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क्षमता की पहचान से सफलता की राह

  डॉ. नीना एक पैरेंट-टीचर मीटिंग का माहौल याद आ रहा है- इम्तिहान के रिज़ल्ट आये हैं, लगभग सभी बच्चे पास हैं, खुश हैं। वहीं उनमें से कुछ बच्चे डरे-सहमे से मां के पास चिपके खड़े हैं। टीचर बता रही...
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डॉ. नीना

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एक पैरेंट-टीचर मीटिंग का माहौल याद आ रहा है- इम्तिहान के रिज़ल्ट आये हैं, लगभग सभी बच्चे पास हैं, खुश हैं। वहीं उनमें से कुछ बच्चे डरे-सहमे से मां के पास चिपके खड़े हैं। टीचर बता रही हैं, यह बच्चा ज़रा कम सीरियस है कभी होम वर्क नहीं करता तो कभी क्लास में झगड़े-लड़ाई... पढ़ाई में मन कम लगता है। बच्चे के अभिभावक सहमति में सिर हिला रहे थे, ऐसे जैसे कि अपने जमाने में वे खुद बड़े पढ़ाकू रहे हों। बदलते हुए समय के साथ प्रत्येक बच्चे में बेहतर पढ़ाई की क्षमता रहे, इसके लिये बहुत सी बातों की आवश्यकता रहती है जिन पर ध्यान देने की ज़रूरत है। बच्चे अपनी क्षमता के हिसाब से मेहनत करते हैं, पढ़ते हैं, लेकिन टीचर और अभिभावक दोनों की ज़िम्मेदारी होती है कि अपने बच्चों की क्षमता को पहचानें। बात समीचीन बन जाती है कि अभिभावक स्कूल में पढ़ रहे अपने बच्चे से कैसे व्यवहार करें, क्या खिलायें- पिलायें कि उसका स्वास्थ्य अच्छा रहे, मन लगे पढ़ाई में लगे, फोकस सही रहे।

यकीन करें और दिलाएं भी

सबसे पहले अपने बच्चे पर भरोसा करें, उसे यह अहसास करायें कि मेहनत करके वह सफलता हासिल कर सकता है।

बच्चे को कॉन्फिडेंस में लें और पता करें उसे क्या पसंद है व क्या नहीं। उसे क्या-क्या अड़चनें आती हैं पढ़ाई में? कौनसे विषय आसान लगते हैं?

लिखकर याद करने के फायदे

लिख-लिख कर याद करना एक उपयोगी आदत है। इससे किसी टॉपिक को याद रखना ज्यादा आसान होता है। हालांकि अपने सब्जेक्ट को समझना ज़्यादा ज़रूरी है, उसे रटने की ज़रूरत नहीं।

तुलना तो कभी नहीं

किसी दूसरे बच्चे से कभी भी अपने बच्चे की तुलना न करें। हर बच्चा अलग है, सभी की अपनी-अपनी क्षमता और गुण हैं। बच्चे की दोस्त बनें। उसकी ख़ुशी सेलिब्रेट करें वहीं किसी नाकामी की स्थिति में उसकी मदद के लिए तैयार रहें।

खान-पान पर भी ध्यान

उसके खान-पान पर भी ध्यान दें। बात करते रहें कि उसे क्या पसंद है व क्या नहीं। उसके खाने में स्वाद का ध्यान रखें व पौष्टिकता का भी। मौसमी फल जैसे अनार , सेब , स्ट्रॉबेरी, बादाम , अखरोट व खजूर इत्यादि भोजन के आनंद को कई गुणा बढ़ाते हैं, साथ ही पोषण व शक्ति प्रदान करते हैं। यकीनी बनाएं कि मौसम के अनुसार वह दही , दलिया , लस्सी, हरी सब्ज़ियां व दूध आदि का सेवन करे। इससे उसका मन पढ़ाई में भी लगा रहेगा। दूध में मिश्री मिला कर बच्चे को पिला सकते हैं।

मौसम के अनुकूल खुराक

गर्मियों में ब्राह्मी, ख़स , बेल व गुलाब आदि कुछ शर्बत दूध में मिक्स करके बना कर दिए जा सकते हैं, आजकल बाज़ार में बने-बनाए शर्बत भी उपलब्ध हैं। सर्दियों में सूखे मेवे बादाम,किशमिस व अखरोट दे सकते हैं। चार-छह बादाम, किशमिस व एक चम्मच सौंप रात में पानी में भिगोकर रख दें, या पीस-छान कर दें। उसकी याद्दाश्त पर सकारात्मक असर रहेगा। जंक फ़ूड से बचें हालांकि पिज़्ज़ा, बर्गर वीकेंड पर बनाया जा सकता है।

पर्याप्त नींद

पढ़ाई के लिए सुबह का समय चुनें तो अच्छा रहेगा। जल्दी उठना अच्छी आदत है, लेकिन छह से आठ घंटे सोना भी ज़रूरी है।

व्यायाम व ध्यान

बच्चा यदि प्रतिदिन व्यायाम करे तो शारीरिक-मानसिक रूप से बेहतर रहता है। योग आसन, प्राणायाम व मेडिटेशन करना भी अच्छी आदत है, जो बच्चे अपने बड़ों के साथ सीख सकते हैं। इससे बच्चे हर इम्तिहान में सफल होने की क्षमता प्राप्त कर सकते हैं।

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