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संयम-सहनशीलता ही रखेगी मधुर रिश्तों को बरकरार

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस : 15 मई
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दांपत्य में छोटी-छोटी बातें तनाव व विवाद की वजह बन जाती हैं। इसके अलावा घर-परिवार में दूसरे नजदीकी रिश्ते भी आपसी तल्खी से प्रभावित होते हैं। दरअसल, बिना सोचे-समझे बोलने और तानाकशी के चलते अकसर कलह बढ़ जाती है। लेकिन समझदार दम्पति सहनशील होते हैं। गुस्से की स्थिति में चुप्पी साधना जानते हैं व रिश्तों को मजबूत बनाकर रखते हैं।

संध्या सिंह

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पति-पत्नी के रिश्तों में अकसर कहासुनी, लड़ाई-झगड़े और तकरार होती रहती है। कोई भी नयी-नवेली दुल्हन जब ससुराल में अपना पहला कदम रखती है तो उसे यहां आकर अपने सास-ससुर, देवर-देवरानी, ननंद, जेठ-जेठानी और उनके बच्चों से अपने रिश्ते निभाने पड़ते हैं। उसे अच्छी मामी, अच्छी चाची बनकर दिखाना तो पड़ता ही है, साथ ही सर्वगुण सम्पन्न व सुशील बहू का भी रोल निभाना पड़ता है। परिवार में पति-पत्नी के अलावा घर के दूसरे सदस्यों से भी कहा-सुनी हो ही जाती है, लेकिन दूसरों के रिश्तों में जहां कई और तरह के बुरे असर पड़ते हैं तो वहीं दोनों के आपसी लड़ाई-झगड़ों से तनाव और परेशानी होती है। यदि कलह की स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो पति और पत्नी के बीच रिश्तों में कड़वाहट आने लगती है। हालांकि कुछ समझदार दम्पति अपने दाम्पत्य को सुरक्षित रखने के लिए चुप्पी साधना जानते हैं व अपने रिश्तों को मजबूत बनाकर रख सकते हैं।

चुप रहकर सींचें रिश्ते

अकसर पति-पत्नी के बीच कलह का कारण पति द्वारा अपने माता-पिता को सम्मान देना भी बन जाता है। कई महिलाओं के यह बात गले नहीं उतरती कि उनका पति अपने माता-पिता की ख्वाहिशों को पूरा करे। महिला को बुरा लग सकता है अगर पति अपने माता-पिता पर खर्च करे। इस वजह से कुछ ऐसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं कि दोनों के बीच उन्हें लेकर तकरार हो जाए। दरअसल, हर महिला के लिए समझना जरूरी है कि पति पर उसके माता-पिता का अधिकार, पत्नी से भी कही ज्यादा है। माता-पिता ही हैं, जो किसी को इस दुनिया से रूबरू कराते हैं, वह भी सम्मान के अधिकारी होते हैं। छोटी-छोटी बातों को लेकर कलह नहीं करनी चाहिए, पति के मूड और मानसिक स्थिति के अनुसार सोच समझकर बोलना चाहिए। इसके अलावा पति के ऑफिस से लेट आने, दोस्तों के साथ इधर-उधर घूमने के कारण भी कुछ महिलाएं कलह करती है। पत्नी को चाहिए कि वह भीतर से भले ही गुस्सा हों, लेकिन गुस्सा एक आवरण में रखें। यदि पति का मूड खराब हो तो चुप रहना ही बेहतर है। सही स्थिति देखकर ‘कल इतनी देर तक कहां थे’ की बाबत पूछा जा सकता है।

सारी जिम्मेदारी अपने सिर

अकसर महिलाएं घर का सारा काम पहले तो अपने जिम्मे ले लेती हैं। राशन लाना, बिल जमा कराना, बच्चों को स्कूल भेजना, होमवर्क कराना आदि। ऐसे में पति को लगता है कि अब उन्हें इस बारे में सोचने की जरूरत ही नहीं। लेकिन एक सीमा के बाद काम के बोझ के कारण महिला बात-बेबात बड़बड़ाती है। दरअसल पहले खुद ही जिम्मेदारी ले लेना और फिर पति पर इसका दोषारोपण गलत है। पति से सहयोग लें और उनके साथ बोलते समय आवाज धीमी रखें। महिलाएं अकसर शिकायत करती हैं कि मैंने इतना ज्यादा काम किया। जबकि चुप रहकर अपनी परेशानियों का अहसास कराना बेहतर है।

क्या कहा? मैंने नहीं सुना

अकसर पत्नियां घर में सास-ससुर, ननंद व जेठ-जेठानी आदि की बातों और तानों को सुनकर गुस्से से जवाब देती हैं और कई बार लड़ाई की नौबत आ जाती है। उनकी बातों पर ओवर रिएक्ट करने की बजाय जहां बातें हो रही हों, वहां से उठकर चली जाएं। कई रिश्ते ऐसे होते हैं, जिनमें थोड़ी -बहुत तकरार चलती है। लेकिन यही रिश्ते पारिवारिक जीवन में खुशियों का आधार होते हैं। इन रिश्तों को सहेजकर चलना होता है। इनके अलावा पति से रिश्ते में मधुरता बनी रहे इसलिए कुछ मामलों में चुप्पी साधना बेहतर है।

पति का सहयोग लें

जिन घरों में पत्नियां कामकाजी होती हैं, वहां काम की अधिकता अकसर पति-पत्नी के बीच कलह का कारण बन जाती है। कई पति घर के कामों में हाथ नहीं बंटा पाते; क्योंकि वे जो कुछ भी करते हैं, उसमें पत्नी कोई न कोई कमी निकाल देती है। ऐसे में उन्हें लगता है दूर रहने में भलाई है। लेकिन कई पति घर के कामों को अपनी प्रतिष्ठा के खिलाफ समझते हैं। लेकिन वे समझें कि समय बदल चुका है। आजकल पुरुष छोटे बच्चों के पालन-पोषण से जुड़े काम भी सहजता से करते हैं।

तानाकशी से परहेज

पति-पत्नी के बीच कलह का बड़ा कारण एक दूसरे को ताना मारना भी होता है। कुछ पति हर बात में मीन-मेख निकालते हैं और पत्नियां भी ईंट का जवाब पत्थर से देने में बाज नहीं आतीं। लेकिन व्यवहार विशेषज्ञों की मानें तो पति को कड़ा जवाब सुनाने से पत्नी को कोई मेडल नहीं मिल जाता। अगर चुप्पी साधकर अपना ध्यान किसी और काम में बंटायें या थोड़ी देर के लिए घर से बाहर चली जायें तो विवाद टल सकता है।

दोनों का जिम्मा

चुप रहना यानी चुप्पी साधना केवल पत्नी की ही जिम्मेदारी नहीं होती। कुछ मामलों में पति ही ज्यादा लड़ाई के लिए उकसाने वाले साबित होते हैं। कई मौकों पर पति को भी चुप्पी साधनी चाहिए क्योंकि कई घरों में अकसर माता-पिता, भाई-बहन, पति को इस तरह भड़काते हैं कि पति-पत्नी के बीच आपसी मनमुटाव बना ही रहता है। चुप्पी साधकर असलियत का पता लगाने के बाद ही पत्नी से इस बाबत कोई बात करें। छोटी-छोटी गलतियों पर अपनी पत्नी को दूसरों के सामने बेइज्जत न करें इसलिए खामोशी पत्नी या पति की हार नहीं बल्कि दोनों की जीत होती है।                                                                                      -इ.रि.सें.

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