रजनी अरोड़ा
सर्दियों के मौसम में फूलों की विविधता देखते ही बनती है जिनके मनमोहक रंगो और खुशबू से वातावरण गुलज़ार होता है, लेकिन इस मौसम में कम तापमान और रात को पड़ने वाला पाला पौधों को नुकसान पहुंचाता है। आइये जानते हैं कि सर्दियों में पौधों की देखरेख कैसे करें ताकि बगिया हरी-भरी और फूलों से महकती रहे।
वाॅटरिंग को रेगुलेट करें
सर्दी में तापमान कम होने के कारण पौधों को पानी की बहुत कम जरूरत होती है। गर्मियों में पौधों को जहां दिन में दो बार पानी देना पड़ता है, सर्दियों में 4-5 दिन में एक बार देना पड़ता है। जब तक ऊपरी मिट्टी 1-2 इंच सूख नहीं जाती, तब तक पानी नही दें। बेहतर है कि उसमें पानी देने से पहले कम से कम एक इंच की गुड़ाई करें, फर्टिलाइजर दें। अगले दिन पानी दें। पौधों में एक मुट्ठी गोबर खाद या वर्मी कंपोस्ट डाल दें। 10-12 दिन बाद लिक्विड खाद या कंपोस्ट टी दें। सर्दियों में पौधों की मिट्टी में काफी दिन तक नमी बनी रहती है। अडेनियम, सेकुलेंट जैसे पौधों में कम से कम 20-25 दिन बाद पानी देना चाहिए। इंडोर प्लांट्स में मिट्टी पूरी तरह से सूखने पर ही पानी देना चाहिए। ज्यादा पानी देने से उनकी जड़ें गल जाती हैं। कोशिश करें पानी स्प्रे से दें। स्प्रे पौधों के तनों या पत्तियों में न देकर सीधे मिट्टी में दें। वाटर स्प्रे से पूरी मिट्टी गीली हो सकती है। अगर ठंड ज्यादा न हो, तो पत्तियों पर भी स्प्रे कर सकते हैं। ओवर वाटरिंग से गमलों के नीचे रखी प्लेट्स में पानी भर जाता है। प्लेट्स को हटा दें या पानी को निकालते रहें।
धूप में रखें : फलते-फूलते पौधों को सर्दियों में ज्यादा से ज्यादा सूरज की रोशनी में रखें। इससे उनकी ग्रोथ अच्छी होती है और फूल ज्यादा आते हैैं। घर के अंदर ब्राइट लाइट ज्यादा है, तो अच्छा है क्योंकि लंबे समय तक अंधेरे में रहने से पौधों की जड़ें गलने का डर लगा रहता है।
करते रहें गुड़ाई- सप्ताह में कम से कम एक बार खुरपी से गुड़ाई जरूर करें ताकि मिट्टी में हवा अंदर जा सके और जड़ें मजबूत हों।
फंगसनाशी स्प्रे
फंगस अटैक से बचने के लिए पौधों के पत्तों और मिट्टी पर 15-20 दिन में एक बार नीम आॅयल स्प्रे करें। इससे पौधे का कीटों, फंगस से बचाव होगा।
दें लिक्विड फर्टिलाइजर
पौधों को 25-30 दिन में लिक्विड फर्टिलाइजर दें ताकि सर्दियों में भी उनकी ग्रोथ होती रहे। यूं तो पौधे लगाते समय फर्टिलाइजर दिया जाता है। बीच में लिक्विड मैन्योर दे सकते हैं। बार-बार खाद डालने से पौधे खराब हो जाते हैं।
ओस-पाले से बचाएं
सर्दियों में ओस-पाले से पौधों के पत्ते जल जाते हैं और फूल या कलियां गल जाती हैं। इससे बचने के लिए सुबह के समय पौधों के पत्ते यथासंभव सूखे कपड़े से पोछ दें या फिर पानी का स्प्रे करें ताकि ओस धुल जाए। पौधों के पत्ते हेल्दी रहेंगे। पौधों के ऊपर ग्रीन नेट लगाएं।
प्रूनिंग या कटिंग करें
सर्दियों के पतझड़ के मौसम में परमानेंट प्लांट्स हाइबर्नेशन या डोरमेंसी में चले जाते हैं यानी इस दौरान इनकी ग्रोथ रुक जाती है। जो फरवरी-मार्च में मौसम थोड़ा गर्म होने पर ग्रोथ अच्छी होने लगती है और पौधे स्वस्थ रहने लगते हैं। टेड़ी-मेड़ी टहनियों को हटा दें या पौधे की अच्छी शेप के लिए साॅफ्ट प्रूनिंग कर दें, ज्यादा पत्तियां निकाल दें। फूलों वाले पौधों के सूखे या मुरझाएं फूल, या पत्तियों, टहनियों की भी समय-समय पर प्रूनिंग या पिंचिंग करते रहें क्योंकि ये मिट्टी के पोषक तत्व ले लेते हैं। मिट्टी से 2-3 इंच ऊपर तक के पौधे की मुख्य तने के साथ नयी टहनियां निकल रही हों, तो उन्हें काट दें।
खास संभाल करें
सर्दियों में बल्ब वाले पौधे (लिलि, रजनीगंधा) डोरमेंसी में चले जाते हैं। पत्ते काट कर उनके बल्ब गमले में अलग रख देें। गर्मियों में ये दोबारा खिल जाएंगे। अगर आपको गमला खाली करना है, तो पत्तों के साथ बल्ब निकाल लें और इन्हें गत्ते के डिब्बे में खुली जगह पर रख दें।
खरपतवार हटाएं
मिट्टी में उगने वाली खरपतवार या घास-फूस को समय-समय पर हटाते रहें। साथ ही मिट्टी में गिरी पौधे की सूखी पत्तियां भी हटा दें क्योंकि इनसे पौधे में फंगस लगने का खतरा रहता है।
मल्चिंग करें
पौधे की जड़ों को सर्दी से बचाने के लिए गमले की मिट्टी के ऊपर मल्चिंग करें। इसके लिए छोटे-छोटे स्टोन, नारियल रेशों, नीम के सूखे पत्तों, अंडे के छिलकों की लेयर बिछा सकते हैं। ये चीजें दिन में गर्मी को एब्जाॅर्ब कर लेते हैं और पौधे की जड़ को रात को ठंडक से बचाते हैं।