अभिनय व निर्देशन दाेनों में महारत रखने वाले चित्तरंजन त्रिपाठी ने एनएसडी से एक्टिंग की पढ़ाई की। थिएटर समेत नाटकों, फिल्मों व वेब सिरीज में एक्टिंग व डायरेक्शन के क्षेत्र में व्यस्त रहने के बाद अब एनएसडी के निदेशक पद पर हैं। उन्हें सब जॉनर अच्छे लगते हैं।
रेणु खंतवाल
चित्तरंजन त्रिपाठी अब तक 45 से ज्यादा फिल्में और वेब सिरीज कर चुके हैं। वे अच्छे अभिनेता व निर्देशक हैं। उनका नाटक ‘ताजमहल का टेंडर’ इसकी मिसाल है। चित्तरंजन ने उड़िया फिल्म ‘धौली एक्सप्रेस’ बनाई। दिल्ली 6, तलवार, शुभ मंगल सावधान, जग्गा जासूस जैसी फिल्में की व नेटफ्लिक्स सिरीज सीक्रेट गेम्स में उनका निभाया त्रिवेदी का किरदार चर्चा में रहा। जिस एनएसडी से उन्होंने अभिनय की पढ़ाई की आज उसी एनएसडी के निदेशक हैं। उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश -
27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस है। रंगकर्मी जिसकी जिंदगी में रोज ही थिएटर है उसके लिए इस दिवस का क्या महत्व है?
थिएटर सबकी जिंदगी में है केवल थिएटर वालों की नहीं। क्योंकि पूरी सृष्टि रंगमंच को क्रिएट करती है। हमारे जीवन में रंगमंच है यह भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र में कहा है।
मराठी, गुजराती, अंग्रेजी थिएटर बहुत व्यावसायिक हैं लेकिन हिंदी रंगमंच पीछे रह गया है?
व्यावसायिक थिएटर जहां-जहां है वहां का समाज नाटक से जुड़ा है। नाटक देखना जीवन का हिस्सा है, टिकट खरीदकर नाटक देखते हैं। हिंदी जगत में लोग टिकट खरीदने से पीछे हट जाते हैं। इस वजह से हिंदी रंगमंच ज्यादा व्यावसायिक नहीं हो पाया।
आपने थिएटर, फिल्म, टीवी, ओटीटी सब कर लिया है। आपका फेवरेट जॉनर कौन सा है?
जिस भी विधा में काम किया उसे बहुत इंजॉय किया। अपने काम को लेकर समर्पित हूं। अभी एनएसडी निदेशक हूं तो सोचता रहता हूं कि थिएटर को कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जाये। यही सोच फिल्म, टीवी और ओटीटी के लिए रहती है। मुझे हर जॉनर से प्यार है लेकिन थिएटर की बात कुछ और ही है।
ओटीटी कंटेंट में अश्लीलता की बहुत आलोचना होती है?
अगर लोग इस विषय पर अलग तरह से प्रतिक्रिया देंगे तो जरूर बदलाव आएगा। अब सरकार ने इस मुद्दे को संज्ञान में ले लिया है, इस दिशा में नियम बनेंगे। अश्लीलता या गाली गलौज को लोग बोलने की आजादी के नाम से भुना रहे हैं।
आपने जितनी भी भूमिकाएं निभाईं उसमें से फेवरेट कौन सी रही?
मैंने सभी किरदार इंजॉय किए। चाहे दो लाइन का भी रोल करना हो तो भी उतनी ही गंभीरता से करता हूं जितना कि दस सीन का रोल।
आपकी एनएसडी ट्रेनिंग फिल्म, वेब सिरीज करते हुए कितनी काम आई? क्या मीडियम को बदलने से एक्टिंग में कोई चेंज आता है?
ट्रेनिंग मेरी फिल्म हों या ओटीटी, सब जगह बहुत काम आई। रही बात मीडियम की तो एक्टिंग तो एक्टिंग है। कुछ भी अलग नहीं।
क्या एक अभिनेता के लिए रोल का बड़ा-छोटा होना मायने रखता है?
बहुत मायने रखता है। बड़े रोल में आप बार-बार दर्शकों के सामने आते हैं। बहुत सिचुएशन्स होती हैं खुद को एक्सप्रेस करने के लिए। पहचान मिल पाती है। लेकिन छोटे रोल में ऐसा कम है।
आपका कोई फेवरेट को-स्टार जिसकी एक्टिंग से आप बहुत प्रभावित रहे?
विक्की कौशल। मैंने एक फिल्म की थी जुबान। जुबान विक्की की पहली फिल्म थी । मैंने विक्की के साथ पहला सीन किया तो उन्हें हकलाकर बोलना था। मैं दंग रह गया, जब उन्होंने स्टैमर करके संवाद बोला। घर आकर मैंने बताया कि वह बड़ा एक्टर बनेगा। आज विक्की कौशल ने खुद को साबित कर दिया।