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जो कह गये हमेशा के लिए अलविदा...

कई मशहूर हस्तियों ने कहा दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा
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रतन टाटा
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साल के आखिर में घटनाओं व उपलब्धियों को याद करने के साथ ही कुछ शख्सियतों के जाने का अफसोस होना भी स्वाभाविक है। साल-2024 में उद्योग, कला-संगीत, सिनेमा, खेल व राजनीति समेत विभिन्न क्षेत्रों की नामी हस्तियां संसार को सदा के लिए अलविदा कह गयीं।

निकहत कुंवर

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एक शायर सच कह गये हैं- ‘मौत से किस की रुस्तगारी है/आज वो, कल हमारी बारी है’, लेकिन जब किसी के जाने से तबले जैसा साज़ भी खामोश हो जाये तो हर संवेदनशील दिल अफ़सोस करता है। उस्ताद ज़ाकिर हुसैन और तबला एक दूसरे का पर्याय थे। बीते 15 दिसम्बर को जब ‘वाह ताज!’ उस्ताद ने 73-वर्ष की आयु में अमेरिका के एक अस्पताल में हमेशा के लिए अपनी आंखें बंद कीं तो तबला भी ‘खामोश’ हो गया। वैसे शास्त्रीय संगीत के लिए यह साल बहुत बुरा रहा। साल के शुरू में ही 9 जनवरी 2024 को कोलकाता में उस्ताद रशीद खान चल बसे और हम ‘आओगे जब तुम ओ साजना’ ही पुकारते रह गये। फिर 26 फरवरी 2024 को ऊपर वाले ने 72 वर्षीय ग़ज़ल गायक पंकज उधास को अपने पास बुला लिया, शायद उसे भी ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’ ग़ज़ल सुननी थी। जिस दिन उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का निधन हुआ, उसी दिन ठाणे, मुंबई में शास्त्रीय गायक पंडित संजय राम मराठे भी हमेशा के लिए अलविदा कह गये।

सियासत में भी अपूरणीय क्षति

सियासत में भी कई हस्तियों के निधन से अपूरणीय क्षति हुई। राजनेता ओम प्रकाश चौटाला, जो पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे, गत 20 दिसम्बर की सुबह अपने गुरुग्राम स्थित मकान में उठे तो तबीयत बिगड़ी, अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। चौटाला के अतिरिक्त भी अनेक प्रमुख राजनीतिक हस्तियों ने इस साल हमारा साथ छोड़ा। सत्तर के दशक में भारतीय राजनीति के क्षितिज पर सीताराम येचुरी का उदय हुआ, जिनकी व्यावहारिक राजनीति ने कई दशकों तक देश की सियासत को प्रभावित किया। अब ऐसे सुलझे हुए राजनीतिज्ञ की हमेशा कमी महसूस की जाती रहेगी, क्योंकि 12 सितम्बर को माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी का श्वास संबंधी बीमारी से निधन हो गया। वह 72-वर्ष के थे। सीताराम येचुरी के अतिरिक्त एक अन्य कामरेड पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने 80 साल की उम्र में 8 अगस्त 2024 को अपने जीवन की आखिरी सांस ली। उनके दो दिन बाद यानी 10 अगस्त को भारतीय राजनयिक व राजनेता नटवर सिंह का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। ‘किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आयी/मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में मां आयी’- मुनव्वर राना का यह कालजयी शेर किसने नहीं सुना, लेकिन अफ़सोस इस शायर की कलम से अब कोई शेर नहीं निकलेगा क्योंकि 14 जनवरी 2024 को लखनऊ में उन्होंने इस दुनिया से ही पर्दा कर लिया।

जाने वालों में फ़िल्म जगत की भी हस्तियां

इस साल में अनेक फ़िल्मी हस्तियां भी हमें अलविदा कह गईं, हमेशा के लिए- बंगाली सिनेमा की स्तंभ श्रीला मजूमदार (27 जनवरी 2024) , सुहानी भटनागर (16 फरवरी 2024) तो मात्र 19 साल की थीं, ‘दंगल’ फिल्म में बाल कलाकार थीं, वह दुर्लभ त्वचा रोग के कारण शरीर त्याग गईं, टीवी एक्टर विकास सेठी (8 सितम्बर 2024) और अनुभवी ऋतुराज सिंह (19 फरवरी 2024) आदि। लीजेंडरी रेडियो होस्ट अमीन सयानी, जिनकी आवाज़ की वजह से ‘बिनाका गीतमाला’ घर-घर पहुंचा, वह भी 91 साल की आयु में 20 फरवरी 2024 को अलविदा कह गये। फिर 1 नवम्बर 2024 को फैशन वर्ल्ड सूना हो गया जब रोहित बल की 63-वर्ष की आयु में आंखें बंद हो गईं। बिहार कोकिला के नाम से विख्यात शारदा सिन्हा का 5 नवम्बर 2024 को निधन हुआ। क्रिकेट के दीवाने देश को एक बुरी खबर 31 जुलाई 2024 को मिली जब सलामी बैटर अंशुमन गायकवाड़ का 72 साल की उम्र में वडोदरा में निधन हो गया।

एक रत्न के जाने से वीरानी

इस साल यूं तो कई महान विभूतियां हमें छोड़कर गईं, लेकिन रतन टाटा एक ऐसी हस्ती थे कि उनके जाने से उद्योग जगत वीरान सा हो गया है। टाटा ग्रुप को ग्लोबल ख्याति दिलाने का श्रेय रतन टाटा को ही जाता है, जिनका 9 अक्तूबर 2024 की देर रात को लम्बी आयु संबंधित बीमारी से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। वे 86 वर्ष के थे। रतन टाटा भारतीय उद्योग में नई क्रांति लेकर आये। कहना अतिश्योक्ति न होगा कि वह अपने आपमें एक दुर्लभ औद्योगिक विचार थे। इसके अलावा इस साल भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी नृत्यांगना यामनी कृष्णमूर्ति, महान हिंदी लेखिका मालती जोशी, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व लोकसभा व राज्यसभा सदस्य मनोहर जोशी भी हमेशा के लिएअलविदा कह गये। -इ.रि.सें.

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