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पहले जैसा नहीं रहा बड़ी फ़िल्मों का क्रेज

बड़ी फिल्मों के बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन को लेकर कुछ संदेह जुड़े रहते हैं। ऊपर से, बजट बड़ा होने के चलते बड़ी फिल्मों में रिस्क ज्यादा रहता है। इनमें कुछ फिल्मों का निर्माण अधूरा रह जाता है। कहानी, निर्देशन में कमी...
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बड़ी फिल्मों के बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन को लेकर कुछ संदेह जुड़े रहते हैं। ऊपर से, बजट बड़ा होने के चलते बड़ी फिल्मों में रिस्क ज्यादा रहता है। इनमें कुछ फिल्मों का निर्माण अधूरा रह जाता है। कहानी, निर्देशन में कमी लगे या फिर एक्टर्स में- वितरक मुंह मोड़ लेते हैं। यूं भी दर्शक खरा मनोरंजन चाहेगा, न कि बड़ी फिल्म।

असीम चक्रवर्ती

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इस समय बॉलीवुड में ‘लाहौर 1947’, ‘वॉर-2’, ‘वेलकम टू द जंगल’, ‘रामायण’, ‘धुरंधर’, ‘भूत बंगला’, ‘गोलमाल-5’, ‘बार्डर-2’, ‘नो एंट्री-2’, ‘बाप’, ‘मेट्रो इन दिनों’, ‘जाट-2’ जैसी कई बड़ी फिल्में विभिन्न निर्माण चरणों में हैं। इनमें कुछ फिल्में प्रदर्शन की तैयारी में हैं। लेकिन बड़ी फिल्मों की मुश्किल यह है कि इनके बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन को लेकर कुछ संदेह जुड़े रहते हैं।

कुछ तो गड़बड़ है

पिछले कुछ समय से चर्चा में रही प्रोड्यूसर आमिर ख़ान की फिल्म ‘लाहौर 1947’ पर संदेह के बादल मंडराने लगे हैं। कहा जा रहा है कि निर्देशक राजकुमार संतोषी और फिल्म के हीरो सनी देओल, आमिर की बेवजह दखलअंदाज़ी से नाखुश हैं। फिल्म लगभग पूरी हो चुकी है पर आमिर इसमें अपना पसंदीदा एजेंडा फिट करने की कोशिश कर रहे हैं। यह बात इन दोनों को ही नापसंद है। इसलिए उन्होंने फिल्म से दूरी बना ली है। दोनों का कहना है कि एजेंडा फिल्म की कहानी को बिगाड़ देगा। वहीं सनी का कहना है कि आमिर का सुझाव मानने पर उनकी इमेज ध्वस्त होगी। ‘गदर’ के बाद सनी की जो दमदार छवि बनी है, उसे वह बदलना नहीं चाहते। क्योंकि अपनी अगली फिल्मों ‘रामायण’, ‘जाट-2’ आदि में उसी छवि को भुनाया जा रहा है। लिहाजा फिल्म की प्रदर्शन तिथि दो बार टल चुकी है।

जंगल में अमंगल की आशंका

अक्षय की नई फिल्म ‘वेलकम टू द जंगल’ में उनके साथ नए दौर के कई सितारे हैं। अब जबकि यह फिल्म लगभग पूरी हो चुकी है और रिलीज़ के कगार पर है, ज़्यादातर वितरकों ने इससे मुंह मोड़ लिया है। वजह, फिल्म के नए निर्देशक में इस फ्रैंचाइज़ी के पहले के निर्देशक अनीस बज़्मी जैसी काबिलियत नहीं है। दूसरी ओर, नए दौर के सितारों से वितरक खास प्रभावित नहीं हैं।

‘वॉर’ का अब क्रेज नहीं

यशराज बैनर की ‘वॉर’ एक बड़ी हिट थी। अब यह बैनर ‘वॉर-2’ लेकर आ रहा है। लेकिन इस बार निर्देशक सिद्धार्थ आनंद की बजाय अयान मुखर्जी को चुना गया है। ‘ब्रह्मास्त्र’ जैसी फ्लॉप फिल्म के बाद अयान मुखर्जी की साख भी काफी गिर

चुकी है।

दूसरी ओर, इसके दोनों लीड कलाकार – ऋतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ – भी आउटडेटेड की श्रेणी में हैं। वितरक इन बातों को गंभीरता से ले रहे हैं। इसलिए बड़े सितारों की फिल्मों का मार्केट वैल्यू गिरा है। फिलहाल इस फिल्म को जूनियर एनटी रामाराव की लोकप्रियता के बल पर बेचा जा रहा है।

फिर ‘रामायण’ की चर्चा

इस कड़ी में सबसे ज़ोरदार चर्चा ‘रामायण’ की हो रही है। इसके कई कारण हैं। पहला – फिल्म का स्टारकास्ट। रणबीर कपूर, आलिया भट्ट के अलावा इसमें हनुमान का अहम रोल सनी देओल निभा रहे हैं और साउथ के अभिनेता यश रावण की भूमिका में नज़र आएंगे। सनी भी हनुमान के अपने किरदार में डूब चुके हैं। निर्देशक नितेश तिवारी की भी मजबूत पहचान है। तीन भागों में बनने वाली इस फिल्म को लेकर वितरकों में क्रेज है।

‘बॉर्डर’ पर फिर खड़े हैं

कहने की जरूरत नहीं कि जेपी दत्ता की लोकप्रिय फिल्म ‘बॉर्डर’ की दर्शनीयता आज भी कायम है। जेपी की बेटी निधि दत्ता इसके दूसरे भाग को बनाने का प्रयास काफी समय से कर रही थीं। अब उन्होंने इसके निर्देशन की जिम्मेदारी अनुराग सिंह को सौंपी है। शूटिंग शुरू हो चुकी है। स्टारकास्ट में ‘बॉर्डर’ के कुछ पुराने कलाकार शामिल हैं। यह फिल्म अगले साल की शुरुआत में रिलीज़ होगी।

पाइपलाइन में कई फिल्में

वैसे तो कई फिल्में इस सूची में दर्ज हैं – ‘धुरंधर’, ‘अल्पा’, ‘भूत बंगला’, ‘गोलमाल-5’, ‘नो एंट्री-2’, ‘बाप’, ‘मेट्रो इन दिनों’, ‘जाट-2’, ‘हेरा-फेरी-2’ आदि। इनमें से कुछ ही फिल्में निर्माण के अंतिम चरण तक पहुंच पाएंगी। लेकिन कुछ फिल्में जैसे ‘धुरंधर’, ‘अल्पा’, ‘भूत बंगला’, ‘गोलमाल-5’ आदि के प्रदर्शन की संभावना पूरी है। वजह यह कि इनके प्रोड्यूसर नामचीन हैं और लगातार फिल्में बना रहे हैं। मसलन अक्षय कुमार अपनी किसी फिल्म को अधूरा छोड़ना नहीं चाहते।

आजकल दर्शक समझदार हो गया है। आलोचक राजगोपाल नांबियार कहते हैं – ‘अब दर्शक किसी भी घटिया फिल्म को बर्दाश्त नहीं करता। 200-250 रुपये का महंगा टिकट खरीदने से पहले वह सौ बार सोचता है। वह कई तरीकों से फिल्म की जानकारी जुटाता है, तभी उसे देखने जाता है। किसी बड़े स्टार का आकर्षण अब उसके लिए मायने नहीं रखता।’ कोई भी महंगी चीज़ क्यों खरीदे, अगर वह संतोषजनक न हो।

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