Jind News : ट्रक ने मारी पिकअप को टक्कर, चंडीगढ़ से लौट रहे डिप्टी स्पीकर ने घायलों को पहुंचाया अस्पताल, उपचार भी किया
जसमेर मलिक/ हप्र
जींद, 8 मई
जींद में ट्रक ने पिकअप को टक्कर मार दी। इस दौरान पास से गुजर रहे हरियाणा विधानसभा डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने अपनी गाड़ी रोकी और घायलों की मदद करते हुए उन्हें अस्पताल पहुंचाया। डिप्टी स्पीकर खुद घायलों के साथ अस्पताल गए और वहां उनका उपचार किया। इस दौरान मिड्ढा खुद घायल की नब्ज चेक करते भी नजर आए। घायलों के उपचार के बाद डिप्टी स्पीकर अपने घर की तरफ रवाना हो गए।
हुआ यूं कि बुधवार रात लगभग साढ़े आठ बजे जींद के नरवाना में हरियल चौक के पास ट्रक और पिक-अप गाड़ी की भिड़ंत हो गई। इसमें दो लोग घायल हो गए। हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा चंडीगढ़ से वाया नरवाना होकर जींद की तरफ आ रहे थे। जैसे ही उन्होंने हादसे को देखा, तो तुरंत गाड़ी रुकवाई और स्पॉट पर पहुंच गए। डिप्टी स्पीकर की सिक्योरिटी में मौजूद पुलिस कर्मियों ने घायलों को पिक अप गाड़ी से बाहर निकाला और पायलट गाड़ी में बैठाकर अस्पताल के लिए रवाना कर दिया। पीछे-पीछे खुद डिप्टी स्पीकर भी नरवाना के सिविल अस्पताल पहुंच गए। यहां घायलों का प्राथमिक उपचार किया गया।
मिड्ढा खुद घायल की नब्ज चेक चेक करते नजर आ रहे थे। हालांकि अस्पताल का स्टाफ मौजूद था, लेकिन डिप्टी स्पीकर ने खुद स्ट्रेचर के पास खड़े होकर जब तक मरीज को पट्टी करने समेत प्राथमिक उपचार नहीं दिया गया, तब तक वह देखते रहे। जब उन्हें कन्फर्म हो गया कि मरीज अब पहले से बेहतर है, तब वह अपने घर के लिए रवाना हो गए। घायल को पेट, बाजू, कोहनी, टांग पर चोटें आई थी। डिप्टी स्पीकर ने कहा कि उन्होंने अपना डॉक्टरी धर्म निभाते हुए घायलों का उपचार किया है।
पेशे से डॉक्टर हैं डिप्टी स्पीकर
डॉ. कृष्ण मिड्ढा डॉक्टर हैं। उन्होंने बीएएमएस की हुई है। जींद में उनका अपना अस्पताल है। यहां पहले उनके पिता मरीजों का उपचार करते थे। विधायक होते हुए भी वह हर रोज 150 से 200 मरीजों का खुद इलाज करते थे। उस समय दूर-दराज से आने वाले गरीब मरीजों का वह न केवल मुफ्त में इलाज करते थे बल्कि उन्हें किराए के रुपए तक दिया करते थे। डॉ. हरिचंद मिड्ढा यहां तक कि वे विधानसभा में भी अपनी किट लेकर जाते थे। उनके बाद डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने विधायक बनने के बाद भी मरीजों की सेवा की। अब डिप्टी स्पीकर बनने के बाद उन्हें अस्पताल में मरीजों को देखने का समय कम मिलता है।