अली खान तक पहुंचाने की व्यवस्था करने के आदेश दे दिए।