Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

परीक्षार्थियों के हित भी सुरक्षित होते हैं कानूनी अधिकारों से

उल्लंघन की शिकायत के लिए भी कई मंच
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
परीक्षा देते विद्यार्थी
Advertisement

देश में परीक्षाओं की व्यवस्था कई नियम-कानूनों के मुताबिक की जाती हैं। वह स्कूल-कॉलेज की कक्षा पास करने के लिए इम्तिहान हो या फिर प्रतियोगी परीक्षा। परीक्षा में तय नियमों का पालन करना जरूरी है। वहीं परीक्षा के आयोजन, संचालन से लेकर मूल्यांकन तक की प्रक्रिया में परीक्षार्थियों को भी कई अधिकार हासिल हैं। यदि किसी परीक्षार्थी के अधिकारों का उल्लंघन हो तो वह परीक्षा केंद्र, शिक्षा बोर्ड, अदालत या उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकता है।

Advertisement

प्रभाकांत कश्यप

परीक्षाओं से संबंधित कई महत्वपूर्ण कानून हैं, जिन्हें हर छात्र, शिक्षक, स्कूल या कॉलेज प्रशासक को जानना चाहिए। विशेषकर परीक्षा हाल में बैठने वाले परीक्षार्थियों के लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि उनके अपने क्या कानूनी अधिकार हैं। क्योंकि भारतीय कानून न सिर्फ परीक्षार्थियों के अधिकारों की सुरक्षा करता है बल्कि यदि किसी परीक्षार्थी के साथ अन्याय होता है तो वह परीक्षा केंद्र, शिक्षा बोर्ड, अदालत या उपभोक्ता फोरम में अपील कर सकता है। जानिये परीक्षार्थियों के अपने कानूनी अधिकारों के बारे में।

उत्तर पुस्तिका के गलत मूल्यांकन पर

यदि किसी छात्र को लगता है कि उसकी परीक्षा पुस्तिका में कुछ गड़बड़ी की गई है या उसकी परीक्षा पुस्तिका का गलत मूल्यांकन हुआ है, तो वह आरटीआई अधिनियम 2005 (सूचना का अधिकार) के तहत अपनी उत्तर पुस्तिका देखने और मूल्यांकन में पारदर्शिता की मांग कानूनी तौर पर कर सकता है। यदि उसे उत्तर पुस्तिका नहीं दिखायी जाती है तो वह इसकी अपील केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में कर सकता है। यदि किसी छात्र को गलत तरीके से फेल किया जाता है या उसे गलत नंबर दिये जाते हैं अथवा उसको दिये गये नंबरों को गलत जोड़ा जाता है, तो वह संबंधित बोर्ड या विश्व विद्यालय से पुनर्मूल्यांकन की मांग कर सकता है और अगर प्रारंभिक तौर पर आनाकानी होती है, तो इसके लिए छात्र और उसके अभिभावक हाईकोर्ट या उससे भी ऊंची अदालत जा सकते हैं।

दिव्यांग परीक्षार्थियों के अधिकार

दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत यदि किसी दिव्यांग परीक्षार्थी और उसके सहायक लेखक को परीक्षा केंद्र तक पहुंचने की सुविधा नहीं दी जाती है तो वह मानवाधिकार आयोग में इस बात की शिकायत कर सकता है। अगर कोई परीक्षा केंद्र दिव्यांग परीक्षार्थियों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन नहीं करता, तो उस परीक्षा केंद्र प्रशासन के खिलाफ परीक्षार्थी आईपीसी की धारा 188 यानी सरकारी आदेश की अवहेलना का मामला दर्ज करा सकता है।

पेपर लीक या गड़बड़ी होने पर

यदि किसी परीक्षा केंद्र में पेपर लीक हो जाता है या इसके संबंध में कोई गड़बड़ी होती है तो परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था के खिलाफ आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत केस दर्ज हो सकता है। यदि परीक्षा में पैसे लेकर नंबर बढ़ाने की कोशिश की गई तो यह धोखाधड़ी मानी जायेगी और संबंधित व्यक्ति या व्यक्तियों पर इसके चलते आईपीसी की धारा 420 के तहत मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है। इसी तरह ऑनलाइन परीक्षा में पेपर लीक होने, हैकिंग या अन्य डिजिटल धोखाधड़ी होती है तो आईपीसी अधिनियम 2000 (साइबर अपराध) के तहत कानूनी कार्रवाई की जाती है।

गरिमा और सम्मान का अधिकार

सिर्फ शिक्षकों को ही गरिमा और सम्मान का अधिकार नहीं है, परीक्षार्थियों के पास भी यह अधिकार है। यदि किसी परीक्षा केंद्र में किसी परीक्षार्थी के साथ दुर्व्यवहार होता है, उसे किसी बात को लेकर धमकी दी जाती है, उसके साथ जातिगत भेदभाव किया जाता है, लैंगिक भेदभाव होता है या मानसिक उत्पीड़न किया जाता है, तो वह इस सबके खिलाफ पहले तो संबंधित परीक्षा केंद्र के पर्यवेक्षकों से और वहां सुनवाई न होने पर संबंधित परीक्षा बोर्ड या कानूनी संस्था से इसके विरुद्ध शिकायत कर सकता है। क्योंकि परीक्षा केंद्र में हर परीक्षार्थी को ‘राइट टू डिग्निटी एंड राइट टू रिस्पैक्ट’ यानी गरिमा और सम्मान का अधिकार हासिल है।

महिला परीक्षार्थियों के साथ दुर्व्यवहार

यदि किसी परीक्षा केंद्र पर महिला परीक्षार्थियों के साथ दुर्व्यवहार होता है, जानबूझकर गलत तरीके से उनकी तलाशी लेने की कोशिश की जाती है या उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है तो वह संबंधित अधिकारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज करा सकती है। आईपीसी की यह धारा 354 महिलाओं के साथ अश्लील या अनुचित व्यवहार को इंगित करती है। इसी तरह आईपीसी की धारा 509 के तहत यदि किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचायी जाती है, चाहे वह बोलकर ठेस पहुंचायी जाये या इशारों से, इसे उस महिला के खिलाफ दुर्व्यवहार माना जाएगा और इस पर संबंधित व्यक्ति, संस्था या संगठन के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

परीक्षार्थी क्या करें?

परीक्षार्थियों को ये सभी कानूनी अधिकार तभी हासिल हो सकते हैं, जब वे कुछ भी ऐसा न करें जो खुद कानून के विरुद्ध जाता हो, तो जानिये परीक्षा केंद्र में परीक्षार्थियों को किन नियमों और बातों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। बता दें कि जब भी परीक्षार्थियों के विरुद्ध कोई गलत एक्शन लिया जाए तो उन्हें परीक्षा केंद्र के पर्यवेक्षक या इनविजिलेटर से इस संबंध में लिखित शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। वहीं परीक्षार्थियों को अपनी शिकायत परीक्षा नियंत्रक को भेजनी चाहिए, अगर पर्यवेक्षक उसकी बात न मानें। यह भी कि परीक्षार्थियों को अपने शिक्षा मंत्रालय और शिक्षा बोर्ड का पता होना चाहिए। अगर मानवाधिकार आयोग या महिला आयोग उनकी शिकायत न दर्ज करे तो इनके पास जाना चाहिए और अगर यहां भी सुनवाई न हो तो कोई भी परीक्षार्थी अपनी शिकायत लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। -इ.रि.सें.

Advertisement
×