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रिसर्च-इनोवेशन से जुड़ा स्मार्ट कैरियर

बायोटेक और जीन एडिटिंग का संभावनाशील क्षेत्र
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एक बायोटेक प्रोफेशनल
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जिन युवाओं की रुचि रिसर्च,इनोवेशन और हेल्थ केयर इंडस्ट्री में है उनके लिए बायोटेक्नोलॉजी और जीन एडिटिंग में कैरियर का चुनाव बेहतर रहेगा। कृषि, मेडिकल, पर्यावरण और औद्योगिक क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की जरूरत बढ़ रही है। वहीं फार्मास्यूटिकल कंपनियों और एग्रो-बायोटेक क्षेत्र में इनकी देश के साथ विदेशों में भी मांग है।

कीर्ति शेखर

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आने वाले सालों में अपने देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में वही कैरियर सबसे स्मार्ट होंगे, जो नवाचार, स्थिरता और डिजिटल परिवर्तन से सीधे जुड़े होंगे। बायोटेक्नोलॉजी और जीन एडिटिंग ऐसा ही तेजी से उभरता क्षेत्र है। कृषि, चिकित्सा, पर्यावरण और औद्योगिक क्षेत्रों में बहुत तेजी से जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की जरूरत बढ़ रही है। साथ ही रिसर्च, फार्मास्यूटिकल कंपनियों और एग्रो-बायोटेक क्षेत्र में भी इन प्रोफेशनल की भारी मांग है। जानिये इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए शैक्षिक योग्यताओं और संबंधित पढ़ाई के लिए महत्वपूर्ण शैक्षिक संस्थानों के बारे में।

जरूरी शैक्षिक योग्यताएं

भारत में जैव प्रौद्योगिकी और जीन एडिटिंग के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए महत्वपूर्ण शैक्षिक डिग्रियों की जरूरत पड़ती है। जैसे - बैचलर डिग्री बीएससी/बीटेक : बायोटेक्नोलॉजी, जेनेटिक इंजीनियरिंग, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, मॉलीक्यूलर बायोलॉजी, मास्टर डिग्री एमएससी/एमटेक : बायोटेक्नोलॉजी, मॉलीक्यूलर बायोलॉजी एंड जेनेटिक इंजीनियरिंग, बायो-इन्फोर्मेटिक्स बायोफार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी, पीएचडी और पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च : यदि आपको रिसर्च एंड डेवपलमेंट के क्षेत्र में या एकेडमिक क्षेत्र में कैरियर बनाना है तो पीएचडी अनिवार्य है। वैसे भी इस क्षेत्र में पीएचडी के बाद कैरियर की लगभग गारंटी के साथ उच्च दर्जे के अवसर उपलब्ध होते हैं। डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स: सीआरआईएसपीआर और जीन एडिटिंग तकनीकों पर विशेष कोर्स किया जा सकता है। बायोइंफोर्मेटिक्स और कंप्यूटेशनल बायोलॉजी में डिप्लोमा सर्टिफिकेट कोर्स करके भी नौकरी की उम्मीद बढ़ जाती है।

प्रमुख शैक्षिक संस्थान

भारत में जैव प्रौद्योगिकी और जीन एडिटिंग के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण शैक्षिक संस्थानों से पढ़ाई की जा सकती है। मसलन : सभी आईआईटीज (दिल्ली, खड़कपुर, बॉम्बे, मद्रास, गुवाहाटी), ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (नई दिल्ली)- यहां से बायोटेक्नोलॉजी में मेडिकल रिसर्च की पढ़ाई की जा सकती है। वहीं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी से इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए पढ़ाई की जा सकती है। आईआईएससी (बंग्लुरु) : यहां से बायोलॉजिकल साइंस में जरूरी डिग्री मिलती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई), दिल्ली, इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईवी), दिल्ली, एमईटी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, नोएडा आदि।

कुछ प्रमुख विदेशी शैक्षिक संस्थान भी हैं जिनसे बायोटेक या जीन एडिटिंग विषय की पढ़ाई कर सकते हैं। मसलन - हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (अमेरिका)- जेनेटिक एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (अमेरिका) - यहां से बायो-इंजीनियरिंग और सीआरआईएसपीआर में रिसर्च किया जा सकता है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी)- यहां से बायोटेक्नोलॉजी और जेनेटिक्स में पढ़ाई की जा सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (यूके) - यहां से बायोमेडिकल साइंस में प्रतिष्ठित डिग्री हासिल की जा सकती है। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट (जर्मनी)- यहां से मॉलीक्यूलर जेनेटिक्स की पढ़ाई की जा सकती है।

कहां मिलेगी नौकरी?

संबंधित क्षेत्र में डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद देश-विदेश में कई जगह नौकरियां मिल सकती हैं। देश में बायोकान, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक, डॉक्टर रेड्डीज लेबोरेट्रीज, रिलायंस लाइफ साइंसेज, ज्यूडस केडिला, टाटा मेडिकल एंड डायगोनॉस्टिक्स जैसी कंपनियों में देश में नौकरियां मिलती हैं, जबकि विदेश में पी-फाइजर, नोवार्तिस, रोसे, जेनेटेक, सीआरआईएसपीआर थेराप्यूटिक, बायर कार्पाे साइंस और थर्मो फिशर साइंटिफिक जैसी बड़ी कंपनियों में जॉब मिलना संभव है।

शुरुआती वेतन

इस क्षेत्र में बीएससी, बीटेक ग्रेजुएट को शुरुआत में 4 से 8 लाख रुपये सालाना का वेतन मिलता है, जबकि एमएससी और एमटेक ग्रेजुएट को 6 से 12 लाख रुपये का सालाना पैकेज मिलता है। पीएचडी होल्डर्स को शुरु से ही 10 से 20 लाख और तीन साल के अनुभव के बाद 30 से 50 लाख रुपये का पैकेज मिल सकता है। अगर विदेशों में कैरियर बनाना है तो यूरोप में शुरुआती पैकेज करीब 70 हजार डॉलर सालाना है। यही पे पैकेज अमेरिका में भी मिल सकता है। बड़ी तेजी से जीन एडिटिंग के क्षेत्र का विकास हो रहा है, ताकि इंसान की रोजमर्रा की मेडिकल जरूरतें आसानी और प्रभावशाली ढंग से पूरी हो सकें। यह क्षेत्र इसलिए भी भविष्य की संभावनाओं से लबालब है, क्योंकि बहुत ही जल्द बड़े पैमाने पर पर्सनलाइज्ड मेडिसिन, सिंथेटिक बायोलॉजी और बायोइन्फोर्मेटिक्स एक्सपर्ट की मांग बढ़ने वाली है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में न सिर्फ वर्तमान में ही बड़े पैमाने पर नौकरियां उपलब्ध हैं बल्कि आने वाले कई दशकों तक यह क्षेत्र नौकरी और वेतन के मामले में हॉट सेक्टर बना रहेगा। -इ.रि.सें.

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