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डिमांड में है रूरल मैनेजमेंट का संभावनाओं से भरपूर कैरियर

ग्रामीण प्रबंधन के क्षेत्र में युवाओं के लिए कैरियर के भरपूर अवसर उपलब्ध हैं। यहां मैनेजमेंट प्रोफेशनल सभी कार्यक्षेत्रों में काम करते हैं। इनमें सिस्टम व ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, पर्चेजिंग, मार्केटिंग, फाइनेंस, जनरल प्रबंधन व प्रोजेक्ट इम्पलीमेंटेशन शामिल हैं। सरकारी...
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ग्रामीण प्रबंधन के क्षेत्र में युवाओं के लिए कैरियर के भरपूर अवसर उपलब्ध हैं। यहां मैनेजमेंट प्रोफेशनल सभी कार्यक्षेत्रों में काम करते हैं। इनमें सिस्टम व ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, पर्चेजिंग, मार्केटिंग, फाइनेंस, जनरल प्रबंधन व प्रोजेक्ट इम्पलीमेंटेशन शामिल हैं। सरकारी और गैर-सरकारी दोनों ही सेक्टर्स में मैनेजर, पॉलिसी मेकर्स, एनालिस्ट, रिसर्चर्स तथा कंसल्टेंट के रूप में काम कर सकते हैं। ग्रामीण विकास योजनाओं, स्वास्थ्य सेवा, एनजीओ और शिक्षा में काम करने का अवसर होता है।

 

देश की करीब 69 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और आधे कामकाजी लोगों के लिए रोजगार का जरिया भी वहीं है। पिछले एक दशक में 75 प्रतिशत नई फैक्ट्रियां ग्रामीण क्षेत्रों में खोली गई हैं। यही कारण है कि गांवों में कैरियर बनाने के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध हैं। हालांकि रूरल मैनेजमेंट चुनौतीपूर्ण काम है लेकिन एक बेहतर कमाऊ कैरियर विकल्प है जो ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर, अच्छी सरकारी नीतियों और बेहतर सबसिडी तथा उन्नत तरीकों ने ग्रामीण मैनेजमेंट के लिए अच्छी संभावनाएं तैयार की हैं। प्रधानमंत्री सड़क योजना और ड्राई पोर्ट के निर्माण ने गांव और शहर की दूरियां मिटाकर अब इसे एक भरपूर संभावनाओं वाला कैरियर बना दिया है । आज के युवाओं के लिए रूरल मैनेजमेंट में कैरियर एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है।

क्या है रूरल मैनेजमेंट

जहां तक रूरल मैनेजमेंट का सवाल है यह कैरियर निर्माण का एक अद्भुत और विशिष्ट कैरियर क्षेत्र है। इससे संबंधित कोर्स करने के बाद रूरल मैनेजमेंट से जुड़े युवा ग्रामीण सुधार के लिए रणनीति निर्माण, उनका क्रियान्वयन, मैनेजमेंट तथा ऐसे डेवलपमेंट प्रोग्राम्स तैयार करते हैं जोकि ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। इस समय ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास की रफ्तार तेज करने के लिए रूरल मैनेजमेंट की बेहद जरूरत है।

अवसरों का भरपूर दोहन

इस क्षेत्र में युवाओं के लिए कैरियर के भरपूर अवसर उपलब्ध हैं। यहां युवा मैनेजमेंट के सभी वर्किंग एरियाज में काम करते हैं। इनमें सिस्टम व ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, पर्चेजिंग, मार्केटिंग, फाइनेंस, जनरल प्रबंधन व प्रोजेक्ट इम्पलीमेंटेशन शामिल हैं। इस क्षेत्र के युवा सरकारी और गैर-सरकारी दोनों ही संस्थाओं में मैनेजर, पॉलिसी मैकर्स, एनालिस्टस, रिसर्चर्स तथा कंसल्टेंट्स के रूप में काम कर सकते हैं। इसके अलावा इनके पास सरकारी क्षेत्र में ग्रामीण विकास की योजनाओं, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में काम करने का अवसर होता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले बैंक भी इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को बतौर मैनेजर्स नियुक्त करते हैं। कई स्वयंसेवी संगठन अपने यहां ग्रामीण प्रबंधक के रूप में ऐसे लोगों की नियुक्ति करते हैं, जो गांवों में विकास की योजनाओं को अमलीजामा पहना सकें। योग्य उम्मीदवारों के लिए तिलहन, दुग्ध उत्पादन, गन्ना उत्पादन समितियों आदि क्षेत्रों में रोजगार के अवसर हैं। रूरल मैनेजमेंट में स्नातक के बाद आप सरकारी और निजी संगठनों के साथ रिसर्च, एडवाइजरी और कंसल्टेंसी का कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो अपना एनजीओ भी खोल सकते हैं। जो युवा इस क्षेत्र में विदेशों में काम करने के इच्छुक हैं उनके लिए अंतरराष्ट्रीय एनजीओ, संयुक्त राष्ट्र संघ और उससे जुड़ी एजेंसियों में भी जाने का मौका होता है। निजी कंपनियों को भी इन क्षेत्रों में बाजार की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं, जिसके लिए वह ट्रेंड युवाओं को अच्छे वेतन पर नियुक्त कर सकते हैं।

