धार्मिक पुस्तकों को नहरों में प्रवाहित कर उनका अपमान न करें : जसमेर सिंह
हमारे पवित्र धार्मिक ग्रंथों श्रीमद्भागवत गीता, रामायण, शिव पुराण व कृष्ण पुराण के साथ-साथ सभी प्रकार की धार्मिक किताबों को नहरों में डालकर ग्रंथों का अपमान करते हुए पेयजल को भी प्रदूषित किया जा रहा है। नहरों के जल को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए कार्य कर रहे सुनो नहरों की पुकार मिशन के संस्थापक मुख्य संरक्षक एवं जाट कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. जसमेर सिंह ने बताया कि पिछले 3 साल 10 महीने से मिशन लगातार जल प्रदूषण रोकने को जन जागरूकता के लिए कार्य कर रहा है। इस समय अवधि के दौरान 100 से अधिक धार्मिक ग्रंथ व 200 के करीब धार्मिक किताबें उन्हें दिल्ली बाईपास के नजदीक नहरों के अंदर या आसपास पड़ी मिली हैं। मिशन का एक-एक समर्पित सदस्य आस्था से जुड़े ज्ञान के भंडार ग्रंथ व पुस्तकों को संभाल कर रख देता है ताकि इन्हें किसी को पढ़ने के लिए सौंपा जा सके। उन्होंने बताया कि कई बार तो नहर में जब पानी नहीं या कम होता है तो प्लास्टिक के कैरी बैग में कई प्राचीन धार्मिक ग्रंथ भी नहर के अंदर पड़े हुए मिले हैं जिन्हें निकाल कर सुखाकर जिम्मेदारी के साथ रखा जाता है। इसके साथ-साथ कई बार तो पूजा पाठ की निर्मालय सामग्री के साथ कई धार्मिक ग्रंथ बिल्कुल नए रूप में भी हमें यहां प्राप्त हुए हैं।
उन्होंने बताया कि अब तक मिले धार्मिक ग्रंथो में 45 श्रीमद्भागवत गीता, 8 सुंदरकांड पाठ, 10 श्री रामचरितमानस, 5 शिव उपासना व महाशिवपुराण के अलावा पवित्र शास्त्र, शनि महिमा ग्रंथ, रामायण महाकाव्य, दुर्गा स्तुति, संतमत प्रकाश, संत मार्ग, ज्ञान गंगा, अवतार वाणी, हनुमान चालीसा के अलावा धार्मिक व आरती की किताबें भी हैं, जिनको श्रद्धालु नहरों में प्रवाहित कर जाते हैं। इनसे इन धार्मिक पुस्तकों का अपमान तो होता ही है, साथ ही पानी भी प्रदूषित होता है।
जल बचाने और प्रदूषित न करने की अपील
जल को प्रदूषण मुक्त रखने और धार्मिक ग्रंथो की बेकद्री रोकने में प्रमुख तौर पर डॉ. जसमेर सिंह, शिक्षक दीपक छारा, साइकिलिस्ट मुकेश नानकवाल, रक्तवीर अजय हुड्डा, डॉ. रविंद्र नांदल, ईश्वर सिंह दलाल, साहब सिंह धामड, प्रीत सिंह अहलावत, डॉ. संतलाल बुधवार, नवीन अहलावत, अमित हुड्डा, रणवीर सिंह मलिक, वेदपाल नैन, रविंद्र मलिक, स्वीटी मलिक, निर्मल पन्नू, मीनू सिंह, वंदना वर्मा, करण सिंह अहलावत, कैप्टन जगबीर मलिक, सतबीर सिंह छिकारा आदि जल प्रेमी प्रतिदिन नहरों पर उपस्थित रहकर लोगों को जल बचाने और उसे प्रदूषित न करने की अपील करते हैं।