‘रेल कोरिडोर का बढ़ा मुआवजा नहीं मिला, 18 करोड़ का किया घपला’
सोनीपत, 2 मई (हप्र)
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारतीय किसान नौजवान यूनियन ने रेलवे कोरिडोर के लिए किए गए जमीन अधिग्रहण के मुआवजे में 18 करोड़ रुपये का घपला करने का आरोप लगाया है। घपले के आरोप की जांच समेत 5 मांगों को लेकर लघु सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। बाद में किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ की अगुवाई में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नाम एसडीएम सुभाष चंद्र को ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि रेलवे कॉरिडोर के लिए जनवरी 2023 में जमीन अधिग्रहण का कार्य शुरू हुआ था। उस समय किसानों ने कम मुआवजा देने के चलते 8 माह तक धरना दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उपायुक्त के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में किसानों का मुआवजा बढ़ाने पर सहमति जताई थी। आयुक्त ने 8 फरवरी, 2024 को बढ़े मुआवजे को मंजूरी प्रदान कर 29 से 39 लाख रुपये एकड़ कर दिया था। ऐसे में जिला में 25 से 30 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा के हिसाब से 18 करोड़ रुपये की राशि बढ़ाई गई थी। करीब सवा साल बीत जाने के बावजूद किसानों को बढ़ा मुआवजा राशि नहीं मिली है। मुख्यमंत्री से मांग है कि 18 करोड़ मुआवजा राशि व उसका ब्याज अब तक कहां अटका है, मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए।
आग से हुए नुकसान का भी मांगा मुआवजा
किसान नेता अभिमन्यु ने कहा कि जिला में आग लगने की घटनाओं से किसानों को हुए नुकसान का प्रति एकड़ 50 हजार रुपये मुआवजा दिया जाए। एक अप्रैल, 2025 से बढ़े कलेक्टर रेट पर लगाई गई रोक को हटाया जाए। खरीफ का सीजन शुरू होने से किसानों को नहरी पानी मुहैया कराया जाए। फरमाणा मंडी के 70 फीसदी किसानों को 22 दिन बाद भी गेहूं की पेमेंट नहीं मिली है। मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल में गड़बड़ी से कुछ किसान फसल की पेमेंट से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की उपरोक्त मांगों को जल्द समाधान किए जाए।
‘पाकिस्तान अभी भी जा रहा 25 फीसदी पानी’
अभिमन्यु कोहाड़ ने हरियाणा-पंजाब के पानी पर कहा कि दो राजनीतिक पार्टियों में जंग चल रही है। उन्होंने पहलगाम में आतंकी हमले पर कहा कि केंद्र सरकार ने सिंधु जल समझौता पर रोक लगाकर सराहनीय कार्य किया, लेकिन समझौते के रावी, सतलुज, व्यास नदी का 20 से 25 फीसदी पानी अभी भी पाकिस्तान जा रहा है। खस्ताहाल डैम का पुनर्निर्माण करवाया जाए। उन्हें ठीक करवाकर 25 फीसदी पानी को भी हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश के किसानों को दिया जाए। शारदा यमुना लिंक परियोजना पर 45 साल से किसी सरकार ने काम नहीं किया, जबकि इस कार्य पर 70 से 75 हजार करोड़ का खर्च ही आना है। इस परियोजना पर काम होने से उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश व गुजरात के किसानों को साढ़े 9 मिलियन एकड़ फुट ही पानी अलग से मिल सकेगा।