गांव से शहर तक कैरियर की राह

पिछले एक दशक में जिस तरह से हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्र का विकास हुआ है, उसने गांव और शहर के अंतर को समाप्त कर दिया है। लिहाजा रूरल मैनेजमेंट का कैरियर गांव से लेकर शहर तक फैल गया है। इसके अन्तर्गत सरकारी क्षेत्र के अन्तर्गत ग्रामीण विकास विभाग, कृषि विभाग, और अन्य सरकारी एजेंसियों में विभिन्न पदों पर नौकरी मिल सकती है।

गैर-सरकारी संगठन के अन्तर्गत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ में ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में काम करने के अवसर हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र के अन्तर्गत कृषि-आधारित व्यवसाय, डेयरी, ग्रामीण बैंकिंग, और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों में भी रूरल मैनेजमेंट में प्रशिक्षित लोगों की मांग है। जो लोग अपना र्स्टाटअप आरम्भ करना चाहते हैं उनके लिए भी यह एक बेहतरीन कैरियर निर्माण क्षेत्र है। रूरल मैनेजमेंट में अनुभव के साथ, अपना खुद का एनजीओ या ग्रामीण-केंद्रित व्यवसाय शुरू करना भी एक अच्छा विकल्प है।

अनुमानित पैकेज

जो युवा इस फील्ड में कैरियर आरम्भ करने की सोच रहे है। उनके लिए इसमें शुरुआती सालाना पैकेज छह से नौ लाख रुपये सालाना होता है। टॉप मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से शिक्षित युवाओं को बारह से पन्द्रह लाख रुपये तक का आरम्भिक सालाना पैकेज मिल सकता है। इस फील्ड में दो-तीन साल का अनुभव व अच्छे कार्य- प्रदर्शन के बाद युवा 20 से 25 लाख रुपये सालाना कमा सकते है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों में पैकेज और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

रूरल मैनेजमेंट के कोर्सेज

रूरल मेनेजमेंट के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ निजी शिक्षण संस्थानों में भी रूलर मैनेजमेंट के कोर्स संचालित किए जा रहे हैं । जिसमें छात्रों को सिखाया जाता है कि किस प्रकार से रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर्स का सफल उपयोग कर ग्रामीण विकास के साथ देश के जीडीपी में वृद्धि की जाए। पाठ्यक्रम मुख्यतः ग्रामीण विकास, प्लानिंग, आयोजन, निर्देशन, सहकारी कृषि व्यवसाय, वित्तीय संस्थाओं और संबद्ध क्षेत्रों के नियंत्रण के अध्ययन पर आधारित है। इसके बाद छात्र पसंद के अनुसार डिग्री और डिप्लोमा कर सकते हैं। इसके बाद इसमें मुख्य कोर्स के तौर पर मास्टर्स, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम, एमबीए और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा भी किया जा सकता है। जो युवा रूरल मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहते हैं, वे देश के किसी भी संस्थान ये ये डिग्री और डिप्लोमा कोर्सेज कर सकते हैं। इनमें मुख्य कोर्स के तौर पर एमबीए इन रूरल मैनजमेंट, मास्टर ऑफ रूरल मैनेजमेंट, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम इन रूरल डेवलपमेंट मैनेजमेंट और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रूरल मार्केटिंग की अच्छी डिमांड हैं। इन कोर्सेज की प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होने के लिए प्रतियोगी को किसी भी विषय में स्नातक या समकक्ष होना चाहिए। कुछ संस्थान पत्राचार द्वारा भी ये कोर्सेज करवाते हैं।

अतिरिक्त योग्यताएं

जो युवा इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं तो उनको कई स्किल्स के साथ कुछ ऐसी योग्यताओं की जरूरत पड़ेगी जो इस क्षेत्र में सिलेक्शन और काम करने के लिए आसान राह तैयार करती है। इसके लिए युवाओं में ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने की इच्छा और उत्सुकता सबसे जरूरी है। जिसमें क्षेत्र के लोगों से बातचीत की कला, स्थानीय रीति-रिवाजों के प्रति संवेदनशीलता, विभिन्न प्रकार के लोगों में घुल-मिल जाने की कला सहायक होती है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

रूरल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट जयपुर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर मार्केटिंग जयपुर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) अहमदाबाद, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) लखनऊ, इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (आईआरएमए) आनंद गुजरात, जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट भुवनेश्वर, केरला एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी केरल व जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस झारखंड आदि।

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