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बढ़ायी गयी फीस वसूल लेने के बाद मांगा जा रहा है फॉर्म-6ए

जब तारीख निर्धारित है तो बार-बार क्यों बढ़ाई जा रही अवधि, मंच का आरोप, सरकार पूरी तरह से स्कूल संचालकों के आगे नतमस्तक
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फरीदाबाद, 4 जून (हप्र)

शिक्षा निदेशक पंचकूला ने 3 जून को एक और रिमाइंडर पत्र भेजकर 18 जून तक फार्म 6 जमा करने की वार्निंग रिक्वेस्ट प्राइवेट स्कूल संचालकों से की है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कहा है कि जब हरियाणा सरकार के गजट नोटिफिकेशन 8 दिसंबर 2021 के अनुसार एक फरवरी तक सभी स्कूल संचालकों को फार्म 6 ठीक प्रकार से भरकर ऑनलाइन शिक्षा निदेशक के पास व उसकी हार्ड कॉपी डीईआे के पास जमा करानी है तो उसकी तारीख बार-बार क्यों बढ़ाई जा रही है।

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मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि सबसे बड़ी बात यह है कि वार्निंग रिक्वेस्ट लेटर में गजट नोटिफिकेशन की तारीख का तो जिक्र है लेकिन नोटिफिकेशन में फार्म 6 जमा करने की तारीख 1 फरवरी निर्धारित की गई है इसको वार्निंग लेटर में नहीं लिखा गया है। यह शिक्षा विभाग और स्कूल संचालकों की आपसी सांठगांठ का एक नमूना है।

मंच ने इसकी जानकारी मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को देकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की है। शिक्षा निदेशक ने पहले पत्र निकालकर तारीख 30 अप्रैल तक दूसरा पत्र निकालकर 7 मई तक और अब तीसरा पत्र निकालकर 18 जून तक तारीख बढ़ायी है।

मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व लीगल एडवाइजर एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा है कि अभिभावक जब सब तरह से लुट पिट गए हैं उनसे अप्रैल-मई व जून की बढ़ी हुई फीस वसूल ली गई है, गर्मियों की छुट्टियां भी हो गई हैं तब शिक्षा निदेशक द्वारा फार्म 6 पर शिक्षा सत्र 2024-25 में अभिभावकों से वसूली गई सभी तरह की फीस, अध्यापकों को दी गई तनख्वाह और शिक्षा सत्र 2025-26 में की जाने वाली फीस वृद्धि का ब्योरा व कारण और बढ़ाई तनख्वाह का ब्योरा मांगने का क्या औचित्य है। यह छात्र व अभिभावकों की आंखों में धूल झोंकना है।

मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा है कि नियमानुसार फार्म 6 पर फीस व फंड्स का ब्यौरा व अन्य सभी जानकारी एक फरवरी तक मांगने की तारीख इसलिए निर्धारित की गई थी कि उसमें लिखे गए ब्यौरे की सत्यता की जांच पड़ताल शिक्षा निदेशक आगामी शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले कर सके लेकिन पिछले कई सालों से ग्रीष्मकालीन छुट्टियां होने तक फार्म 6 पर ब्योरा मांगा जाता है।

स्कूल प्रबंधक जो भी फीस वृद्धि लिख दें उसी को शिक्षा विभाग की मौन स्वीकृति मिल जाती है। जब जांच होती ही नहीं है तो फार्म 6 पर मांगे गए ब्यौरे का औचित्य ही क्या है। मंच की मांग है कि मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री शिक्षा, विभाग द्वारा जानबूझकर स्कूल संचालकों के हित में किए जा फैसले के बारे अपना स्पष्टीकरण प्रदेश के सभी अभिभावकों को दें।

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