पुष्पा गिरिमाजी
पिछले महीने एक एयरपोर्ट पर मैंने पानी की एक बोतल खरीदी, जिसके लिए मुझसे 40 रुपये लिए गये। जब मैंने इस बात का विरोध किया और कहा कि इसकी कीमत केवल 10 रुपये है, तो दुकानदार ने मुझे पैकेज पर एमआरपी दिखाया-यह 40 रुपये था। दुकानदार ने कहा कि हवाई अड्डे पर दुकानों का किराया अधिक होने के कारण उन्हें उस दर पर पानी बेचने की अनुमति दी गई है। यह सर्वथा अनुचित है-वे हमें घर से या हवाई अड्डे के बाहर से पानी ले जाने की अनुमति नहीं देते हैं, और हवाई अड्डे पर हमें लूटा जाता है। इस बात की शिकायत कहां की जा सकती है?
यह अवैध है और लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियमों का उल्लंघन है। कृपया अपने राज्य में कानूनी माप विज्ञान विभाग से शिकायत करें। आपको पता होना चाहिए कि इस तरह की प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने पैकेज्ड कमोडिटीज (पीसी) नियमों में संशोधन के माध्यम से पैक किए गए सामानों के ऐसे दोहरे मूल्य निर्धारण पर रोक लगा दी है। 23 जून, 2017 को अधिसूचित संशोधन के अनुसार, नियम 18 (2ए) कहता है: ‘जब तक किसी अन्य कानून के तहत विशेष रूप से यह सुविधा प्रदान नहीं की जाती, कोई भी निर्माता या पैकर या आयातक एक समान प्री-पैकेज्ड कमोडिटी पर अलग-अलग अधिकतम खुदरा कीमतों की घोषणा नहीं करेगा। ऐसा करना व्यापार प्रथाओं का अनुचित प्रयोग या दुरुपयोग होगा।’ यह 1 जनवरी 2018 से लागू हुआ था। इससे जाहिर है कि खुदरा विक्रेता पीसी नियमों का उल्लंघन करते हुए, अलग-अलग कीमत पर पानी बेच रहा था। आप केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कानूनी मेट्रोलॉजी विभागों के संपर्क विवरण प्राप्त कर सकते हैं। आपको पता होना चाहिए कि पीसी नियमों के नियम 6 के मुताबिक सभी प्री-पैक किए गए सामानों पर अधिकतम खुदरा मूल्य प्रदर्शित करना अनिवार्य है। नियम 18 (2) भी एमआरपी से अधिक कीमत पर ऐसे सामान की बिक्री पर रोक लगाता है। इन सब नियमों के बावजूद हवाई अड्डों, मॉल और मल्टीप्लेक्स में खुदरा विक्रेता नियमों का उल्लंघन कर एमआरपी से अधिक शुल्क ले रहे थे। इसने न केवल कानूनी माप विज्ञान विभाग से कानूनी कार्रवाई का मामला बनता है, बल्कि कई उपभोक्ताओं ने उपभोक्ता अदालतों के समक्ष इस तरह के अधिक मूल्य निर्धारण के खिलाफ निवारण की मांग की। इन सबके बाद, निर्माताओं ने अपने पैकेजों पर दो अलग-अलग कीमतों की घोषणा करना शुरू कर दिया-हवाई अड्डों, सिनेमा हॉल, मॉल और ऐसे अन्य स्थानों पर बेचे जाने वाले उन पैकेजों पर बहुत अधिक एमआरपी छपा हुआ था।
इस तरह इन जगहों पर खुदरा विक्रेताओं को एमआरपी से अधिक कीमत पर बेचने के लिए रोका नहीं जा सकता है। निश्चित तौर पर इसने उपभोक्ताओं को परेशान किया और कई लोगों ने इस दोहरी मूल्य नीति पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। हिंदुस्तान कोका कोला बेवरेजेज बनाम सिद्धार्थ मनचंदा (2014 का एफए 299) में, राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, देहरादून ने माना कि इस तरह के दोहरे मूल्य निर्धारण कानून द्वारा निषिद्ध नहीं थे। दोहरे मूल्य निर्धारण की अवधारणा को न्यायिक रूप से बरकरार रखा गया है और विधायी रूप से मान्यता प्राप्त है, इस बात को सामने रखते हुए आयोग ने एक ऐसे मामले में जिला आयोग द्वारा उपभोक्ता को दिए गए मुआवजे को किनारे किया (2014 का एफए नंबर 299, 21 जुलाई, 2017 को तय किया गया)।
हालांकि, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बड़े सिनेमा और अन्य बनाम मनोज कुमार में एक अलग दृष्टिकोण रखा। इस मामले में जिला आयोग ने विपक्षी पार्टी को एक्वाफिना की एक बोतल पर लगे 14 रुपये की अतिरिक्त राशि वापस करने और मुआवजे के रूप में 5000 रुपये और उपभोक्ता को लागत के रूप में 1500 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था। सिनेमा हॉल में पानी की बोतल पर एमआरपी 30 रुपये, जबकि बाहर 16 रुपये थी। राष्ट्रीय आयोग ने जिला आयोग के आदेश को बरकरार रखा और याचिकाकर्ताओं को आयोग के कानूनी सहायता खाते में 5 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया। इस तरह के दोहरे मूल्य निर्धारण का उल्लेख करते हुए, शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने कहा कि जब तक कानून के तहत अनुमति नहीं दी जाती, तब तक दो एमआरपी नहीं हो सकते। इसने केंद्र में कानूनी मेट्रोलॉजी विभाग से इस तरह के दोहरे मूल्य निर्धारण (2015 का आरपी नंबर 2038, 1 फरवरी, 2016 को तय किया) के खिलाफ जांच और कार्रवाई करने की भी सख्त जरूरत बताई। आदेश के बाद लीगल मेट्रोलॉजी डिपार्टमेंट ने इस मुद्दे पर सभी राज्यों को पत्र लिखा, लेकिन जाहिर तौर पर कानून के समर्थन के बिना वे कोई कार्रवाई नहीं कर सकते थे। इसलिए केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने समान वस्तुओं के दोहरे मूल्य निर्धारण पर रोक लगाने के लिए पीसी नियमों में संशोधन किया।
क्या उपभोक्ता न्यायालय के समक्ष निवारण की मांग की जा सकती है?
एक ओर जहां लीगल मेट्रोलॉजी विभाग लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के अनुसार कार्रवाई करेगा, वहीं आप इस बात के लिए मुआवजे की मांग कर सकते हैं कि आपसे अधिक कीमत वसूली गयी।