तनाव को दूर रखने के लिए पंचकोष के सिद्धांत अपनाएं : डॉ. गुप्ता
फरीदाबाद, 5 अप्रैल (हप्र)
हरियाणा उच्च शिक्षा महानिदेशालय के तत्वावधान में डीएवी शताब्दी महाविद्यालय द्वारा बहुविषयक राष्ट्रिय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय ‘स्ट्रेस मैनेजमेंट : वर्क लाइफ बैलेंस एंड रोल ऑफ पॉजिटिव साइकोलॉजी एट वर्कप्लेस’ रहा। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. कृष्णकांत गुप्ता ने संगोष्ठी के मुख्य अतिथि, एमडीयू के पूर्व प्रोफेसर व वाणिज्य विभागाध्यक्ष डॉ. रविंदर विनायक ने विशिष्ट अतिथि के रूप में तथा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, नोएडा की डीन अकादमिक डॉ. नीलम सक्सेना ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की। संगोष्ठी का उद्देश्य शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और पेशेवरों के लिए कार्यस्थल पर तनाव के दबावपूर्ण मुद्दों व तनाव को जीवन से दूर रखने के उपायों पर विचार करना रहा। महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. अर्चना भाटिया ने स्वागत वक्तव्य के साथ छात्रों और युवाओं के बीच जीवन लक्ष्य के रूप में खुशी को पोषित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. केके गुप्ता ने तनाव को जीवन से दूर रखने के लिए पंचकोष के सिद्धांत, प्रकृति व जीवात्मा के संबंध को पहचानते हुए सच्चिदानंद परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग, दैनिक जीवन में घर व ऑफिस पर सही निर्णय लेने के लिए माइंड सेट व पॉजिटिव- नेगेटिव अलजेब्रा को समझाया। डॉ. नीलम सक्सेना ने आंतरिक, बाह्य, एक्यूट, क्रोनिक स्ट्रेस को दैनिक जीवन के साथ जोड़ते हुए वर्क लाइफ बैलेंस व पॉजिटिव साइकोलॉजी पर विचार रखा। प्रो. डॉ. रविंदर विनायक ने शरीर, मन व आत्मा के मध्य प्रबंधन के जरिये स्ट्रेस को दूर रखने के बारे में समझाया। समापन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. सुजाता खंडाई, निदेशक, एमिटी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड फाइनेंस ने सचेत जीवन, अच्छे मानसिक स्वास्थ्य और खुशी और उत्पादकता के बीच सीधे सकारात्मक संबंध के महत्व पर जोर दिया। पैनलिस्ट डॉ. विनीत बंगा निदेशक और प्रमुख, न्यूरोलॉजी और न्यूरोवैस्कुलर इंटरवेंशन, डॉ. रीमा देहल, दौलत राम कॉलेज, डीयू, और डॉ. पारुल खन्ना, वाइस-प्रिंसिपल, आईएमटी, फरीदाबाद और डॉ. भावेश प्रकाश जोशी, निदेशक और एचओडी विभाग, यूजी मैनेजमेंट स्टडीज, एमआरआईआईआरएस द्वारा तनाव पर मनोविज्ञान व शोध से जुड़े प्रश्नों का जवाब उपस्थित प्रतिभागियों के समक्ष दिया गया। उन्होंने सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों, प्राचार्या, साथी संयोजिका डॉ. रुचि अरोड़ा, समिति सदस्यों डॉ. अंकिता महिंद्रा, डॉ. सुमन गुप्ता, डॉ. रश्मि रतुरी, दिनेश चौधरी, गार्गी शर्मा, अमित दहिया, रचना कसाना, डॉ. सोनम अरोड़ा के साथ शिक्षकों, शोधार्थियों, व छात्रों का आभार व्यक्त किया। चार समानांतर तकनीकी सत्र के दौरान कुल 60 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।