सरकार संविधान सम्मत नीति बनाती तो कोर्ट का न आता ऐसा फैसला : सुखबिंदर
नारनौल, 24 मई (हप्र)
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एंव पूर्व अधीक्षण अभियंता राव सुखबिंदर सिंह ने कहा कि आर्थिक-सामाजिक आधार पर भर्ती में दिए जा रहे अतिरिक्त अंकों को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा रद्द करना सरकार की कमजोर, अपारदर्शी और असंवेदनशील नीति का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि यदि हरियाणा सरकार ने मजबूत, न्यायसंगत और संविधान सम्मत नीति बनाई होती तो आज उच्च न्यायालय को यह निर्णय नहीं देना पड़ता। सरकार ने बिना किसी ठोस आधार और जांच के आर्थिक-सामाजिक आधार पर 10 अतिरिक्त अंक देने का नियम बनाया। वह शुरू से ही संवैधानिक कसौटियों और निष्पक्षता की भावना के विपरीत था।
उन्होंने कहा कि सरकार की लापरवाही और दोषपूर्ण नीति के कारण आज दस हजार से अधिक युवाओं की नौकरियों पर तलवार लटक रही है। प्रदेश सरकार ने 11 नवंबर, 2019 को जो अधिसूचना जारी की थी, वह शुरू से ही संविधान के मूल सिद्धांतों और समानता के अधिकार के विरुद्ध थी।
सरकार ने यह नियम राजनीतिक लाभ लेने और कुछ वर्गों को खुश करने के उद्देश्य से बनाया, लेकिन वह इसे विधिसम्मत और पारदर्शी नहीं बना पाई। हाईकोर्ट का निर्णय कानून और मेरिट के आधार पर है, लेकिन इसके पीछे की असली जिम्मेदारी सरकार की है।